कहते हैं कि शराब की लत बहुत खतरनाक होती है. जिसे यह लत लग गई हो, उसका परिवार कभी सुखी नहीं रह सकता. जिस घर परिवार में कोई सदस्य शराबी हो गया हो, उस घर परिवार की बर्बादी तय है. शराबी व्यक्ति शराब के बगैर नहीं रह सकता है. उसे रोज पीना चाहिए. पीने के लिए पैसा चाहिए. पैसे के लिए एक शराबी ने अपनी मां का ही खून कर दिया.
इस तरह के कई मामले हमारे आसपास देखने को मिलते हैं. शराबी बेटे को राह पर लाने और उसे शराब की लत छुड़ाने के लिए दूर रखने के लिए एक मां ने अपना परिवार छोड़ दिया. पति से दूर रहने लगी. उसके मन में विश्वास था कि वह बेटे को शराब की लत से मुक्ति दिला देगी. लेकिन उसका विश्वास हार गया. मां बेटे को तो सुधार नहीं सकी. बेटे ने ही उसे ऊपर पहुंचा दिया. उस दिन शराबी बेटे ने मां से पीने के लिए पैसे मांगा था. मां ने उसे पैसे देने से इनकार कर दिया. इस बात पर शराबी बेटे ने कुल्हाड़ी से मां को ही काट डाला.
यह घटना बालूरघाट के कुमारगंज थाना क्षेत्र की है. कुमारगंज थाना क्षेत्र के कुमारगंज गांव में कल्पना दास अपने बेटे गिरीश चंद्र दास के साथ रहती थी. कल्पना दास के दो बेटे थे. बड़ा बेटा गिरीश चंद्र दास नशेड़ी था. वह काम धाम भी कुछ नहीं करता था. हमेशा पीने और मौज मस्ती में रहता था. पिता गौर चंद्र दास बंगाल पुलिस से रिटायर्ड हो चुके थे. उन्होंने अपने बेटे को सुधारने की काफी कोशिश की, लेकिन जब वह लगातार बिगड़ता चला गया, तो कहीं उसकी छाया छोटे बेटे पर ना पड़े, यह सोचकर गौर चंद दास बालूरघाट शहर में घर बनाकर रहने लगे.
उस समय उनका पूरा परिवार गांव में रहता था. गिरीश चंद्र दास गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमने फिरने और शाम को ठेके पर जाकर शराब पीने, देर रात घर लौटने, परिवार के सदस्यों के साथ झगड़ा करने, मारपीट आदि उसका रोज का धंधा बन गया था. घर में रोज-रोज कलह और हंगामे के बाद पिता अपने छोटे बेटे को साथ लेकर शहर में रहने चले गए. उन्होंने पत्नी को भी कई बार समझाया कि यह लड़का यानी गिरीश चंद्र दास कभी सुधर नहीं सकता. इसलिए उसे उसके हाल पर छोड़ दो और गांव छोड़कर शहर चलकर रहो. लेकिन कल्पना दास ने कहा कि अगर लड़के को अकेला छोड़ देंगे तो वह और बिगड़ जाएगा. इसलिए उसे सुधारने के लिए उन्हें उसके साथ रहना जरूरी है.
कल्पना दास नहीं मानी. लिहाजा गौर चंद दास अपने छोटे बेटे को लेकर शहर में रहने चले गए. गांव में रह गई उनकी पत्नी और उनका नशेड़ी बेटा. कल्पना दास हमेशा अपने नशेड़ी बेटे को समझाती रहती थी. लेकिन शराबी पर भला इसका क्या असर पड़ता. वह दिन भर आवारा घूमता रहता था और शाम होते ही मां से पैसे मांगने लगता था. ताकि वह नशा कर सके. यूं तो वह एक छोटा-मोटा काम भी कर रहा था. लेकिन नशे के कारण वह कभी 2 दिन काम पर जाता तो चार दिन घर पर ही रहता था.
दिन पर दिन सुधरने की बजाय वह बिगड़ता जा रहा था. आरंभ में तो वह मां की बात सुन लेता था. लेकिन बाद में वह नशे में घर लौटता. मां से पैसे मांगता था. जब मा॔ पैसे नहीं देती तो वह उन्हें गाली देने लगता था और कभी-कभी हाथ भी उठा देता था. एक दिन गिरीश चंद्र दास ने मां से बहाना करके पैसे मांगे. लेकिन मां ने उसे एक भी पैसा देने से इनकार कर दिया. सुबह का समय था. पैसे को लेकर बेटा मां से झगड़ने लगा. मां भी तन गई थी कि वह किसी भी तरह उसे पीने के लिए पैसे नहीं देगी. लेकिन कहा जाता है कि नशेड़ी को नशे की तलब हो और उसे नशा नहीं मिले तो वह कुछ भी कर सकता है!
बातों ही बातों में मां बेटे का झगड़ा इस कदर बढ़ गया कि नशेड़ी बेटे ने घर में रखी कुल्हाड़ी को उठा लिया और उससे मां पर हमला कर दिया. मौके पर ही मां की मौत हो गई. इसके बाद नशेडी बेटा खून से सनी कुल्हाड़ी लेकर सीधा कुमारगंज थाना पहुंच गया और उसने थाना प्रभारी को सारी बातें बताते हुए आत्मसमर्पण कर दिया. यह घटना 2019 की है. पिता ने अपने बेटे के खिलाफ कुमारगंज थाने में प्राथमिक की दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस एक्शन में आई.
यह मुकदमा बालूरघाट जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानस कुमार बसु की अदालत में चला. न्यायाधीश मानस कुमार बसु ने मुलजिम गिरीश चंद्र दास को हत्या का दोषी करार दिया और उसे उम्र कैद की सजा सुनाई. यह अपनी तरह का पहला ऐसा मामला था जब एक मां ने अपने बेटे का नशा छुड़ाने के लिए संघर्ष और त्याग किया था. लेकिन वह अपने प्रयास में सफल नहीं हो सकी थी. इसलिए यह मुकदमा चर्चा का विषय बना और इसका फैसला भी सुर्खियों में है.
इस केस में सभी सबूत, दस्तावेज व 18 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. स्वयं पिता गौर चंद्र दास और छोटे बेटे ने भी गिरीश चंद्र दास के खिलाफ गवाही दी थी. अदालत ने मां की हत्या के जुर्म में गिरीश चंद्र दास को उम्र कैद और ₹10000 जुर्माना लगाया. जुर्माना नहीं चुकाने पर अतिरिक्त 2 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है.यह घटना ऐसे परिवारों को सजग करती है, जहां घर में पिता, पुत्री या पुत्र नशा करते हो, तो उन्हें संभल जाना चाहिए. अगर नशे की लत लग गई तो निश्चित रूप से घर परिवार की बर्बादी तय है. अगर आपका बेटा या बेटी नशे की ओर जा रहे हो, तो सावधान हो जाइए. और वक्त से पहले ही उन्हें सुधार लीजिए.अन्यथा लत लगने के बाद आपका हर प्रयास निरर्थक साबित होगा और घर परिवार तबाह हो जाएगा.
