सिक्किम की राजनीति में आज उस समय तेज धमाका हो गया, जब हमरो सिक्किम पार्टी के बाइचुंग भूटिया ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा कि उनकी पार्टी का पवन चामलिंग की पार्टी एसडीएफ के साथ विलय हो रहा है. जैसे ही बाइचुंग भूटिया के द्वारा इसका ऐलान किया गया, गंगतोक और सिक्किम के कई क्षेत्रों में एसडीएफ तथा हमरो सिक्किम पार्टी के कार्यकर्ता खुशी मनाने लगे. तो वहीं यह खबर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा एसकेएम पर मानो बिजली गिरने जैसी थी.
सिक्किम में अगले साल विधानसभा का चुनाव हो रहा है. मुकाबला दो पार्टियों के बीच होगा. पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग की एसडीएफ तथा मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की पार्टी एसकेएम के बीच होगा. पिछले काफी समय से पवन चामलिंग सिक्किम की राजनीति की धुरी बन चुके हैं और लगातार प्रेम सिंह तमांग सरकार की नीतियों, सिद्धांतों और कार्यों पर हमले कर रहे हैं. सिक्किम को विकास के क्षेत्र में पीछे धकेलने का आरोप प्रेम सिंह तमांग सरकार पर लगाते हुए वे उनकी सरकार को सिक्किम की जनता की सुरक्षा, शांति और सुखी जीवन के लिए खतरा बताते हैं सिक्किम में एसडीएफ और एसकेएम की राजनीति और सिद्धांतों से हटकर एक और पार्टी हमरो सिक्किम पार्टी वजूद में आई थी, जो दुनिया के मशहूर फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया के नेतृत्व में सिक्किम में परिवर्तन के लिए ही बनी थी.
आज स्वयं बाइचुंग भूटिया ने अपनी पार्टी का पवन चामलिंग की पार्टी के साथ सिक्किम की जनता के साथ माफी मांगते हुए यह कह कर विलय कर दिया कि अकेले उनकी पार्टी सिक्किम में परिवर्तन नहीं ला सकती. यानी तस्वीर साफ हो चुकी है कि अगला चुनाव प्रेम सिंह तमांग वर्सेस पवन चामलिंग होगा. पवन चामलिंग सिक्किम की राजनीति में एक ऐसे स्तंभ है जिन्हें उखाड फेंकना आसान नहीं है.
पवन चामलिंग के बारे में सिक्किम में यह बात मशहूर है कि सिक्किम का आज जो स्वरूप है, उसे उन्होंने ही खड़ा किया है. सिक्किम में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर होटल, रिसोर्ट, शोरूम, केसिनो, परिवहन, सूचना तंत्र इत्यादि विकास के विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने जो काम किया, उसके लिए लोग उन्हें याद करते हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग का विकास शासन प्रणाली, सिक्किम की जनता, कर्मचारी और कई अन्य क्षेत्रों में बहुत सीमित रहा है. इसका कारण भी है कि प्रेम सिंह तमांग सिक्किम की राजनीति के कोई पुराने खिलाड़ी नहीं है.
जबकि पवन चामलिंग ने सबसे लंबे समय तक सिक्किम के मुख्यमंत्री होने का एक इतिहास कायम किया है. उन्होंने देशभर में सबसे ज्यादा समय तक बंगाल पर शासन करने वाले ज्योति बसु का भी रिकॉर्ड तोड़ा है. ज्योति बसु ने बंगाल पर 23 सालों तक शासन किया. जबकि पवन चामलिंग ने उनसे ज्यादा समय तक सिक्किम में शासन किया. यही कारण है कि उन्हें सिक्किम को सजाने और संवारने का पूरा अवसर मिला और आज सिक्किम का जो स्वरूप नजर आ रहा है, जानकार मानते हैं कि वह पवन चामलिंग की ही देन है!
सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी के बाद पवन चामलिंग ने सिक्किम की सत्ता संभाली थी. उन्होंने नर बहादुर भंडारी की पार्टी सिक्किम संग्राम परिषद को चुनाव में हराया था. नर बहादुर भंडारी ने सिक्किम पर 15 वर्षों तक शासन किया था. चामलिंग ने मई 2014 में पांचवीं बार सिक्किम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 29 अप्रैल 2018 को पवन चामलिंग ने पूरे देश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का एक इतिहास बनाया था.
अगर पिछले विधानसभा चुनाव 2019 की बात करें तो सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों में से पवन चामलिंग की एसडीएफ को 15 सीट मिली थी. जबकि सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीट हासिल हुई थी. मात्र दो सीट से ही पवन चामलिंग सिक्किम में एक बार फिर से सरकार बनाते-बनाते रह गए थे. अब 2024 में सिक्किम में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव होगा. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है.
2024 का चुनाव पवन चामलिंग के लिए आखिरी चुनाव होगा. स्वयं चामलिंग ने इस बात की घोषणा कर दी है कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा. उसके बाद संभवत: चामलिंग राजनीति से संन्यास ले सकते हैं.राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बाइचुंग भूटिया के सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट में शामिल हो जाने से उन्हे एसडीएफ और पवन चामलिंग का उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है. हो सकता है कि बाइचुंग भूटिया और पवन चामलिंग के बीच कोई गुप्त करार हुआ हो. हालांकि इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकती है.
बहरहाल आज के घटनाक्रम ने सिक्किम के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग तथा उनकी पार्टी एसकेएम की चिंता जरूर बढ़ा दी है.