पिछले कुछ दिनों से सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में छोटे बच्चों को एक विशेष प्रकार की संक्रामक बीमारी से दो चार होना पड़ रहा है. हालांकि यह कोई जानलेवा बीमारी नहीं है. इसलिए इसकी चर्चा भी ज्यादा नहीं हो रही है.क्योंकि देखा गया है कि लगभग 1 हफ्ते में ही संक्रमित शिशु बिना किसी उपचार के ही अपने आप ठीक हो जाता है.
इस बीमारी में आमतौर पर बच्चों के शरीर पर लाल चकत्ते आ जाते हैं. इसके अलावा बच्चे में बुखार, आंखों का सूज जाना, लाल होना, सिर दर्द ,नाक का बहना, खांसी, कान में दर्द ,जोड़ों में दर्द इत्यादि लक्षण देखे जा रहे हैं. यह सभी लक्षण रूबेला बीमारी के लक्षण है. जिसको आप एक तरह से चेचक भी कह सकते हैं. हमारे देश में इसे जर्मन मीजल्स के नाम से जाना जाता है.
विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया है कि जर्मन मीजल्स कोई भयानक बीमारी नहीं है और यह अपने आप ठीक भी हो सकती है. संक्रमित बच्चे का सही रखरखाव करने पर जल्दी ही यह संक्रामक रोग ठीक हो जाता है. इस बीमारी का कोई समय निश्चित नहीं होता. परंतु जब तक बच्चा इससे संक्रमित रहता है, तब तक वह बेचैनी महसूस करता है. अब स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों को ऐसे संक्रामक रोग से छुटकारा दिलाने का फैसला किया है.
मिली जानकारी के अनुसार अगले साल 9 जनवरी से 11 फरवरी तक सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से रूबेला बीमारी का वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा. जबकि पहाड़ में यह अभियान 25 फरवरी से लेकर 12 मार्च तक चलेगा.
सूत्रों ने बताया कि उत्तर बंगाल के 8 जिलों में यह अभियान चलेगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से 472 5929 बच्चों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा गया है. स्वास्थ्य विभाग वैक्सीनेशन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है. वैक्सीनेशन कार्यक्रम में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए, इसका खास ख्याल रखा जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी ओएसडी सुशांत राय तथा चिकित्सा अधिकारी शुभेंदु राय से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग जिला मुख्यालय पर वैक्सीन और सिरिंज की विधिवत जांच करेगा. उसके पश्चात ही बच्चों तक पहुंचाया जाएगा.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, ओएसडी सुशांत राय तथा चिकित्सा अधिकारियों की ओर से सिलीगुड़ी तथा उत्तर बंगाल के अभिभावकों से अपील की गई है कि वह अपने बच्चों को रूबेला वायरस की वैक्सीन जरूर दिलवाए, ताकि बच्चों के इस रोग पर काबू पाया जा सके. अब देखना है कि स्वास्थ्य विभाग की अपील का सिलीगुड़ी और आसपास के बच्चों के अभिभावकों पर कितना असर पड़ता है.