सिलीगुड़ी के एसएफ रोड निवासी शांतनु प्रसाद को चार फरवरी को बरौनी जाना था. वे हाशमी चौक स्थित रेलवे आरक्षण कार्यालय पहुंचे. उन्होंने रिजर्वेशन slip फार्म भरकर काउंटर क्लर्क को दिया. काउंटर क्लर्क ने रिजर्वेशन स्लिप देखने के बाद उन्हें बताया कि उक्त तारीख को ट्रेन के स्लीपर बोगी में वेटिंग भी उपलब्ध नहीं है. काउंटर क्लर्क ने शांतनु प्रसाद को सलाह दी कि वे चाहे तो एसी 3 टायर में यात्रा कर सकते हैं. एसी थ्री टायर में काफी सीट उपलब्ध है.
सिलीगुड़ी के ही निवासी राम अवतार को दिल्ली से छपरा जाना था. मेहनत कश और दैनिक वेतन भोगी राम अवतार स्लीपर का टिकट लेने नई दिल्ली रेलवे आरक्षण कार्यालय पहुंचे. पता चला कि द्वितीय श्रेणी के स्लीपर बोगी में कोई सीट उपलब्ध नहीं है. अलबत्ता एसी थ्री टायर में उन्हें टिकट मिल सकता है. मजबूरन रामअवतार को अधिक पैसे खर्च करके हमसफर ट्रेन में एसी थ्री टायर में यात्रा करनी पड़ी.
इसी तरह से अहमदाबाद के दिनेश पटेल को किसी जरूरी काम से मध्य प्रदेश के इंदौर शहर जाना था. स्लीपर बोगी में आरक्षण के लिए वे रेलवे काउंटर पहुंचे. पता चला कि ट्रेन के स्लीपर बोगी में एक भी सीट उपलब्ध नहीं है. जबकि एसी में उन्हें बर्थ मिल सकता है.
अगर आप भी इस समय ट्रेन से कहीं तत्काल यात्रा का कार्यक्रम बनाना चाहते हैं तो इस तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.आपकी जेब से अधिक से अधिक पैसे ढीले करवाने के लिए रेलवे तैयार है. भूल जाइए कि स्लीपर बोगी में यात्रा करने से एक तरफ जहां धन की बचत होती है वहीं दूसरी ओर सामान्य और मध्यम श्रेणी के यात्री को सुकून भी मिलता है . अब रेल की यात्रा खासकर मध्यम वर्ग और सामान्य लोगों के लिए खर्चीली होती जा रही है.
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि एक समय रेल के द्वितीय श्रेणी के शयनयान में यात्रियों को ऑफ सीजन में टिकट मिलने में कठिनाई नहीं होती थी. गर्मियों में जरूर टिकट मिलने में असुविधा होती है. परंतु वर्तमान में ऐसा बहुत कम बार देखा गया है. पहली बार ट्रेन में यात्रा करना लोगों के लिए महंगा हो रहा है.
अभी कुछ समय पहले रेलवे के एक समाचार में बताया गया था कि कड़ाके की ठंड के कारण रेल के सेकंड क्लास के स्लीपर क्लास की अनेक बर्थ खाली रह जाती है. जबकि एसी कोच में ज्यादातर यात्री यात्रा कर रहे हैं. इस समाचार के ठीक विपरीत वर्तमान में रेलवे की स्थिति देखी जा रही है. तो इसका क्या मतलब निकाला जाए? क्या लोगों ने एसी में रेल यात्रा करना छोड़ दिया है और एसी के यात्रियों ने अब स्लीपर बोगी में यात्रा करने की तैयारी शुरू कर दी है?
आखिर इसके पीछे राज क्या है? सामान्य और मध्यम श्रेणी के रेल यात्रियों के प्रति रेलवे कौन सा खेल खेल रहा है या फिर इन सबसे रेलवे अनजान है? ऐसा तो हो नहीं सकता. वैसे रेल यात्रियों की माने तो एक बार फिर से रेलवे में दलालों की घुसपैठ बढ़ गई है. जो टिकट की कालाबाजारी से लेकर यात्रियों की जेबों पर डाका डालने की साजिश रेल के कर्मचारियों के साथ मिलकर कर रहे हैं. बहर हाल सच्चाई क्या है, रेलवे को जरूर इस पर ध्यान देना चाहिए और ताजा घटनाक्रम पर अपना स्पष्टीकरण भी देना चाहिए!