सिलीगुड़ी के अभिभावकों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं. निजी स्कूलों की फीस वृद्धि की मनमानी को लेकर उनका सर दर्द कम होने वाला है. अब निजी स्कूल मनमानी फीस वृद्धि नहीं कर सकेंगे. उन्हें एक कानून के दायरे में ही रहना होगा और कानून के अनुसार ही फीस वृद्धि का लक्ष्य तय करना होगा. आज ऐसा कुछ नहीं है. इसलिए उनकी मनमानी चल रही है. लेकिन अब इस संबंध में एक कानून पश्चिम बंगाल सरकार ला रही है. सिलीगुड़ी के अभिभावक उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही सरकार कानून बनाकर निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाए.
राज्य सरकार के स्कूलों में अच्छी पढ़ाई नहीं होने, शिक्षकों की कमी और उचित शैक्षिक वातावरण के अभाव में एक गरीब से गरीब परिवार भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहता है. निजी स्कूलों में बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सिलीगुड़ी में अनेक निजी स्कूल खुल गए हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश निजी स्कूलों का उद्देश्य पढ़ाई से ज्यादा पैसे कमाना होता है.
क्या आपने महसूस किया है कि जब आप अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में कराते हैं, तो उस समय दाखिले पर जो पैसे फीस समेत आपसे लिए जाते हैं और एक अंतराल के बाद वही फीस आपके लिए ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देती है, जैसे कोई चीज ना निगलते बनता है और ना उगलते. समय बीतते स्कूल प्रबंधन की ओर से एक ‘रहस्यमय फीस वसूली’ का चक्र चलता है, जो कभी-कभी अभिभावकों के लिए सर दर्द बन जाता है.
यह कोई असामान्य बात नहीं है, जब कुछ ही समय में अभिभावकों के द्वारा स्कूल को चुकाई जाने वाली फीस की रकम लगभग दुगुनी हो जाती है. इसमें मंथली फीस के साथ-साथ ड्रेस, कॉपी, किताब, स्टेशनरी, मनोरंजन और विभिन्न खर्चो को जोड़ा जाए तो साल बीतते बीतते अभिभावकों को यह काफी भारी पड़ने लगता है. कई बार अभिभावक स्कूल प्रबंधन की मनमानी से नाराज हो जाते हैं और अपने बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी तक दे डालते हैं. हालांकि इन स्कूलों को पता होता है कि एक बार दाखिला होने के बाद अभिभावक अपने बच्चों को चाह कर भी विद्यालय से अलग नहीं कर पाते.
जो भी हो, यह तो सभी जानते हैं कि निजी स्कूलों में फीस वृद्धि की गति बैंकों के चक्रवृद्धि ब्याज की गति से काफी तेज होती है. बैंकों और दूसरी संस्थाओं के तो कुछ नियम और निर्दिष्ट होते हैं, जबकि निजी स्कूलों की तो केवल मनमानी ही चलती है. इस बात का प्रमाण है कि कोरोना के समय में भी निजी स्कूलों ने अभिभावकों को नहीं बख्शा और उस बात की भी फीस वसूली, जिनका उनके बच्चों ने कभी उपयोग ही नहीं किया. बहुत से अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नहीं करा पाते हैं तो एक बड़ा कारण यह भी है.
यह समस्या और चिंता केवल अभिभावकों की ही नहीं है, बल्कि सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. पहले भी अभिभावक फोरम ने निजी स्कूलों में फीस वृद्धि की मनमानी को रोकने के लिए सरकार से फरियाद की थी. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार बेबस बनी रही. क्योंकि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए कोई उचित कानून नहीं है. शायद इसी को देखते हुए अब बंगाल सरकार एक विधेयक ला रही है, जो अभिभावकों की परेशानी को दूर करेगा.
पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि फीस संरचना में किसी प्रकार का विनियमन होना चाहिए. इसलिए हमने इस संबंध में एक मसौदा तैयार किया है और इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी मंजूरी के लिए भेजा भी है. इसे विधानसभा में एक विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा. हालांकि यह देखना होगा कि विधेयक के सदन में पेश होने के बाद पारित कराने और कानून के रूप में स्वीकृति देने में कितना वक्त लगता है.