नया साल 2023 सिलीगुड़ी के ऐसे खटाल वालों के लिए शायद शुभ ना हो, जो महानंदा नदी के किनारे बरसों से खटाल बनाकर रह रहे हैं. एनजीटी और सिलीगुड़ी नगर निगम ने बार- बार कहा है कि इन खटालों के कारण नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है. ऐसे खटाल मालिकों के खिलाफ सिलीगुड़ी नगर निगम आक्रामक हुई है.
पूर्व में खटाल मालिकों को निगम का नोटिस भेजा जा चुका है. सिलीगुड़ी नगर निगम ने अपेक्षा की थी कि खटाल मालिक स्वयं ही अपना खटाल हटा लेंगे. मगर आज भी अनेक खटाल महानंदा नदी के किनारे स्थित है और जिनके कारण नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है.
सिलीगुड़ी नगर निगम के नोटिस और अपील के बाद अनेक खटाल मालिकों ने नदी से अपना खटाल हटा लिया था मगर काफी संख्या में आज भी अनेक खटाल मालिक हैं, जिन्होंने सिलीगुड़ी नगर निगम की अपील और नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है. उनके खटाल अब भी अपनी जगह पर स्थित हैं. अब सिलीगुड़ी नगर निगम नए साल 2023 में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रही है.
मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी नगर निगम महानंदा किनारे स्थित खटाल पर बुलडोजर चलवा सकती है. इसका संकेत सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर रंजन सरकार के बयानों से मिल जाता है. रंजन सरकार ने कहा है कि अगर खटाल मालिकों ने जल्द से जल्द खटाल को नहीं हटाया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी तथा उनके खटाल पर बुलडोजर चलेगा.
यह कोई पहला अवसर नहीं है जब सिलीगुड़ी नगर निगम ने महानंदा के खटाल मालिकों को चेताया है. जब सिलीगुड़ी नगर निगम में वाम मोर्चा का कब्जा था, तभी से ही महानंदा के किनारे से खटाल हटाने की बात की जा रही है. परंतु तत्कालीन नगर निगम मेयर अशोक भट्टाचार्य ने समय रहते कोई सख्त कार्रवाई नहीं की. सिलीगुड़ी नगर निगम पर तृणमूल का कब्जा होने के बाद एक बार फिर से खटाल के खिलाफ सिलीगुड़ी नगर निगम का अभियान चल पड़ा है.
वास्तव में सिलीगुड़ी नगर निगम पर एनजीटी का दबाव है. अध्ययनों से स्पष्ट हो गया है कि महानंदा किनारे स्थित खटाल के कारण नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है. ऐसे खटालों के खिलाफ सिलीगुड़ी नगर निगम द्वारा कोई कार्रवाई न करने से एनजीटी ने सिलीगुड़ी नगर निगम पर जुर्माना भी लगाया और सिलीगुड़ी नगर निगम ने ₹2 करोड का जुर्माना भरा भी है.अब सिलीगुड़ी नगर निगम के पास फंड की कमी है. ऐसे में सिलीगुड़ी नगर निगम चिन्हित खटालो के साथ किसी भी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है.
महानंदा के किनारे स्थित कई खटाल 40-50 वर्षों से है. ऐसे खटाल मालिक उक्त भूमि पर अपना अधिकार मानकर खटालो का संचालन करते आए हैं. उनकी समस्या यह भी है कि अगर उन्होंने अपना खटाल हटाया तो उसकी अन्यत्र व्यवस्था तर्कसंगत ढंग से नहीं हो सकती. क्योंकि सिलीगुड़ी नगर निगम अपनी शर्तों पर ही पुनर्वास विकल्प दे सकती है जो उन्हें मान्य नहीं हो सकता.
कुछ खटाल मालिक सिलीगुड़ी नगर निगम से अपनी बातें मनवाने पर अडे हैं. तो कुछ खटाल मालिक वेट एंड वॉच की नीति पर चल रहे हैं. बहरहाल सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर रंजन सरकार के ताजा बयान के बाद ऐसे खटाल मालिकों की क्या प्रतिक्रिया सामने आती है, यह देखना होगा.