आखिरकार पुलिस ने 24 घंटे से कम समय में ही अबोध मासूम बच्ची के दुष्कर्मी को गिरफ्तार कर लिया है. घोषपुकुर इलाके के लोग दुष्कर्मी को फांसी देने की मांग कर रहे हैं. यह घटना विश्वकर्मा पूजा के दिन घोषपुकुर इलाके में घटी थी. इस घटना ने घोषपुकुर इलाके में विश्वकर्मा पूजा का जश्न मना रहे लोगों में आतंक और उत्तेजना का व्यापक संचार किया था.
. यह घटना उस समय घटी थी, जब घोषपुकुर के लोग विश्वकर्मा पूजा मना रहे थे. यहां के ट्रक टर्मिनल में एक गरीब परिवार भी सो रहा था. उसी समय एक वहशी दरिंदा वहां पहुंचता है और 3 साल की अबोध बालिका को उठा ले जाता है. यह दरिंदा बालिका को मरणासन्न की स्थिति में छोड़कर चला जाता है. बच्ची का फिलहाल उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है.
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद से ही पुलिस ने वहशी दरिंदे की तलाश शुरू कर दी थी. पूजा का जश्न मना रहे लोग भी घटना जानकर सन्नाटे में आ गए थे. पुलिस और पब्लिक सभी ने दुष्कर्मी दरिंदे की तलाश शुरू कर दी. लेकिन वह नहीं मिला. पर पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे तथा अन्य सूत्रों के माध्यम से आज उसे धर दबोचा. इस घटना ने कई ज्वलंत सवाल खड़े किए हैं. हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है. समाज का यह नैतिक पतन इंसान की मनोदशा को दर्शाता है.
सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में इन दिनों बाल यौन दुष्कर्म की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है. वह चाहे बागडोगरा हो, नक्सलबाड़ी इलाका हो, माटीगाड़ा से लेकर घोषपुकुर तक… केवल एक डेढ़ महीने में ही दुष्कर्म की 4 बड़ी घटनाओं ने समाज के अधम में गिरते स्तर को रेखांकित किया है. चिंता की बात तो यह है कि ऐसी घटनाओं में ज्यादातर नाबालिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं. सवाल यह है कि शिक्षा और विकास के इस युग में ऐसी घटनाएं अधिकतर क्यों हो रही हैं. इसके साथ ही बाल शोषण और उत्पीड़न से बचाव के लिए कानून को सख्ती से लागू क्यों नहीं किया जा रहा है?
भारतीय संविधान और हमारी सरकार ने बाल सुरक्षा के लिए पॉस्को एक्ट 2012 में लागू किया था. यह एक ऐसा कानून है, जहां बाल सुरक्षा और अधिकार के सभी पहलुओं का समाधान मिल जाता है. हालांकि विश्व के सभी देशों में बाल सुरक्षा और अधिकार के कई कानून है. लेकिन भारत पहला देश है जहां बाल सुरक्षा और अधिकार के सबसे ज्यादा सख्त कानून बने हैं. ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि यहां बाल सुरक्षा अधिक होगी तथा बाल शोषण और उत्पीड़न की घटनाएं अन्य देशों के मुकाबले कम होंगी.
आंकड़े बताते हैं कि भारत में बाल सुरक्षा एक गंभीर समस्या है. पॉस्को कानून बन जाने के बावजूद भी अपराधियों को कानून का कोई खौफ नहीं है. इसका एक कारण यह है कि पुलिस और प्रशासन अपराधी के खिलाफ पॉस्को एक्ट का सही इस्तेमाल नहीं करती. जिसके कारण अपराधी अदालती कार्यवाही के बाद जमानत पर रिहा हो जाते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस तकनीकी कारण से जल्दी चार्जशीट अदालत में प्रस्तुत नहीं कर पाती. लेकिन अगर पुलिस पॉस्को एक्ट का अपराधी के खिलाफ सही-सही इस्तेमाल करती है, तो अपराधी को कड़ी सजा हो सकती है!
घोषपुकुर मामले में भी पुलिस ने गिरफ्तार वहशी दरिंदे के खिलाफ पॉस्को एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज किया है. लेकिन पुलिस ने धारा कौन सी लगाई है यह देखना होगा