भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई को काबू में नहीं कर पा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक की उम्मीद के विपरीत जनवरी महीने में महंगाई दर 6.52% पाई गई. जबकि रिजर्व बैंक 6% से नीचे लाने की उम्मीद लगा रहा था. भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई का दायरा 4 से 6% रखा है. अब ऐसा लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने जैसे हाथ खड़े कर दिए हैं. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सरकार को तेल पर शुल्क कम करने की सलाह दी है.
सूत्र बता रहे हैं कि बहुत जल्द डीजल और पेट्रोल के मूल्यों में गिरावट देखने को मिल सकती है. सरकार का तेल कंपनियों पर दबाव और प्रयास बढ़ गया है. सरकार यह समझ चुकी है कि महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक का प्रयास काफी नहीं है. पिछले कई महीनों से भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई को काबू में करने के प्रयास कर रहा है. लेकिन महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में भारत सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल और डीजल के मूल्यों में कमी कर सकती है.
देखा जाए तो पेट्रोल और डीजल के मूल्यों में वृद्धि से आटा, दाल समेत कई वस्तुओं के भाव बढ़ गए हैं. पिछले 1 वर्ष में दूध, आटा,घी,दाल, सब्जी जैसी बुनियादी वस्तुओं के दामों में वृद्धि का एक कारण पेट्रोल और डीजल के दामों का बढना रहा है. रिजर्व बैंक ने भी इसको माना है. हो सकता है कि यह आपको एक कल्पना लगे परंतु सच यही है कि सरकार अगले महीने डीजल और पेट्रोल के मूल्यों में कमी लाने का मार्ग प्रशस्त कर सके. दरअसल इसके कारण भी हैं.
2023 में देश के 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. त्रिपुरा के चुनाव हो चुके हैं. वहां भाजपा की सरकार रही है. परंतु एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि त्रिपुरा के लोग भाजपा तथा भाजपा की नीतियों से दूर होते जा रहे हैं. वहां सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई को लेकर रहा है. अगर त्रिपुरा का परिणाम नकारात्मक रहा तो भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है.
सरकार को यह बात समझ में आ गई है कि अगर महंगाई पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो इस साल होने वाले कई राज्यों में चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान हो सकता है. केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों से लिए जाने वाले एक्स्ट्रा विंड फाल टैक्स को घटाने का फैसला लिया है. अब तक प्रति लीटर डीजल पर कंपनियां ₹7 50 तक विंड फाल टैक्स देती थी. लेकिन अब ढाई रुपए ही देना होगा. इस तरह प्रति टन क्रूड आयल पर लगने वाला विंड फाल टैक्स ₹5050 से घटकर ₹4350 रह गया जाएगा. इससे तेल कंपनियों पर टैक्स का बोझ कम होगा और वे पेट्रोल-डीजल पर राहत दे सकती हैं.
आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल के दाम इसलिए भी कम हो सकते हैं कि तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का हवाला देकर पेट्रोल-डीजल महंगा बेच रही है. किंतु पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल के दाम $120 से घटकर $76 पर आ चुके हैं. इसके साथ ही 1 वर्ष से तेल कंपनियों को पेट्रोल पर लगभग ₹10 प्रति लीटर का लाभ हो रहा है. ऐसे में उनके घाटे की भरपाई भी हो चुकी है.
शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी. हालांकि इसमें पेट्रोल डीजल के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका, पर इस बात के आसार बढ़ गए हैं कि मार्च महीने में होने वाली बैठक में इस पर सरकार जरूर फैसला लेगी. त्रिपुरा के चुनाव परिणाम टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकते हैं.