May 24, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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लालमोनिरहाट एयरबेस सिलीगुड़ी चिकन नेक के लिए खतरा क्यों है?

सिलीगुड़ी चिकन नेक से लगभग 20 किलोमीटर दूर बांग्लादेश लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से सक्रिय करने की तैयारी कर रहा है. इससे सिलीगुड़ी चिकन नेक की सुरक्षा को खतरा बताया जा रहा है. विश्लेषक और विशेषज्ञ दोनों ही बांग्लादेश की चाल को भारत खासकर सिलीगुड़ी चिकन नेक की सुरक्षा के लिए खतरा मान रहे हैं. भू रणनीतिक विश्लेषक और लेखक ब्रह्म चेलानी की टिप्पणी के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं.

दरअसल जो खबर प्राप्त हो रही है वह भारत को चिंता में डालने वाली है चीन और पाकिस्तान की मदद से बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की सरकार ब्रिटिश काल के लाल मोनिरहट एयरबेस को फिर से सक्रिय करने पर विचार कर रही है. चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत के शत्रु हैं और बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की सरकार भारत के विरोध में काम कर रही है.अगर यह खबर सही है तो चीन इस एयर बेस का इस्तेमाल भारत के विरोध में गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कर सकता है.

भारत के रक्षा सूत्रों का कहना है कि अगर बांग्लादेश अपना हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए एयरबेस को एक्टिवेट करना चाहता है, तो भारत को कोई एतराज नहीं है.क्योंकि हर देश तकनीकी और सामरिक दृष्टिकोण से मजबूत होना चाहता है. अगर बांग्लादेश अपना हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए ऐसा कर रहा है तो भारत को कोई एतराज नहीं है. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करें तो चिंता की बात हो जाती है. सुरक्षा एजेंसियां सच्चाई का पता करने में जुट गई हैं.

भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि लालमोनिरहाट एयरबेस को 1931 में ब्रिटिश सरकार ने तैयार करवाया था. इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध और वर्मा अभियान में किया गया था. 1947 के बाद लालमोनिरहट एयरबेस अपनी प्रासंगिकता खो चुका था और जब बांग्लादेश वजूद में आया तो यह एयरबेस पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका था. इतने लंबे सालों के बाद इस एयरबेस को अचानक एक्टिवेट करने की जरूरत क्यों पड़ी, यही चिंता का कारण है. क्योंकि आपको याद होगा कि मार्च में बांग्लादेश की सरकार ने बांग्लादेश में एयर फील्ड को एक्टिवेट करने की योजना का खुलासा किया था. उसके बाद ही सुरक्षा एजेंसियां काफी सतर्क हो गई हैं.

सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि बांग्लादेश का मकसद क्या है और इस खबर में सच्चाई कितनी है कि इस एयरबेस का इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान करने वाले हैं. लेखक और विश्लेषक ब्रह्म चेलानी कहते हैं कि भले ही भारत के साथ संघर्ष में चीन इस एयरबेस का इस्तेमाल लड़ाकू विमान के सीधे इस्तेमाल से बचे, परंतु वह एक रसद केंद्र के रूप में भारत के विरुद्ध जरूर इस्तेमाल कर सकता है. इसके जरिए चीन, सिलीगुड़ी चिकन नेक के महत्वपूर्ण सैनिक ठिकानों और प्रतिष्ठानों की हवाई निगरानी की क्षमता को सशक्त कर सकता है और ऐसा होता है तो यह चिकननेक के लिए खतरा सिद्ध होगा. अगर चिकन नेक खतरे में है तो देश का पूर्वी क्षेत्र संकट में आ सकता है.

भारत सरकार विशेषज्ञों और विश्लेषकों की चिंता का अध्ययन कर रही है. चिकन नेक के सामरिक ठिकानों की सुरक्षा पहले ही बढ़ा दी गई है. सुरक्षा एजेंसियां बांग्लादेश के उठाए जाने वाले कदमों पर भी नजर रख रही है. जिस तरह की खबर आ रही है कि बांग्लादेश की सरकार चीन और पाकिस्तान के सहयोग से एयरबेस को एक्टिवेट करना चाहती है, उस पर भी सुरक्षा एजेंसी की नजर है.अगर इसका दुरुपयोग नहीं होता है तो चिकन नेक पर कोई खतरा नहीं होगा. लेकिन अगर बांग्लादेश की नीयत में खोट है तो भारत को अपने सामरिक ठिकानों की मजबूती के लिए और पुख्ता तैयारी करनी होगी.

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