ऐसा लगता है कि बांग्लादेश पाकिस्तान बनने की राह पर अग्रसर है. शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद वहां चरमपंथी ताकतों ने जमकर लूटपाट शुरू कर दी. बांग्लादेश में रह रहे एक समुदाय विशेष के घरों को जलाया जा रहा है. उनकी दुकान और घरों को लूटा जा रहा है. मंदिर तोड़े जा रहे हैं. भीड़ की भीड़ एक समुदाय विशेष की बस्तियों पर हमला कर रही है. बांग्लादेश में 27 ऐसे जिले हैं,जहां अल्पसंख्यक आबादी है. वहां के लोगों की जान खतरे में है. खासकर महिलाओं की हालत अत्यंत खराब है.
आज दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट ने भी बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है. उनके घरों को जलाया जा रहा है. मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार स्थिति पर पूरी नजर बनाए रखी है.सरकार उपयुक्त कदम उठा रही है. इस बीच मीडिया रिपोर्ट और अन्य संवाद माध्यमों से मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेश में रह रहे एक समुदाय के लोग इस कदर डर गए हैं कि उन्होंने घर से निकलना तक बंद कर दिया है.
सिलीगुड़ी में कई परिवार ऐसे हैं, जिनका बांग्लादेश से संबंध रहा है. अगर यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि बांग्लादेश में रह रहे परिवार के कई सदस्य सिलीगुड़ी में भी रहते हैं. बांग्लादेश में हिंसा भड़कने और शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद स्थिति अत्यंत विषाक्त बन गई है. ऐसे में सिलीगुड़ी में रहने वाले बांग्लादेशी माता-पिता के बच्चे काफी परेशान हैं और रो-रोकर उनका बुरा हाल है. बांग्लादेश के प॔चगढ में रहने वाले एक परिवार की व्यथा एक लोकप्रिय मीडिया चैनल के जरिए प्रकाश में आई है.
इस परिवार ने अपने दर्द का इजहार किया है. उन्होंने लिखा है कि पिछले एक हफ्ते से उनके परिवार का कोई भी सदस्य घर से बाहर नहीं निकला है. घर में खाने पीने का सामान समाप्त हो चुका है. नमक के साथ चावल उबाल कर खा रहे हैं. रात में कोई सोता नहीं है. घर के स्त्री पुरुष दोनों रात में जागकर पहरा देते हैं. उनकी एक बेटी सिलीगुड़ी में है. फोन पर उसकी सिसकियों की आवाज सुनाई पड़ती है. इस परिवार ने मना कर दिया है कि वह उनकी चिंता ना करे और वह सिलीगुड़ी में सुरक्षित रहे. भले ही उनकी जान चली जाए परंतु एक जान तो जिंदा रहेगी ही.
इस परिवार ने बांग्लादेश को अपना वतन मानकर सींचा है. कभी नहीं सोचा कि यह नौबत आएगी. सबसे बुरा हाल नुआखाली में है. वहां कई घरों को लूटा गया है. उन घरों से जवान लड़कियों को गायब कर दिया गया है.महिला ने बताया कि वह जिस मकान में बतौर किराएदार रहती है, उस मकान का मालिक भी उसके ही समुदाय का है. वह उनकी काफी मदद करता है. खाने पीने का सामान, दवाइयां इत्यादि लेकर आता है. कुछ दिनों का स्टॉक बाकी है. उसके बाद क्या होगा, इसकी चिंता है उन्हें. उन्होंने कहा कि एक टाइम का खाना खाते हैं. पीने का पानी नहीं है. सप्लाई बंद हो चुकी है. कच्चा पानी पीना पड़ता है.
बांग्लादेश के विभिन्न इलाकों में रहने वाले कई परिवारों की संतानें सिलीगुड़ी में रहती हैं. कुछ बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं तो कई लोग व्यापार से भी जुड़े हुए हैं. वे समय-समय पर बांग्लादेश जाते रहते थे. लेकिन अब क्या संकट का सामना कर रहे अपने माता-पिता भाई-बहन की मदद कर सकेंगे? शायद नहीं. क्योंकि जिस हाल में उनके घर वाले हैं, ऐसे में उनके ज्यादा समय तक भला चंगा रहने की वे उम्मीद नहीं कर सकते. इसलिए रोते रहते हैं. पूजा में जाने का प्रोग्राम बनाया था. उनके माता-पिता सिलीगुड़ी आने वाले थे. पर अब क्या होगा, कल का कुछ पता नहीं.
बांग्लादेश में भय के वातावरण में रह रहे एक व्यक्ति की करूण दास्तान मीडिया और समाचार एजेंसी के जरिए सार्वजनिक हुई है. पिछली रात उनके एक रिश्तेदार के घर को आग लगा दी गई. वहां कई सारे मवेशी, गाय बछड़े थे. दंगाई उन्हें खोल कर ले गए. घर की कुछ लड़कियों को भी गायब कर दिया गया. पुलिस थाना है. लेकिन पुलिस उनकी है. उन्होंने खुद को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया है. अब ईश्वर ही उनका रखवाला है.
बांग्लादेश से ढेर सारे वीडियो और तस्वीरें आ रही है. उन्हें देखकर सांस टंगने लग जाती है. दिल दहला देने वाली तस्वीर. खून से सनी लाशें. धू धू कर जलते घर, रोते चीखते लोग. पूजा की जली हुई पुस्तकें.यह सब कुछ बांग्लादेश में नजर आ रहा है. वहां के लोगों के मुंह से यही सब निकलता है कि काश हमारे पुरखे भारत में बसे होते. सिलीगुड़ी में रहने वाले अपने बेटे बेटियों से मिलने की उनकी दारूण इच्छा है. पर वह ऐसे निराश और हताश हो चुके हैं कि उन्हे नहीं लगता कि वे पूजा तक जीवित रह सकेंगे!