नियति भी अजीब सा खेल खेलती है. भाई टीका के त्यौहार का पूरे साल तक बहन और भाई को इंतजार रहता है. इस दिन बहन, भाई के घर जाकर भाई को टीका लगाकर उसके दीर्घायु की कामना करती है. भाई भी बड़ी बेसब्री से अपनी बहन का घर पर इंतजार करता है. दोनों भाई-बहन इस त्यौहार को धूमधाम के साथ मनाते हैं. वांचेन तामांग (भाई) और विनीता तमांग (बहन) को क्या पता था कि जिस वाहन से वे नेपाल के काकड़भिटा से मिरिक स्थित अपने रिश्तेदार के घर भाई फोटा मनाने जा रहे थे, उनकी रास्ते में ही मौत हो जाएगी!
यह दर्दनाक हादसा सुर्खियों में है. दुर्घटना के बाद बहुत सी बातें सामने आ रही हैं. कई लोगों का मानना है कि इस हादसे को टाला जा सकता था. कुछ लोग यह भी कहते हैं कि हादसे के लिए प्रशासन जिम्मेवार है. जबकि कई लोगों का मानना यह है कि जानबूझकर लोगों को मौत के मुंह में धकेला गया है. उनके अनुसार जब यह रास्ता पहले से ही काफी खतरनाक और चुनौती पूर्ण था, तो इस रास्ते पर गाड़ी चलाने की अनुमति प्रशासन ने क्यों दी?
बीते 4 अक्टूबर को इस इलाके में जबरदस्त भूस्खलन हुआ था. इस भूस्खलन में पहाड़ के कई बड़े-बड़े हिस्से धराशाही हो गए थे. बालासन नदी पर बना पुल भी इसमें बह गया था. यह पुल काफी महत्वपूर्ण था और मिरिक को सिलीगुड़ी, नेपाल आदि शेष भागों से जोड़ता था. यह एकमात्र सर्वसुलभ रास्ता था. लेकिन पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद नोलडारा मार्ग को मिरिक होते हुए सिलीगुड़ी और नेपाल जाने का वैकल्पिक मार्ग बना दिया गया.
यहां के लोगों ने बताया कि यह मार्ग काफी संकरा है और उबर खाबड़ भी. इसमें कई खतरनाक घुमाव भी हैं. अगर संभल कर गाड़ी नहीं चलाया गया तो दुर्घटना होते देर नहीं लगेगी. इस मार्ग से होकर कई गांव भी आते हैं और गांव के बीच से होकर यह रास्ता गुजरता है. इसलिए हर पल खतरा मंडराता रहता है. ऐसे में प्रशासन को पहले ही इसे वैकल्पिक मार्ग के रूप में मान्यता नहीं देना चाहिए था.
स्थानीय लोगों का तो यह भी कहना है कि पिछले कुछ महीनो में इस मार्ग पर कई छोटी बड़ी दुर्घटनाएं घट चुकी हैं. इसके बावजूद प्रशासन ने इसे वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी. दुर्घटना के बाद स्थानीय प्रशासन से लोग जवाब मांग रहे हैं. दुर्घटना के बाद इन्हीं लोगों ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन से यात्रियों को बाहर निकाला और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में पुलिस की मदद की थी.
आखिर प्रशासन ने समय रहते इस पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया. जबकि प्रशासन को पहले से ही पता था कि इस मार्ग पर पूर्व में भी कई घटनाएं घट चुकी हैं. विजय और रवि छेत्री ने बताया कि यह मार्ग काफी जोखिम भरा है. स्थानीय लोग कहते हैं कि इस मार्ग पर यमराज घूमते रहते हैं. इसके बावजूद प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया. आश्चर्य है कि प्रशासन ने इसकी उपेक्षा की और वाहन चलाने के लिए मार्ग का उपयोग करने की अनुमति दे दी.
मालूम हो कि मिरिक महकमे के पानीघाटा थाना अंतर्गत पुटुंग के नलदारा में यात्रियों से भरा एक चार पहिया वाहन गड्ढे में गिर गया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 10 से अधिक लोग घायल हुए हैं. वाहन में कुल 19 यात्री सवार थे. वे सभी काकरभिटटा से मिरिक जा रहे थे. पहाड़ी पर चढ़ते समय विपरीत दिशा से आ रही एक कार के सामने आ जाने से चालक अपनी गाड़ी पर से नियंत्रण खो बैठा. फल स्वरुप वाहन पहाड़ से नीचे सैकड़ो फीट गहरी खाई में गिर पड़ा था.
इस दुर्घटना में भाई-बहन की मौके पर ही मौत हो गई. वाहन में विनीता तमांग की 4 साल की बेटी भी थी, लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ. वह सही सलामत बरामद हुई थी. यह घटना बुधवार दोपहर लगभग 1:00 बजे की है. इस दुर्घटना के बाद मिरिक में मातम पसरा है. त्यौहार के बीच अगर कोई अपना सदा के लिए बिछुड़ जाता है तो उस परिवार पर क्या गुजरता है, यह एक पीड़ित व्यक्ति ही बता सकता है!
दुर्घटना में वाहन संख्या WB 76 ए 1387 का चालक बाल बाल बचा था. सभी घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. पुलिस यह पता लगा रही है कि इस दुर्घटना के लिए जिम्मेवार कौन है. तकनीकी पहलुओं का भी ध्यान रखा जा रहा है.
