पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस इन दिनों दार्जिलिंग में विभिन्न दलों के नेताओं से मिल रहे हैं.भाजपा नेता राजू बिष्ट राज्यपाल से पहले ही मुलाकात कर चुके हैं. राज्यपाल इन दिनों जहां जहां जाते हैं,उनका विरोध शुरू हो जाता है. उत्तर बंगाल से लेकर बंगाल के दक्षिणी भाग में भी उनका पहले ही विरोध हो चुका है. अब तो तृणमूल कांग्रेस के नेता और मंत्री राज्यपाल के पीछे ही पड़ चुके हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार किस हद तक बढ़ चुकी है, इसकी झलक तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा के बयानों से ही मिल जाती है. बुधवार को उत्तर 24 परगना के इलाके में रथ यात्रा उत्सव के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा ने राज्यपाल को धमकी देते हुए कहा कि बंगाल छोड़ने के लिए राज्यपाल 11 जुलाई का टिकट बुक करा लें. इतना ही नहीं मदन मित्रा ने कहा कि राज्यपाल राज्य में हिंसा फैला रहे हैं.
मदन मित्रा ने राज्यपाल पर तंज कसते हुए कहा कि वे अंधे धृतराष्ट्र हैं.उन्होंने सवाल किया कि वे मणिपुर क्यों नहीं गए? क्या वहां राधा कृष्ण का प्रेम चल रहा था? मदन मित्र ने राज्यपाल पर हमला करते हुए कहा कि राज्यपाल राजभवन में बैठकर हिंसा की साजिश रच रहे हैं. विपक्ष को वे राजभवन बुला रहे हैं. गवर्नर हाउस में दुनिया भर से अपराधी कमर में पिस्तौल लेकर घूम रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि राज्यपाल जो भी कर सकते हैं, कर लें परंतु 11 तारीख का टिकट बंगाल छोड़ने के लिए जरूर कटा लें.
दूसरी ओर विपक्ष खासकर भाजपा राज्य चुनाव आयुक्त पर लगातार हमले कर रही है.भाजपा की ओर से राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य चुनाव आयोग को टीएमसी का संगठन बताया है! आरोप-प्रत्यारोप के बीच राज्य में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है
शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव के लिए राज्य में केंद्रीय बलों की कंपनियां पहुंच रही है.लेकिन जिस तरह से राज्य में हिंसा का वातावरण बना हुआ है, ऐसे में केंद्रीय बल मतदाताओं को कितनी सुरक्षा दे पाएंगे और क्या मतदाता निर्भीक होकर मतदान कर सकेंगे? यह भी सवाल उठ रहा है.