हालांकि सिलीगुड़ी में लू चलने जैसी स्थिति नहीं है,परंतु कोलकाता और प्रदेश के दक्षिण भागों में गर्म हवाएं और लू चल रही हैं. इन इलाकों में बांकुरा, पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बर्दवान, बीरभूम इत्यादि ऐसे जिले हैं जहां के लोग गर्मी और लू का सामना कर रहे हैं. मौसम विभाग की माने तो इन जिलों में गर्मी और तापमान में 2 से 4 डिग्री की वृद्धि हो सकती है.
बढ़ते तापमान और गर्मी के चलते सिलीगुड़ी समेत प्रदेश भर के स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां समय से पहले ही कर दी गई हैं. अब तक प्रदेश के स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां 24 मई से शुरू होती थी. हालांकि पिछले सालों में कोरोना के चलते पहले ही स्कूल बंद कर दिए गए थे. परंतु अब इस तरह की कोई बात नहीं है. पर जिस तरह से गर्मी और तापमान में बढ़ोतरी जारी है,इसे देखते हुए सरकार ने बच्चों को गर्मी और लू से बचाने के लिए यह फैसला किया है.
पश्चिम बंगाल में अप्रैल महीने में इतनी गर्मी कभी नहीं होती थी. अचानक से बढी गर्मी और तापमान के चलते बच्चों को स्कूल आने जाने में काफी कठिनाई होती है. कई बार तेज गर्मी और तापमान में बच्चे संक्रमण के शिकार हो जाते हैं. उन्हें बुखार और सिरदर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. वैसे भी राज्य में कोरोना का संक्रमण देखा जा रहा है. इन सभी स्थितियों पर विचार करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य शिक्षा बोर्ड से स्कूली बच्चों के हक में गर्मी की छुट्टी समय से पहले करने की अपील की थी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आग्रह के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने बच्चों के स्कूल 2 मई से बंद करने का फैसला कर लिया है. 1 मई को श्रम दिवस है. उस दिन स्कूल बंद रहता है.इस तरह से मई महीने से सिलीगुड़ी और प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टी शुरू हो जाएगी. राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने भी इसकी पुष्टि कर दी है.
हालांकि कुछ आलोचकों का कहना यह भी है कि राज्य में पंचायत चुनाव हो रहे हैं. आमतौर पर चुनाव के बूथ बच्चों के स्कूल ही होते हैं. ताकि चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा न पहुंचे,यह देखते हुए ही राज्य सरकार ने सरकारी स्कूल समय से पहले बंद करने का फैसला किया है.
सिलीगुड़ी के कुछ अभिभावकों ने खबर समय को बताया कि समय से पहले स्कूल बंद नहीं करना चाहिए. पहले से ही बच्चे पढ़ाई लिखाई में कमजोर हैं. ऐसे में स्कूलों में छुट्टी करने से वह और कमजोर हो जाएंगे. कुछ बच्चों ने भी इसी तरह की बात की. हालांकि अधिकांश बच्चे इस पर कुछ टिप्पणी करने से बचते रहे.