भूटान से कश्मीर और म्यांमार-नेपाल से दिल्ली एनसीआर पिछले 36 घंटे में 7 बार भूकंप से कांपा है. सिलीगुड़ी के नजदीक नेपाल और भूटान दो पड़ोसी देश हैं. नेपाल में 12 जून की सुबह 7: 23 पर भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.5 मापी गई. भूटान में 12 जून की रात 1:18 पर भूकंप आया.रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.9 मापी गई.
असम में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. यहां कार्बी आंगलोंग में भूकंप के झटके महसूस हुए. इसकी तीव्रता 2.8 मापी गई. यह भूकंप 12 जून की रात लगभग 10:47 पर आया था. कहने का मतलब यह है कि सिलीगुड़ी के अलावा आसपास के सभी क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि सिलीगुड़ी भूकंप से कितना दूर है?
मंगलवार की दोपहर 1:33 पर जम्मू-कश्मीर के डोडा में 5.4 रिक्टर स्केल का एक भूकंप आया. 5.4 तीव्रता का भूकंप कोई मामूली नहीं होता है. इसे ताकतवर श्रेणी में रखा गया है. यही कारण है कि इस भूकंप के झटके कई इलाकों में महसूस किए गए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार 4.4 रिक्टर पैमाने के भूकंप की दोबारा संभावना रहती है. मंगलवार को आए भूकंप में दिल्ली, एनसीआर, पंजाब ,हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि इलाकों में लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए. म्यांमार में दोपहर 12:20 पर आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.0 रही. इसी तरह से तिब्बत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए.
इस तरह से देखा जाए तो पिछले 36 घंटे में आए भूकंप ने हिमालय वाले क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित किया है. सिलीगुड़ी भी हिमालय से ज्यादा दूर नहीं है. सिलीगुड़ी में पहले भी भूकंप के मध्यम से लेकर तेज झटके लोगों ने महसूस किए हैं. ऐसे में सिलीगुड़ी भूकंप से ज्यादा दूर नहीं है,यह कहा जा सकता है.
आपको बताते चलें कि पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं.ये लगातार घूमती रहती है. जहां ये ज्यादा टकराती है, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट टूटने लगती है. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता ढूंढ लेती है और डिस्टरबेंस के बाद भूकंप आता है.