पिछले साल की तुलना में इस साल सिलीगुड़ी के निजी नर्सिंग होम व हॉस्पिटल खाली खाली से पड़े हैं. रोगियों की तादाद कम है. नर्सिंग होम और अस्पतालों में जो रोगी हैं, वे या तो स्थानीय हैं या फिर पहाड़ के रोगी हैं. सूत्रों ने बताया कि यहां के नर्सिंग होम और अस्पतालों को जिन रोगियों का बेइंतजार रहता है, वे बांग्लादेश के होते हैं, जो इलाज कराने के लिए सिलीगुड़ी आते हैं.
जानकार बताते हैं कि बांग्लादेश से सिलीगुड़ी इलाज कराने आए रोगी अस्पताल और डॉक्टर की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करते हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे यहां पूर्ण इलाज कराते हैं और जब तक वे स्वस्थ नहीं हो जाते, तब तक डॉक्टर और अस्पताल के संपर्क में रहते हैं. जबकि स्थानीय रोगी काम चलाऊ ठीक होने के बाद निजी अस्पताल अथवा नर्सिंग होम से छुट्टी लेकर घर पर इलाज कराते हैं. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि निजी अस्पताल और नर्सिंग होम बांग्लादेश के रोगियों से दवाई, बेड और इलाज के नाम पर मनमानी फीस वसूल करते हैं.
हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह बता पाना मुश्किल है. पर एक सच्चाई तो यह है कि बांग्लादेश में अशांति के बाद भारत सरकार ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए सामान्य वीजा देना बंद कर दिया है. केवल आपातकालीन स्थितियों में ही बांग्लादेशी नागरिकों को भारत का वीजा दिया जा रहा है. इस स्थिति में कई रोगी और बांग्लादेशी नागरिक चाहकर भी सिलीगुड़ी नहीं पहुंच पा रहे हैं. ना ही वे अपना इलाज करा पा रहे हैं. केवल चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, सिक्किम और Dooars के पर्यटन को झटका लगा है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चिकित्सा वीजा पर भारत के सिलीगुड़ी में इलाज कराने वाले बांग्लादेशी रोगियों की संख्या में लगभग 30% से 40% तक की गिरावट आई है. सिलीगुड़ी के निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों के बेड काफी खाली होने का एक कारण यह भी है. यह राहत की बात है कि वर्तमान समय में सिलीगुड़ी में कोई बड़ा स्वास्थ्य संकट नहीं है. दूसरे में बांग्लादेश के रोगी यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं. भारत सरकार बांग्लादेशी नागरिकों को केवल आपातकालीन वीजा की अनुमति दे रही है. इससे बांग्लादेश से सिलीगुड़ी आने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है.
इसका प्रमाण है फुलबारी चेक पोस्ट पर स्थित आईसीपी जहां फिलहाल शांति और वीरानी है. जब बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार यानी शेख हसीना की सरकार थी, तब फुलबारी चेक पोस्ट से बांग्लादेश से सिलीगुड़ी और सिलीगुड़ी से बांग्लादेश आने जाने वाले लोगों की चहल पहल देखी जाती थी. रोजाना लगभग दो सौ से ढाई सौ लोग बांग्लादेश और सिलीगुड़ी आते जाते थे. इमिग्रेशन विभाग का कार्य भी चुस्ती से चलता था. परंतु नई सरकार आने के बाद बांग्लादेश और भारत के बीच फुलबारी इमीग्रेशन से आवागमन करने वाले लोगों की संख्या शतक तक सिमट कर रह गई है.
सिलीगुड़ी के कई लोगों का बांग्लादेश से पारिवारिक रिश्ता रहा है. इसी तरह से बांग्लादेश के कई परिवारों की रिश्तेदारी सिलीगुड़ी में है. शादी, विवाह, समारोह के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच लोगों का पहले आसानी से आवागमन होता रहता था. परंतु इस समय अपने रिश्तेदार के विवाह अथवा भेंट मुलाकात में वीजा की समस्या आडे आ रही है. वीजा मिलने में जो कठिनाई सामने आ रही है,उससे कई परिवार अपने घर तक ही सिमट कर रह गए हैं. केवल फोन पर ही एक दूसरे को बधाई और हाल-चाल पूछ लेते हैं.
सिलीगुड़ी के कुछ निजी अस्पतालों ने बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान में बांग्लादेश से बहुत कम रोगी सिलीगुड़ी इलाज के लिए आ रहे हैं. उनके अनुसार कम से कम 15% तक की गिरावट बांग्लादेशी मरीजों में आई है. इससे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम की कमाई घट गई है. एक अनुमान के अनुसार सिलीगुड़ी में अस्पताल के कुल राजस्व का लगभग 10% हिस्सा बांग्लादेशी मरीजों से आता है. यही हाल भारतीय पर्यटन क्षेत्र में भी देखा जा रहा है. सिलीगुड़ी के आसपास के क्षेत्र में पर्यटन के इरादे से आने वाले बांग्लादेशी पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है. इसका सीधा असर भारत की विदेशी मुद्रा पर पड़ा है.
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि बांग्लादेश में अशांति और उपद्रव के बाद एक तरफ सिलीगुड़ी के निजी अस्पतालों की कमाई घट गई है. दूसरी तरफ पर्यटन क्षेत्र को भी भारी धक्का पहुंचा है. सिलीगुड़ी के टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन का भी यही मानना है. जब तक भारत सरकार बांग्लादेश के लिए सरल वीजा प्रावधान पहले की तरह लागू नहीं कर देती है, तब तक यही स्थिति बनी रह सकती है.