मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के दौरे पर आयी और सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल में योजनाओं की झड़ी लगा दी. समझा जा सकता है कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अपनी पार्टी को उत्तर बंगाल में मजबूत करना चाहती हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे का राजनीतिक महत्व काफी है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समतल, पहाड़ और ड्वॉरस को लेकर एक सधी हुई राजनीति की है.उनकी राजनीति के केंद्र में चाय बागान, श्रमिक, स्वास्थ्य सुधार ,सड़क ,शिक्षा, पेयजल आपूर्ति, बिजली सुधार इत्यादि शामिल है. इन सभी क्षेत्रों में उनकी सरकार के द्वारा काम किया गया है कुछ काम बाकी है जिसे जल्द से जल्द पूरा कर लेने की कोशिश की जा रही है
उन्होंने सिलीगुड़ी से ही राजनीति को एक नई दशा और दिशा दिखाई है. उन्होंने पहाड़ को भी प्रभावित किया है तो समतल को भी खुश किया है. पूरे उत्तर बंगाल में उन्होंने 554 करोड रुपए की 499 योजनाओं का या तो शिलान्यास किया है या फिर उद्घाटन. उन्होंने स्वास्थ्य, उद्योग, परिवहन,महिला और बाल विकास, शिक्षा, ग्रामीण सड़क,बिजली, सिंचाई आदि पर फोकस किया है.
सिलीगुड़ी के वर्धमान रोड, माटीगाड़ा, नक्सलबाड़ी इत्यादि इलाकों में स्वास्थ्य केंद्र, पेय जल आपूर्ति, बिजली सुधार, महकमा परिषद में 189 करोड रुपए की लागत से 134 योजनाओं का श्री गणेश के जरिए मुख्यमंत्री ने यहां के जीवन जगत में अपनी पैठ बनाने की जरूर कोशिश की है.
मुख्यमंत्री ने जलपाईगुड़ी जिले में 250 करोड रुपए की लागत से 365 परियोजनाओं का उद्घाटन किया है. इनमें से चा सुंदरी योजना के तहत 447 आवास, सड़क, पुल, कृषि केंद्र, शिक्षा, धूपगुड़ी में कृषि बाजार इत्यादि शामिल है. जबकि अलीपुरद्वार जिले में 71 करोड रुपए की लागत से 43 परियोजनाओं का श्री गणेश किया गया है.
इनमें चा सुंदरी आवास योजना भी शामिल है. इसके अलावा वीरपाड़ा स्टेट जनरल अस्पताल में बेड बढ़ाने के अलावा कई योजनाओं का शिलान्यास भी किया गया है. आज मुख्यमंत्री ने चाय श्रमिकों के साथ औचक वार्तालाप में उनका हाल जाना. इससे चाय श्रमिक काफी प्रभावित हुए हैं.
विपक्षी पार्टियों खासकर भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे को उनके पर्यटन से जोड़कर देखती है. भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि कोलकाता में गर्मी और उमस है, इसलिए मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल की वादियों मे सैर करने आई है. सैर करने के बाद वह कोलकाता लौट जाएंगी. उनका राजनीतिक दौरे का बस यही उद्देश्य है.
राजनीतिक विश्लेषक मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे को 2026 के विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखते हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ने विविध क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को साधने की कोशिश की है. फिर भी यह समझा जाता है कि उनके इस दौरे से कुछ लोग काफी नाराज हैं.
बंगाल में 22 मई से 3 दिवसीय प्राइवेट बस मालिकों की हड़ताल का ऐलान कर दिया गया है. इस हड़ताल में ट्रांसपोर्ट से जुड़े विभिन्न संगठनों के लोग शामिल हैं. इनमें मिनी बस ऑनर्स संगठन भी शामिल है. बस मालिक लंबे समय से राज्य सरकार से 15 वर्ष पुरानी बसों को और 2 साल के लिए चलाने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा पुलिस उत्पीड़न और वित्तीय क्षतिपूर्ति की भी उनकी मांगे हैं. मुख्यमंत्री ने इस पर कुछ नहीं कहा है. इसलिए वे निराश हैं.
देखा जाए तो मुख्यमंत्री का उत्तर बंगाल दौरा कुछ मायनों में तो काफी महत्वपूर्ण है. परंतु कुछ पक्ष उनसे जरूर नाराज हैं. हालांकि किसी भी सरकार के लिए सभी पक्षों को संतुष्ट करना आसान नहीं होता है. ऐसा राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं. फिर भी जानकार की नजर में मुख्यमंत्री का उत्तर बंगाल दौरा विकास को स्पर्श करता नजर आता है.