सिलीगुड़ी और पश्चिम बंगाल की संस्कृति कुछ ऐसी है कि यहां हर त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है. यहां सभी जाति, धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं और मिलजुल कर त्यौहार मनाते हैं. हिंदुओं का प्रमुख त्योहार होली शुक्रवार को है. शुक्रवार को ही मुस्लिम भाई मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं. ऐसे में कुछ बयान भी सामने आ रहे हैं, जो गैर जरूरी हैं. संभल जिले के एक पुलिस अधिकारी का बयान सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जुम्मे की नमाज साल में 52 बार आती है जबकि होली साल में एक बार… अगर मुसलमान को रंग से एलर्जी है तो वे अपने घर में रहे.
इस बयान को लेकर संग्राम छिड़ गया है. मुस्लिम धर्म गुरुओं ने ऐसे प्रशासनिक अधिकारी के बयान को गलत बताया है और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने वाला करार दिया है. कुछ नेताओं ने संभल के पुलिस अधिकारी के बयान का बचाव किया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पुलिस अधिकारी के बयान का बचाव करते हुए कहा है कि इसमें कुछ गलत नहीं है. अगर किसी को रंग से एलर्जी है तो उसे अपने घर में ही रहना चाहिए.
सिलीगुड़ी और पश्चिम बंगाल का हिंदू और मुसलमान मजहबी विवाद में कभी नहीं पड़ता है. यहां हर त्यौहार धूमधाम और भाईचारे के वातावरण में मनाया जाता है. मुसलमानों के ईद और बकरीद में हिंदू भाई भी शरीक होते हैं, जबकि हिंदुओं के त्यौहार में मुसलमान भाइयों का भी उत्साह देखते बनता है. मुस्लिम भाई भले ही रंग नहीं खेलते हो परंतु उन्हें रंग से एलर्जी नहीं होती है. खासकर सिलीगुड़ी में ऐसा ही देखा गया है. यही कारण है कि सिलीगुड़ी में किसी भी त्यौहार में सांप्रदायिक सौहार्द्ध बना रहता है. यहां मजहबी घटनाएं बहुत कम देखी जाती है.
हालांकि सिलीगुड़ी पुलिस प्रशासन ने रंगों के त्यौहार को देखते हुए तथा उसी दिन जुम्मे की नमाज को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा की खास तैयारी की है, जिसमें होली मनाने वाले तथा जुम्मे की नमाज अदा करने वाले सभी धर्मो के लोग अपने-अपने त्यौहार को हंसी खुशी के वातावरण में मना सके. तथापि सिलीगुड़ी के नागरिकों की भी सांप्रदायिक सौहार्द्ध, भाईचारा और प्रेममय वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है.
अगर विभिन्न धर्मो के लोग एक दूसरे का सहयोग और समन्वय बनाए रखें तो यहां होली भी मनेगी और जुम्मे की नमाज भी अदा होगी. सिलीगुड़ी की परंपरा और इतिहास भी यही है. यही सिलीगुड़ी की विशेषता है. खबर समय अपेक्षा रखता है कि लोग गैर जरूरी और राजनीतिक बयानों पर ध्यान न देकर जुम्मे की नमाज और होली त्योहार को हंसी-खुशी और उत्साह के वातावरण में मनाएंगे.