October 16, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी:मिलावटी अथवा बासी खाद्य वस्तुएं परोसने वाली दुकानों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं होती?

दीपावली आ गई है और इसी के साथ ही सिलीगुड़ी में खासकर मिठाई की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है. केवल मिठाई की दुकान ही क्यों, होटल, रेस्टोरेंट आदि भी ग्राहकों से भरे दिख रहे हैं. एक दिन पहले सिलीगुड़ी के एक होटल के फ्रिज में मोमो और कॉकरोच पाए जाने के बाद यह सवाल फिर उठने लगा है कि क्या सिलीगुड़ी के होटल, रेस्टोरेंट अथवा मिठाई की दुकानों में बिकने वाली वस्तुएं शुद्ध होती हैं?

फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने एक होटल का यह नजारा देखा. जबकि शहर में ऐसे ऐसे कई होटल और रेस्टोरेंट चल रहे हैं, जहां ग्राहकों को अशुद्ध, मिलावटी और बासी भोजन परोसा जाता है. सिलीगुड़ी जंक्शन, मल्लागुरी,मल्लागुड़ी, एनजेपी और शहर के कई इलाकों में कई होटल ऐसे हैं, जहां ग्राहकों को अस्वास्थ्य कर खाना परोसा जाता है, जिसे खाकर लोग बीमार हो सकते हैं. फूड सेफ्टी विभाग और संबंधित जांच इकाइयों के द्वारा ऐसे प्रतिष्ठानों को यह सख्त मैसेज क्यों नहीं दिया जाता कि अगर आप ग्राहकों के साथ धोखा करेंगे तो आपके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.

जो लोग जांच दल की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? बहुधा देखा जाता है कि दोषी दुकानदारों को चेतावनी या डांट फटकार के बाद ही जांच दल अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है. जबकि ऐसे प्रतिष्ठानों अथवा दुकानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. दीपावली को लेकर शहर की मिठाई दुकान गुलजार हैं. मिठाई विक्रेता कारीगरों से रात दिन मिठाई बनवा रहे हैं. फूड सेफ्टी विभाग को चाहिए कि इन मिठाई दुकानों में बनाई जा रही मिठाइयों के परिवेश अथवा बनी मिठाइयों को रखने की जगह की शुद्धता को लेकर एक सार्वजनिक संदेश जारी करे और हर मिठाई दुकानदार को चेतावनी जारी करे कि दूषित मिठाई बेचने का अंजाम अच्छा नहीं होगा.

कोलकाता के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग का अभियान सिलीगुड़ी और पूरे उत्तर बंगाल में चल रहा है. खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम में एनफोर्समेंट ब्रांच, स्वास्थ्य विभाग और संबंधित अन्य विभागों के अधिकारी शामिल होते हैं, जो होटल, रेस्टोरेंट, मिठाई की दुकानों तथा अन्य सामान्य दुकानों में जाकर खाने-पीने के सामानों की शुद्धता, क्वालिटी जांच और एक्सपायरी डेट का मुआयना करते हैं.

सिलीगुड़ी में फूड सेफ्टी विभाग का अभियान चलता रहता है. लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं होता. ऐसी शिकायत भी है कि बहुत सारी शिकायतें आने के बाद ही फूड सेफ्टी विभाग दुकानों या प्रतिष्ठानों पर रेड की कार्रवाई करता है. लेकिन इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कोई सख्त सजा होती हो, अब तक इसका कोई उदाहरण नहीं मिला है. अगर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती, तो बार-बार घटना की पुनरावृत्ति नहीं होती.

आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले सिलीगुड़ी में बिरयानी में कीड़ा पाया गया था. इसको लेकर काफी हंगामा भी बरपा गया. फूड सेफ्टी विभाग और संबंधित इकाइयां यूं तो प्रत्येक शुक्रवार को शहर की विभिन्न दुकानों में अभियान चलाती रही हैं. लेकिन शहर में सब जगह यह अभियान नहीं चलता है, जिसका फायदा अन्य दुकानदार उठाते रहते हैं. फूड सेफ्टी विभाग ने सिलीगुड़ी नगर निगम, एनफोर्समेंट, स्वास्थ्य विभाग और संबंधित विभागों के अधिकारियों के संयुक्त अभियान में गतकाल एक अभियान चलाया था. चलाए गए विशेष जांच अभियान में कई दुकानों में गंदगी, मिलावटी भोजन, बासी भोजन, पका भजन रखने की जगह गंदगी से भरा आदि स्थिति देखने को मिली. कोर्ट मोड़ से चलाए गए अभियान में जांच दल ने एक होटल में पाया कि फ्रिज में कॉकरोच था और वहीं बासी मोमो रखा था. हालांकि जांच दल ने मोमो को तो जब्त कर लिया है, पर जिम्मेदार व्यक्तियों अथवा होटल पर क्या कार्रवाई होगी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है.

यूं तो फूड सेफ्टी विभाग इसी के लिए होता भी है. लेकिन फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी और ड्यूटी के प्रति गंभीर नहीं होते हैं. वरना क्या कारण है कि सिलीगुड़ी में आए दिन यह खबर सुर्खियों में रहती है कि बिरयानी में कीड़ा मिला तो मोमो में कॉकरोच. सिलीगुड़ी शहर हो या कोई अन्य शहर, साधारण होटल, रेस्टोरेंट और मिठाई की दुकानों में अस्वच्छता, मिलावट और एक्सपायरी जैसी समस्याएं आम रहती हैं. एक ग्राहक को पता नहीं होता कि वह जो खा रहा है, वह क्या वाकई शुद्ध है. लेकिन जब वह बीमार होता है, तब सच्चाई सामने आती है.

हालांकि विशेष जांच दल के अधिकारियों ने दोषी दुकानों और दुकान मालिकों को सख्त निर्देश और चेतावनी जरूर दी है कि वे स्वच्छ वातावरण में खाना बनाने की व्यवस्था करें और मिठाई बनाने में इस्तेमाल किये जा रहे घातक रासायनिक पदार्थों से बचे. पर इतना ही काफी नहीं है. फूड सेफ्टी विभाग को सख्त होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए. क्योंकि यह स्वास्थ्य का मामला है. विभाग को ऐसी दुकानों पर भी नजर रखनी चाहिए जहां ड्राई फूड से लेकर खाने पीने के अन्य सामानों के पैकेट पर एक्सपायरी डेट होते हैं लेकिन उन्हें फेंकने की बजाय ग्राहकों को थमा दिए जाते हैं. आखिर दुकानों में एक्सपायरी सामान रखे ही क्यों जाएं?

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