सिलीगुड़ी, Dooars, समतल और पहाड़ में छठ महापर्व का अद्भुत नजारा देखा जा रहा है. घर से लेकर बाजार तक चहल पहल है. आज व्रत का तीसरा दिन है. छठ व्रती आज डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देंगे. चारों तरफ छठ महा पर्व की धूम है. व्रती छठी मैया के गीत में डूबे हुए हैं और विधि विधान के साथ पूजा कर रहे हैं. सिलीगुड़ी, समतल से लेकर पहाड़ तक नदियों और तालाबों के किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. छठ घाटों की सजावट देखते बन रही है.
स्थानीय छठ पूजा कमेटियों और प्रशासन के द्वारा छठ घाटों पर रोशनी, सजावट और साफ सफाई का पूरा इंतजाम किया गया है. सिलीगुड़ी में विभिन्न छठ घाटों पर लाइटिंग का अद्भुत नजारा श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर देता है. छठव्रतियों के लिए प्रशासन के द्वारा सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. इसके अलावा स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी व्रती की सहायता के लिए तत्पर देखे जा रहे हैं. सिलीगुड़ी के कई घाटों पर लोक कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
नहाए खाए के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी. बुधवार को छठ व्रतियों ने पूरे उत्साह और भक्ति भाव के साथ खरना मनाया. खरना में गुड़ की बनी खीर खाई जाती है. यह छठी मैया का महत्वपूर्ण प्रसाद होता है और शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है.आज बृहस्पतिवार को पहला अर्घ्य होगा और शुक्रवार की सुबह दूसरे अर्घ्य के साथ ही चार दिनों का यह महापर्व संपन्न हो जाएगा. यह महापर्व प्रकृति को समर्पित है, जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा होती है. छठ पर्व पर छठ व्रती जल में प्रवेश कर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं.
छठ पर्व बेहद कठिन, नियम और संयम तथा तपस्या का पर्व है. इसकी तैयारी कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है. छठी मैया के बारे में अनेक कथाएं कही जाती हैं. एक कथा के अनुसार छठी मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है और सूर्य देव की बहन है. छठी मैया को संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में बताया गया है. छठ महापर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है. हालांकि इसका आरंभ नहाए खाए से ही हो जाता है. यह व्रत परिवार की सुख समृद्धि, संतान की दीर्घायु और रोग मुक्त जीवन के लिए किया जाता है.सूर्य की आराधना से ऊर्जा और शक्ति मिलती है. यह जीवन में सकारात्मक संदेश लाता है.
आज सुबह से ही सिलीगुड़ी के विभिन्न बाजारों में छठ पूजन के लिए सामग्री के खरीददारों की भीड़ देखी गई. छठ घाट तो एक दिन पहले ही सज चुके थे. छठ घाटों की सजावट को देखकर ऐसा लगता है कि सिलीगुड़ी के मध्य से गुजरने वाली महानंदा नदी जरूर धन्य हो गई होगी. साफ निर्मल पानी, नदी के तट को भांति भांति के फूलों, केले के वृक्षों, हरी पत्तियों तथा रोशनी से सजाया गया है. सिलीगुड़ी के चौक चौराहों और घाटों पर छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं. कुछ समय पहले तक छठ महापर्व एक समुदाय के द्वारा किया जाता था. लेकिन बाद में इसका विस्तार होता चला गया और आज यह महापर्व एक ग्लोबल स्वरूप ले चुका है.