देश में भारत और पाकिस्तान के बीच मंडराते युद्ध व हिंदू मुस्लिम के बीच तनाव के बीच सरकार ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है. एनसीईआरटी की पुस्तकों से मुगलों का इतिहास गायब कर दिया गया है. यानी बच्चे अब इतिहास तो पढ़ेंगे, लेकिन उस इतिहास में मुगल शासको से जुड़े किसी भी चैप्टर अथवा संदर्भ को नहीं पढेंगे. एनसीईआरटी की कक्षा 7 की इतिहास की पुस्तक में से दिल्ली सल्तनत के सभी चैप्टर को हटा दिया गया है.
सरकार ने यह फैसला अच्छा किया है या बुरा, इस पर खबर समय अपना कोई दृष्टिकोण प्रस्तुत करना नहीं चाहता है. परंतु देश के कुछ शिक्षाविदों और इतिहासकारों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. यह जरूरी नहीं है कि आप उनकी प्रतिक्रिया से भी सहमत हो. आप अपनी निजी विचार रख सकते हैं.
सबसे पहले यह जानते हैं कि एनसीईआरटी की नई पाठ्य पुस्तकों में कक्षा 7 की पुस्तकों से क्या-क्या चैप्टर गायब किए गए हैं? मुगल और दिल्ली सल्तनत के सभी चैप्टर हटा दिए गए हैं. उनकी जगह पर पवित्र भूगोल, महाकुंभ, सरकारी योजनाएं, भारतीय राजवंश आदि अध्याय जोड़े गए हैं.एनसीईआरटी सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पाठ्य पुस्तक में यह पहला बदलाव है और दूसरा बदलाव आने वाले कुछ समय में जारी किया जाएगा. दिल्ली सल्तनत और मुगल इतिहास को फिर से जोड़ने अथवा हमेशा के लिए हटाने के बारे में फिलहाल कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है.
कक्षा 7 की इतिहास की पुस्तक का नाम सामाजिक विज्ञान है. कोविद-19 के दौरान एनसीईआरटी के अधिकारियों ने इस पुस्तक में मुगल और दिल्ली सल्तनत पर पहले ही कुछ चैप्टर हटा दिए थे. लेकिन अब जो नई पाठ्य पुस्तक आई है, उनमें से दिल्ली सल्तनत और मुगल शासको के बारे में बच्चों को कोई जानकारी नहीं दी गई है यानी बच्चे मुगल इतिहास नहीं पढ़ पाएंगे. इस पुस्तक का नाम एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियोंड है.
पुस्तक में भारतीय राजवंश जैसे मगध, मौर्य, शुंग, सातवाहन आदि की जानकारी दी गई है. इसके अलावा पवित्र भूगोल के अंतर्गत भारत की पवित्र तीर्थ यात्राओं तथा पवित्र स्थान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. उपरोक्त के अलावा 12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम यात्रा, शक्तिपीठ आदि का भी संपूर्ण विवरण है. महाकुंभ 2025 को विशेष स्थान दिया गया है. इसमें कहा गया है कि महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए 66 करोड लोग आए हुए थे.
सरकार ने फैसला किया है कि बच्चों को मुगल शासको के बारे में न पढ़ाकर उसके स्थान पर भारतीय राजवंश, महाकुंभ, मेक इन इंडिया, अटल सुरंग, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, इत्यादि पढ़ाए जाएं. ताकि उन्हें भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परंपरा के बारे में अच्छी जानकारी हो सके. सरकार ने माना है कि यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और स्कूल शिक्षा के लिए उपयुक्त है. हालांकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहासकार प्रोफेसर अली नदीम रिजवी समेत कई शिक्षाविदों और इतिहासकारों ने सरकार के फैसले पर अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है.
प्रोफेसर अली नदीम रिजवी का कहना है कि इतिहास चाहे अच्छा हो या बुरा, वह इतिहास होता है और उसे बदला नहीं जा सकता है. लेकिन अगर कुछ नए तथ्य अथवा सभ्यता और संस्कृति से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को इतिहास में शामिल किया जाता है तो यह अच्छी बात है. परंतु इतिहास से किसी भी महत्वपूर्ण संदर्भ को हटा देना उचित नहीं है. अपनी प्रतिक्रिया में शिक्षाविदों का मानना है कि बच्चों को इतिहास पढ़ने और जानने का पूरा अधिकार है. इतिहास की पुस्तक में से किसी भी महत्वपूर्ण संदर्भ को बदला नहीं जाना चाहिए.
शिक्षाविदों का मानना है कि मुगल काल में भारत कैसा था, मुगल शासको का देश के लिए क्या योगदान था, यह जानना जरूरी है. इसके अलावा अगर आपके पास कुछ नयी जानकारी मौजूद है तो उसे भी पाठ्य पुस्तकों में दे सकते हैं. आप बच्चों को महाकुंभ, मेक इन इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे विषय उसमें शामिल करके पढ़ा सकते हैं. बच्चों को भारतीय संस्कृति, सभ्यता और समाज के बारे में जानने का पूरा अधिकार है. परंतु भारतीय सभ्यता और संस्कृति में मुगलों के योगदान को नजरअंदाज करना अच्छी बात नहीं है.
हर विचारक का अपना दृष्टिकोण है. इतिहासकार का अपना नजरिया होता है. अभी तो यह शुरुआत है. क्योंकि जिस तरह से एनसीईआरटी के अधिकारी बता रहे हैं, अगले कुछ समय में दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव सामने आने वाला है. उसी समय यह स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि जिन चैप्टर को हटाया गया है, उन्हें वापस लिया जाएगा या नहीं. तब तक देश भर में सस्पेंस व्याप्त है और लोगों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. एक पक्ष के लोगों का तर्क है कि सरकार ने महत्वपूर्ण और अच्छा कदम उठाया है.जबकि दूसरे पक्ष के लोग सरकार के कदमों को इतिहास से खिलवाड़ बता रहे हैं. आपकी क्या राय है, खबर समय को जरूर बताइएगा.