सिलीगुड़ी के आसपास घर बसाने का सपना लेकर अनेक लोगों ने पाई पाई पैसा इकट्ठा करके माटीगाड़ा, सालुगडा,उत्तरायण ,देवीडांगा, प्रकाश नगर आदि इलाकों में जमीन खरीदी थी. सोचा था कि वहां घर बसाएंगे. कुछ लोगों ने इन इलाकों में इसलिए जमीन खरीदी थी कि जब जमीन के भाव बढ़ेंगे तब उन्हें बेचकर भारी मुनाफा कमाएंगे.अब उनकी स्थिति सांप छछूंदर की बन गई है. वह इस स्थिति में आ गए हैं कि जमीन बेचे अथवा वक्त का इंतजार करें.
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन तथा राज्य सरकार द्वारा अदालत के नियमों का पालन करने के एसजेडीए को निर्देश देने के बाद एसजेडीए ने 167 लैंड यूज कंपैटिबिलिटी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है. इससे जमीन खरीद करने वालों तथा भवन निर्माण काम में लगे बिल्डरों में हड़कंप मच गया है. स्थिति तो यह है कि अब इन इलाकों में जमीन के खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं.कोई नहीं चाहता कि उनकी पूंजी फंसे. इन इलाकों में जमीन खरीदने वाले भारी मुसीबत में हैं और सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि इस संदर्भ में वह कोई राहत दे ताकि उनका नुकसान ना हो सके.
आखिर यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई है, यह जान लेना जरूरी है. दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी के महानंदा वन्यजीव अभयारण्य की सीमा के चारों ओर 5 किलोमीटर तक के क्षेत्र को महानंदा वन्य जीव अभयारण्य के लिए संवेदी जोन कहा गया है. नियम के अनुसार इस दायरे में किसी भी प्रकार का भवन निर्माण नहीं किया जा सकता. सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 42, 46 के अंतर्गत कई इलाके आते हैं जो संवेदी जोन में हैं. इन इलाकों में देवीडांगा, माटीगाडा, सालूगाड़ा, उत्तरायण, प्रकाश नगर आदि शामिल है. इसके अनुसार इन इलाकों में किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता.
लेकिन सवाल यह है कि जिन लोगों ने पहले से यहां जमीन ले रखी है,अब वह क्या करेंगे.हालांकि एसजेडीए ने जिन लोगों को लैंड यूज कंपैटिबिलिटी सर्टिफिकेट जारी किया है और उनका एल यू सी सी रद्द करने का आदेश दिया है, उनकी जमा धनराशि वापस तो मिल जाएगी परंतु जिन लोगों ने बगैर किसी प्रमाणिक कागजात के जमीन खरीदी है,वे मुंह के बल गिर गए हैं. वे अपनी फरियाद कहां करेंगे और उनकी फरियाद कौन सुनेगा!
इन इलाकों में जमीन खरीददारो की समस्या को देखते हुए नवंबर 2022 में दार्जिलिंग जिला अधिकारी और सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर तथा अन्य अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकालने के संबंध में एक बैठक की थी. इस बैठक में सरकार से महानंदा वाइल्डलाइफ रेंज की दूरी घटाने की अपील की गई थी. लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इस पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया और एसजेडीए को पूर्व नियमों को मानते हुए कार्यवाही करने का आदेश दिया. मजबूरन एसजेडीए ने वही किया जो कानून कहता है.
सूत्र बता रहे हैं कि हालांकि उपरोक्त इलाकों में कुछ बिल्डर और साधारण लोग आज भी भवन निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि राज्य सरकार जरूर उन्हें राहत देगी. परंतु यह नियमों के खिलाफ है. इस संदर्भ में खबर समय ने एसजेडीए के सीईओ का ध्यान आकृष्ट किया तो उन्होंने खबर समय को बताया कि साधारण लोग और बिल्डर को नियमों का पालन करने को कहा गया है. अगर उन इलाकों में कोई निर्माण कार्य चल रहा है तो यह देखने का काम सिलीगुड़ी नगर निगम, पंचायत अथवा स्थानीय शासकीय इकाइयों का है. एसजेडीए का नहीं है.
बहरहाल इतना तो तय है कि माटीगाड़ा, सालूगाड़ा, उत्तरायण,प्रकाश नगर, देवीडांगा आदि इलाकों में विकास कार्य प्रभावित होंगे. जो लोग इन इलाकों को विकसित होते देखना चाहते थे, उनका सपना शायद ही पूरा हो. यहां जमीन खरीद कर मकान बनाने का सपना देखने वाले वर्तमान में औंधे मुंह गिरे हैं. कुछ लोग तो सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं. जबकि कई लोग ओने पौने दाम में अपनी जमीन बेचने पर मजबूर हैं!