November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

बंगाल में 143 लाख टन कचरा निस्तारण की राह देख रहा!

वह चाहे स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट हो या फिर अन्य एजेंसियों के आंकड़े, सभी यही बताते हैं कि बंगाल में सालों से कचरा जमा है. जिसका निस्तारण एक बड़ी समस्या बन चुका है. सरकार इस चुनौती से निबट रही है. मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 143 लाख टन कचरा जमा है. जबकि 3 साल में केवल 9 लाख टन का निस्तारण ही हो सका है. देखा जाए तो यह केवल सरकार की गलती नहीं है बल्कि इसके लिए आम लोग भी जिम्मेदार हैं.

हालांकि राज्य सरकार ने कचरा निस्तारण के लिए कई व्यवस्थाएं की है. इनमें डंपिंग ग्राउंड की समस्या का भी समाधान किया जा रहा है. इसके अलावा क्लस्टर बनाने की भी बात कही गई है. कचरा रीसाइकलिंग के लिए हर निकाय को कंपोस्टिंग मशीन देने की भी व्यवस्था है. परंतु यह व्यवस्था द्रुत गति से नहीं दिख रही है. जिस पर एनजीटी ने फटकार भी लगाई थी. एनजीटी ने हाल ही में कहा था कि बंगाल में ठोस और तरल कचरा के उचित प्रबंधन में कोई प्रगति नहीं हुई है.

आपको बताते चलें कि सितंबर 2022 में एनजीटी ने शहरी इलाकों में ठोस और तरल कचरा का निस्तारण करने में विफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार पर 3500 करोड रुपए का जुर्माना भी लगाया था. यह समस्या पूर्ववर्ती सरकार की भी देन है. तभी तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2011 में वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ सत्ता में आने के बाद राजधानी कोलकाता को लंदन और दार्जिलिंग को नया स्विट्जरलैंड बनाने की बात कही थी. हालांकि उस दिशा में अभी कोई ठोस पहल सामने नहीं आई है. स्वच्छता रैंकिंग की रिपोर्ट आने के बाद पता चलता है कि सफाई के मामले में बंगाल अभी सबसे पीछे है.

बंगाल के विभिन्न शहरों की बात करें तो हावड़ा और कोलकाता में काफी गंदगी है. यहां कचरा निस्तारण भी एक बड़ी चुनौती है. रिपोर्ट के अनुसार हावड़ा शहर देश में सबसे गंदे शहरों में चोटी पर है. इसके बाद नादिया जिले का कल्याणी, उत्तर 24 परगना जिले का मध्य ग्राम, कृष्णा नगर, आसनसोल, बिधाननगर, कंचरापारा, कोलकाता और भाटपारा को गंदे शहरों में शामिल किया गया है. यह सभी दक्षिण बंगाल के शहर हैं. हालांकि राज्य सरकार ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया है. कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा है कि यह रिपोर्ट वास्तविकता से अलग है. इसका उद्देश्य बंगाल की छवि खराब करना तथा कोलकाता और राज्य के बाकी हिस्सों में कचरा प्रबंधन के लिए निजी एजेंसियों को आगे बढ़ाना है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य में कचरा निस्तारण के लिए हरे और नीले रंग के डस्टबिन का प्रयोग करने की लोगों को सलाह दी है. परंतु लोग इसके लिए जागरूक नहीं हो रहे हैं. सिलीगुड़ी में कुछ हद तक स्थिति ठीक कही जा सकती है. क्योंकि यहां कचरा निस्तारण का प्रबंध किया गया है. लेकिन इसमें और तेजी लाने की जरूरत है. इसके साथ ही लोगों में जागरूकता लाने की भी जरूरत है.

कोलकाता नगर निगम ने शहर में मेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए मेडिकल वेस्ट प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है. स्वास्थ्य केन्द्रो से यहां रोजाना 193 किलो मेडिकल वेस्ट संग्रह किया जाता है. मेडिकल वेस्ट को बेलगछिया इलाके में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में डंप कर दिया जाता है. इस तरह से राज्य के दूसरे शहरों में भी अच्छी व्यवस्था की जा रही है. सिलीगुड़ी में हाल के दिनों में कचरा निस्तारण के कार्यों में तेजी आई है. परंतु राज्य में वर्षों से जमा कचरे का निस्तारण करने में अभी काफी वक्त लगेगा. क्योंकि सरकार अब गंभीर हुई है. लोगों को जागरूक करके ही बंगाल को सुंदर और स्वच्छ प्रदेश बनाया जा सकता है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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