सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में प्राकृतिक आपदा की घटनाएं कोई नई बात नहीं है. हिमालय का यह क्षेत्र भूकंप, वर्षा की तीव्रता और भूस्खलन से प्रभावित है. यहां जब तब भूकंप आता रहता है. लेकिन इसका असर अथवा प्रभाव भूकंप की तीव्रता पर ही निर्भर करता है. कम तीव्रता के भूकंप का कोई असर नहीं होता. इसलिए लोग भूकंप के आने पर भी महसूस नहीं करते हैं.
सिलीगुड़ी में आज एक बार फिर से भूकंप आया था. परंतु इस भूकंप को महसूस बहुत कम लोगों ने किया है. क्योंकि यह कम तीव्रता का भूकंप था, जिसका केंद्र धरती में 10 किलोमीटर अंदर था. रिक्टर स्केल पर 4.3 तीव्रता का भूकंप आज सुबह अररिया में आया. जहां के लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए. इसका असर बिहार से लेकर सीमांचल और सिलीगुड़ी तक देखा गया.
मिल रही जानकारी के अनुसार पूर्णिया, अररिया और भागलपुर के लोग भूकंप को महसूस कर अपने-अपने घर से निकल कर बाहर आ गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार इस भूकंप में किसी तरह की कोई क्षति अथवा जान माल का नुकसान नहीं हुआ है.
विशेषज्ञों के अनुसार जब भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 को पार कर जाती है तो ऐसी स्थिति में जानमाल का नुकसान होने लगता है. 4.3 तीव्रता के भूकंप से किसी तरह का कोई नुकसान अब तक नहीं देखा गया है. भूकंप सीमांचल में आया तो सिलीगुड़ी भी इसकी चपेट में आ गया. यह भूकंप आज सुबह 5:35 पर आया था. उस समय लोग अपने दैनिक काम में व्यस्त होंगे. यही कारण है कि सिलीगुड़ी में इसका पता नहीं चला.
पिछले कुछ दिनों से सिलीगुड़ी समेत देश के अनेक भागों में भूकंप के झटके लगातार आते रहे हैं. रविवार और सोमवार को देर रात लगभग 2:00 बजे के करीब अंडमान निकोबार दीप समूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 24 घंटे में भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए. जबकि मंगलवार को पश्चिमी नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता 4.1 दर्ज की गई.भूकंप से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ.
इससे पहले उत्तर भारत में भी ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया था. लगभग 30 मिनट तक धरती डोलती रही थी. उत्तर भारत में रात 10:00 बजे आए आए भूकंप से दिल्ली, लखनऊ, भोपाल ,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड समेत कई राज्य इसकी चपेट में आ गए थे.