सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अंतर्गत किसी भी थाने के लॉकअप में नहीं होगा आरोपियों पर अत्याचार एव॔ जबरदस्ती! नहीं होगी कैदियों के साथ पुलिस की मार पिटाई अथवा आरोपी पुलिस के बीच कोई गुप्त समझौता! सब कुछ पारदर्शी होगा और अदालत को दिया जाएगा सबूत!
यह सबूत होगा आधुनिक सीसीटीवी कैमरा! पुलिस और आरोपी के बीच संवाद रिकॉर्डिंग सिस्टम और सीसीटीवी फुटेज! पुलिस अथवा कोई भी अधिकारी उसे डिलीट नहीं कर सकेगा! कम से कम 7 से 10 दिनों की सीसीटीवी फुटेज और रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाएगी, ताकि अदालत में उसे प्रस्तुत किया जा सके और विचाराधीन कैदी तथा पुलिस का असली चेहरा उजागर हो सके.
अक्सर पुलिस पर आरोप लगता रहा है कि पुलिस कैदियों के साथ अच्छा सलूक नहीं करती तथा लॉकअप में बंद करके मारपीट करती है. अभी कुछ ही दिनों पहले प्रधान नगर थाना के लॉकअप में एक कैदी ने आत्महत्या की कोशिश की थी. बाद में उसकी मौत हो गई. कैदी के परिजनों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने कैदी के साथ मारपीट की थी. अब पुलिस शायद ऐसा नहीं कर सकेगी क्योंकि पूरे थाने पर कम से कम 3 सीसीटीवी कैमरे पुलिस और कैदियों पर नजर रख सकेंगे. इन सीसीटीवी कैमरों की विशेषता यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होंगे और हमेशा एक्टिव रहेंगे.
मजे की बात यह है कि किसी भी थाने का ओसी अथवा आईसी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करेंगे क्योंकि उनके कक्ष में भी सीसीटीवी कैमरा लगा होगा. साथ ही पुलिस अधिकारियों से मिलने आए आगंतुक लोगों तथा पुलिस अधिकारियों की बातचीत की भी रिकॉर्डिंग होगी. इसलिए पुलिस अधिकारी संभल कर और सतर्क होकर अपना काम करेंगे. इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लॉकअप में कैदी सुरक्षित रहेंगे.
यूं तो वर्ष 2021 में ही पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के प्रत्येक थाने में सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य कर दिया था. राज्य सरकार के निर्देश के बाद सिलीगुड़ी के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था कर दी गई. परंतु कुछ दिनों के बाद यह देखा गया कि सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे हैं और ना ही थाने में सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्डिंग उपलब्ध हैं. उसकी विफलता से सबक लेते हुए अब सिलीगुड़ी के सभी थानों में अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाने की व्यवस्था हो रही है.
पश्चिम बंगाल सरकार एक निजी संस्था को थानों में अत्याधुनिक कैमरा लगाने और वीडियो रिकॉर्डिंग की जिम्मेवारी देने जा रही है. निजी संस्था के अधिकारी और कर्मचारी समय-समय पर आकर सीसीटीवी कैमरे, दूसरे यंत्रों की जांच करते रहेंगे. इसके अलावा फुटेज संग्रह आदि भी देखेंगे.
सूत्र बता रहे हैं कि बहुत जल्द यह काम शुरू हो जाएगा. ना केवल सिलीगुड़ी में ही बल्कि दार्जिलिंग और कालिमपोंग जिले में भी यह व्यवस्था होने जा रही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि साल 2020 में पंजाब में एक घटना घटी थी. इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने एक नई निर्देशिका जारी की थी. इसके अनुसार देश के प्रत्येक थाने में कैदी रूम से लेकर पुलिस अधिकारियों के रूम में भी सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया था. कोर्ट का निर्देश था कि कम से कम 7 दिनों से लेकर 10 दिनों की सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाए. उसी गाइडलाइंस का पालन सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग और कालिमपोंग जिले में किया जा रहा है!