November 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
Uncategorized

नदी की जमीन को कैसे कोई रजिस्ट्री करा सकता है? सिलीगुड़ी में नदी में बन रहा है आंगनबाड़ी स्कूल!

सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में छोटी बड़ी अनेक नदियां हैं. लेकिन मौजूदा हालात यह है कि ये नदियां लगातार छोटी होती जा रही है. कारण नदियों को कब्जा करके लोग मकान, दुकान, प्रतिष्ठान बना रहे हैं. चाहे महानंदा हो या पंचनई समेत विभिन्न नदियों की यही स्थिति है. कई नदियों का वजूद तो समाप्त सा हो गया है. नदी नाले में तब्दील हो गई है. कहा जाता है कि जैसे-जैसे नदी का पानी सूखता जाता है, सत्ता पक्ष के कुछ रसूखदार लोग नदी की जमीन दखल करने लग जाते हैं. फिर इसकी शुरू होती है बिक्री और दलाली. बरसों से यही देखा जा रहा है.

कांग्रेस की सरकार से लेकर वाम मोर्चा सरकार और अब तृणमूल कांग्रेस की सरकार में नदी की जमीन पर कब्जा करने का आरोप समय-समय पर स्थानीय लोगों के द्वारा लगाए जाते रहे हैं. एक बार फिर से नदी की जमीन पर कब्जा करने का मुद्दा सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 46 स्थित चंपासारी इलाके में गरमाया हुआ है. यहां नदी के ठीक किनारे एक बोर्ड लगाया गया है. जिस पर लिखा है साइट for आईसीडीएस कैंटर, सिलीगुड़ी अर्बन 2, प्रोजेक्ट, वार्ड नंबर 46, नर्मदा बागान, पश्चिम बंगाल. चकराने वाली बात तो यह है कि बोर्ड पर लिखा है आईसीडीएस कैंटर के लिए साइट. सरकारी जमीन और नदी के तट पर आंगनवाड़ी स्कूल खोले जाने की बात किसी को भी हजम नहीं हो सकती. क्योंकि एनजीटी के नियमों के अनुसार नदी के किनारे कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता. ऐसे में सरकारी आंगनवाड़ी स्कूल खोले जाने की बात कहां से आ सकती है.

आज सुबह वार्ड के कुछ नागरिकों ने नदी के तट पर यह बोर्ड लगा देखा तो वह तुरंत वहां पहुंच गए और हंगामा करने लगे. उनका आरोप था कि तृणमूल कांग्रेस के किसी नेता की छत्रछाया में नदी की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप था कि प्रशासन की अनदेखी के कारण नेता और कार्यकर्ता मिलकर नदी की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. उन्होंने खबर समय को बताया कि स्थानीय वार्ड पार्षद को इसके बारे में जानकारी दी गई है. लेकिन उन्होंने अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. बाद में यहां के कुछ लोगों ने प्रधान नगर थाने में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई है.

जिस व्यक्ति पर नदी की जमीन कब्जा करने का आरोप लगा है, उसका नाम विद्युत देव है. विद्युत देव के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि विद्युत देव तथा उनके आदमी नदी की जमीन को कब्जा करके दलालों के माध्यम से लाखों में इसकी बिक्री करवा रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि यहां जमीन खरीद कर मकान बनाने वाले लोग अपना पैसा बर्बाद करेंगे. क्योंकि बरसात के समय नदी का पानी उनके घरों में घुस जाएगा. दलाल को तो सिर्फ पैसे से मतलब होता है.

दूसरी तरफ नदी की इस जमीन के दावेदार विद्युत देव ने कहा है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं किया है. बल्कि यह जमीन उनकी अपनी है. जिस पर आंगनवाड़ी स्कूल खोला जाएगा. उक्त जमीन पर दावे से संबंधित उन्होंने कुछ कागजात दिखाए हैं. इन कागजातों को आरंभिक स्तर पर देखने के बाद यह पता चलता है कि विद्युत देव ने उक्त जमीन की 2006 -07 में रजिस्ट्री कराई थी. और उसका म्यूटेशन पेपर भी उनके नाम है. ऐसे में थोड़ा आश्चर्य तो जरूर होता है कि नदी की जमीन की रजिस्ट्री कैसे एक व्यक्ति को कर दी गई. और तो और उक्त जमीन की म्यूटेशन भी उसके नाम है. लोगों का कहना है कि या तो विद्युत देव ने फर्जी कागजात दिखाएं हैं या फिर इसके पीछे कोई बड़ा व्यक्ति है. बहरहाल सच्चाई क्या है, यह तो जांच के पश्चात ही पता चलेगा.

लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिलीगुड़ी की नदियों पर जबरन कब्जा करके कई बस्तियां बसा ली गई है. चाहे वह गंगानगर, गुरुंग बस्ती, समर नगर, चंपासारी ही क्यों ना हो. आलम यह है कि यहां नदियों के तट पर अवैध रूप से कॉलोनिया बसाई गई है. यहां लोग बरसों से रहते आ रहे हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम लगातार दावे करता है कि नदी की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त रखा जाएगा और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो नदी की जमीन पर मकान बनाएंगे. अब इस घटना के बाद सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन को भी समझ में आ गया होगा कि मामला कितना गंभीर है. अगर उक्त जमीन विद्युत देव की है तो विद्युत देव अपनी जमीन बेचे या रखें, उससे प्रशासन को क्या फर्क पड़ता है. जो लोग जमीन खरीदेंगे तो वह उस पर मकान भी बना सकते हैं. फिर उनका मकान अवैध कैसे? सवाल यह उठता है कि जमीन की रजिस्ट्री कैसे कर दी गई? जो भी हो, इसका सच सबके बीच आना चाहिए!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *