सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 19 स्थित सुभाष पल्ली के एक युवक ने कुछ दिन पहले सिलीगुड़ी नगर निगम से ₹10000 का वेंडर लोन पास कराया था. कुछ दिनों तक इस लोन की ईएमआई कटता रहा. एक दिन युवक के मोबाइल पर एक फोन कॉल आया. दूसरी ओर से कहा गया कि आपने जो लोन लिया है, उसकी सब्सिडी आपको दी जा रही है. क्या आप सब्सिडी पाने के इच्छुक हैं?
युवक ने तुरंत ही जवाब दिया, क्यों नहीं! युवक की जगह पर कोई और भी होता तो उसके मुंह से यही निकलता. क्योंकि लोन पर सब्सिडी कौन नहीं पाना चाहता! इसके बाद फोन करने वाले व्यक्ति ने उसके मोबाइल के व्हाट्सएप नंबर पर एक लिंक भेजा. युवक से कहा गया कि आप लिंक पर क्लिक करें. युवक पहले तो असमंजस में पड़ गया. क्योंकि उसे पता था कि ऐसे लिंक पर क्लिक करने का मतलब उसके साथ धोखा हो सकता है. परंतु दूसरी ओर वह यह भी सोच रहा था कि उसने लोन तो लिया ही है और उसका ईएमआई भी कट रहा है. अगर कोई धोखेबाज होता तो वह इस बात को कैसे जान सकता है. इसका मतलब यह है कि लोन विभाग की ओर से ही उसे फोन किया गया है और यह फ्रॉड कॉल नहीं हो सकता.
इसके बाद युवक ने लिंक पर क्लिक किया. तुरंत ही उसके मोबाइल पर एक पासवर्ड आया. फोन करने वाले ने कहा कि वह अपना पासवर्ड बताए, ताकि उसकी सब्सिडी उसके अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सके. युवक के दिमाग में दूर-दूर तक साइबर ठगी जैसी कोई बात नहीं थी. वह तो यही सोच रहा था कि लोन विभाग की ओर से ही उसके पास फोन आया है. उसने पासवर्ड बता दिया. चंद सेकंड की ही बात थी. फिर उसके मोबाइल पर एक मैसेज आया कि उसके खाते से ₹50000 कट गए हैं. अब काटो तो खून नहीं. युवक चकराकर गिर पड़ा.
सिलीगुड़ी में 1 हफ्ते में साइबर अपराध की दो बड़ी घटनाओं से पता चलता है कि साइबर अपराधियों का सिलीगुड़ी में एक गिरोह फल फूल रहा है. यह साइबर अपराधी आपका पीछा कर रहे हैं. इनकी घुसपैठ सभी विभागों में हो चुकी है. ऐसे में हर किसी को सावधान रहने की जरूरत है. खासकर ऐसे लोगों को जो स्मार्टफोन रखते हैं और खुद को समझदार कहते हैं. इससे पहले शक्तिगढ के युवक के साथ भी साइबर ठगी हो चुकी है. इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं सिलीगुड़ी में घट चुकी है. हर बार लुटने के बाद पीड़ित व्यक्ति साइबर थाने में जाता है, जहां पुलिस से महज आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिलता.
अगर आप साइबर ठगों से बचना चाहते हैं तो हमेशा अपनी आंख और कान खोल कर रखें. आजकल साइबर अपराधी अत्यधिक शातिर हो चुके हैं. जिनसे बच पाना आसान नहीं है. क्योंकि उन्हें आपका पर्सनल डीटेल्स हाथ लग चुका है. जैसे लोन लेने की प्रक्रिया कई चरणों में होती है, इस प्रकार से सब्सिडी की प्रक्रिया भी चरणबद्ध होती है.कोई भी कंपनी या संस्थान सीधे आपके खाते में सब्सिडी की रकम नहीं दे सकती.उसके लिए पहले औपचारिकताएं पूरी करनी होती है.
युवक ने इस पर अपना दिमाग नहीं लगाया और फोन करने वाले के झांसे में आ गया. सब्सिडी तो नहीं मिली, परंतु अपनी सारी जमा पूंजी गंवा बैठा. व्यक्ति ने सिलीगुड़ी थाने के साइबर अपराध थाने में लिखित शिकायत तो दर्ज करा दी है.पर उसकी जमा पूंजी वापस मिल सकेगी, इसमें संदेह ही है. क्योंकि पुलिस के लिए भी साइबर अपराधियों तक पहुंच पाना इतना आसान नहीं है.