जिस तेजी के साथ सेवक रंगपो रेल परियोजना का कार्य चल रहा है, उससे यह लगभग निश्चित हो चुका है कि पूरी परियोजना का कार्य दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा. यानी नए साल से पश्चिम बंगाल का पर्वतीय इलाका और सिक्किम नए रंग रूप में नजर आएगा. सिक्किम और पर्वतीय क्षेत्र का इतिहास बदलेगा. सबसे ज्यादा सिक्किम को लाभ होगा, जो देश के सभी शहरों और नगरों से रेल मार्ग से सीधा जुड़ जाएगा.
सेवक रंगपो रेल परियोजना पहली ऐसी परियोजना है, जिसे दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और यदि दिसंबर 2023 तक यह कार्य पूरा हो जाता है तो ना केवल रेलवे की जीत होगी बल्कि रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा. जब तय समय सीमा के भीतर रेलवे के द्वारा कार्य पूरा करने का इतिहास लिखा जाएगा, तब उसमें सेवक रंगपो रेल परियोजना का नाम सबसे ऊपर होगा. क्योंकि अब तक कोई भी सरकारी परियोजना और खासकर रेल परियोजना का काम समय पर पूरा नहीं हो सका है.
काम युद्धस्तर पर चल रहा है. इरकॉन के अधिकारियों को एक पर एक बड़ी सफलता मिल रही है. सुरंग संख्या 11 का कार्य पूरा हो चुका है. यह एक ऐसी बड़ी उपलब्धि है जिसकी उम्मीद भी नहीं की गई थी कि यह कार्य इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा. 23 जनवरी को आधिकारिक ब्रेक थ्रू कार्यक्रम है.
काम की तेजी का आप इसी बात से अनुमान लगा सकते हैं कि 1 महीने पहले सुरंग संख्या 12 जो तारखोला और सुखियाखोला के बीच स्थित है, की सफलता मिल चुकी है. यह दूसरा बड़ा मौका है जब इरकाॅन के अधिकारियों को यह बड़ी सफलता हाथ लगी है. कालिमपोंग जिले में यह छठी सुरंग है. 14 सुरंगों में से 6 का काम पूरा हो चुका है.
जानकार बता रहे हैं कि दिसंबर 2023 तक पूरी परियोजना का कार्य इसलिए भी पूरा होगा कि रेल बिछाने का काम 38. 65 किलोमीटर सुरंग से होकर गुजर रहा है. इनमें से 25.36 किलोमीटर सुरंग खनन का काम पूरा हो चुका है. युद्ध स्तर पर कार्य को देखते हुए अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि शेष कार्य दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा.
आपको बताते चलें कि यह पूरी परियोजना 45 किलोमीटर लंबी है. इनमें 14 सुरंग, 17 पुल तथा 5 स्टेशन के कार्य किए जाने हैं. विश्वास किया जा रहा है कि अब तक की कामयाबी को देखते हुए दिसंबर 2023 तक पूरा काम संपन्न हो जाएगा.