अब तक ऐसा ही देखा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध अथवा तनाव या फिर दुनिया के सभी देशों में जब दो देशों के बीच युद्ध होता है, तो महंगाई की मार युद्ध वाले देशों को झेलनी ही पड़ती है. कदाचित यह पहला मौका है, जब पूरे भारत में महंगाई पर नियंत्रण बना रहा है.जहां तक बंगाल की बात है, यहां अभी ऐसी किसी भी वस्तु का दाम भारत पाक ”युद्ध” के कारण नहीं बढा है. ‘
भारत के लोगों को दोनों देशों के बीच तनाव और युद्ध से निजात तो मिली ही है, इसके साथ ही महंगाई के मोर्च पर भी सफलता मिली है. आशंका व्यक्त की जा रही थी कि सरकार जो आंकडे जारी करेगी, उसमें युद्ध की छाया जरूर नजर आएगी. यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार थोक महंगाई दर के आंकड़े विस्फोटक रूप में पेश कर सकती है. परंतु ऐसा नहीं हुआ. खुदरा महंगाई दर तो 6 साल के निचले स्तर 3.16% पर आ गई है. और तो और मार्च महीने में जो महंगाई दर थी, उससे भी घटकर अप्रैल महीने में 0.85% पर आ गई है. मार्च में यह 2.05% दर्ज की गई थी.
अगर डब्ल्यूपीआई इंडेक्स पर नजर डाले तो खाद्य पदार्थों पर महंगाई दर मार्च महीने की 1.57% की तुलना में गिरकर अप्रैल में 0.86% पर आ गई है. सब्जियों की कीमतों में तो देशव्यापी कमी दर्ज की गई है. अप्रैल महीने में सब्जियों की कीमत 18.26% घटी है. विनिर्मित वस्तुओं पर महंगाई दर घटकर 2.62% पर आ गई है. अगर यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि सरकार ने भारत की जनता को दो-दो बड़ी सौगात दी है. एक तो पाकिस्तान की बुरी तरह पिटाई की और दूसरे में मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण बनाए रखा. यानी वस्तुओं की कीमत नहीं बढ़ने दी गई.
अगर सरकार चुस्त हो और जनता के कल्याण के लिए अच्छी नीयत रखती हो तो जनता पर युद्ध का असर पड़ने नहीं देती. इस स्थिति में सरकार सर्वप्रथम बाजार में वस्तुओं की कमी होने नहीं देती. जब बाजार में वस्तुओं की किल्लत होती है तो इसका अर्थ होता है जमाखोरी और काला बाजारी, जो सीधे-सीधे महंगाई को प्रभावित करती है. केंद्र में भारत सरकार और राज्यों में राज्यों की सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण रखा है. जहां तक बंगाल सरकार की बात है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत पाकिस्तान युद्ध के पहले दिन से ही बाजार पर निगरानी बढ़ा दी.
जहां तक बंगाल सरकार की बात है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत पाक युद्ध के पहले दिन से ही फुटकर और थोक बाजारों पर नियंत्रण रखना शुरू कर दिया. उन्होंने ऑपरेशन महंगाई के तहत अधिकारियों की एक टीम का गठन किया और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि जनता की थाली पर महंगाई का असर नहीं होना चाहिए. उन्होंने स्वयं टास्क फोर्स का नेतृत्व किया है. टास्क फोर्स के अधिकारी बाजारों में जाते हैं और सीधे दुकानदारो से रूबरू होते हैं.
मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार टास्क फोर्स के अधिकारी कालाबाजारी और जमाखोरी पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. अचानक दाम ना बढ़े, इसके लिए सभी को हाई अलर्ट पर रखा गया है. दुकानदार और ग्राहक दोनों ही सजग हैं. खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसकी मॉनीटरिंग कर रही है. यही कारण है कि आज बाजार में सभी वस्तुओं का दाम लगभग स्थिर है. टास्क फोर्स के अधिकारी रोज बाजारों में जाकर मुआयना कर रहे हैं और ग्राहकों तथा दुकानदारों को समझा रहे हैं.
सिलीगुड़ी में जलपाई मोड बाजार, खालपारा बाजार, गांधी मैदान, रेलगेट बाजार, सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट, सालूगाड़ा बाजार, एकतियासाल इत्यादि कई बाजार हैं. खबर समय ने इन सभी बाजारों में जाकर महंगाई का आकलन किया तो कम से कम साग सब्जी की कीमतों में कोई उछाल नहीं आया है. भारत पाक युद्ध के पहले सब्जियों के दाम थे, आज भी उतना ही है. फुटकर बाजार में आलू ₹20 किलो, परवल ₹30 से ₹40 किलो, प्याज ₹25 से ₹30 किलो, टमाटर ₹20 किलो, करेला ₹30 किलो और अन्य सभी खाद सब्जियों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया है. यह जनता के लिए राहत की बात है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इसी तरह से बाजारों पर प्रशासन की सख्ती जारी रहेगी.