सिलीगुड़ी को सिक्किम, कालिमपोंग और Dooars से जोड़ने वाला एकमात्र सेवक कोरोनेशन ब्रिज ही है, जो रोजाना हजारों टन गाड़ियों का भार सहन करते हुए खुद से संघर्ष कर रहा है. कोरोनेशन ब्रिज का भार कम करने के लिए ही वैकल्पिक सेतु निर्माण के लिए पूर्व में काफी आंदोलन भी हो चुका है. DOOARS फोरम फॉर सोशल रिफॉर्म्स जैसे संगठन के अलावा उदलाबाड़ी विकास समिति भी लगातार आंदोलन करती रही है.
आंदोलनकारी संगठनों के नेताओं के दबाव और समय के अनुसार वैकल्पिक सेतु की आवश्यकता को देखते हुए दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने वैकल्पिक सेतु निर्माण के लिए दिल्ली दरबार में कई बार हाजिरी भी लगायी. हाल ही में उन्होंने घोषणा की थी कि दिसंबर में कोरोनेशन ब्रिज के समानांतर वैकल्पिक सेतु निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
परंतु कुछ ही क्षणों में दिसंबर बीत जाएगा और नया साल 2026 शुरू होगा. लेकिन वैकल्पिक सेतु के निर्माण की कोई भी सुगबुगाहट नहीं देखी जा रही है. ऐसे में दूसरे पुल के निर्माण के लिए आंदोलन रत उदलाबाड़ी विकास समिति भी दुखी है. वैकल्पिक सेतु का निर्माण कब शुरू होगा , यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन वर्तमान में जो कुछ है, उसे अधिक संभाल कर रखने की जरूरत है. कोरोनेशन ब्रिज ही समतल और पहाड़ का संपर्क बिंदु है, इसलिए इसकी देख-देख के लिए पहले से अधिक ध्यान देने की जरूरत है, यही सोच कर प्रशासन ने कोरोनेशन ब्रिज की सुरक्षा के लिए हाइट बार लगाया है.
पर सवाल यह है कि क्या हाइट बार लगा देने से कोरोनेशन ब्रिज की अधिक सुरक्षा हो सकेगी? दार्जिलिंग और कालिमपोंग जिला प्रशासन की निगरानी में हाइट बार तो यहां लगा दिया गया है, पर ऐसा कब तक! क्योंकि इसे लेकर एक दूसरी समस्या उत्पन्न हो गई है. इसी कोरोनेशन ब्रिज से होकर सिलीगुड़ी Dooars मार्ग पर यात्री बसों का परिचालन भी होता है. उन्हें कोरोनेशन ब्रिज से गुजरने में काफी परेशानी होती है. अगर बस की छत पर सामान लादा गया है तो हाइट बार के कारण वह फंस जाएगा. उसे ले जाने में बस वालों को एक से ज्यादा चक्कर लगाने पड़ते हैं.
‘हाइट बार’ क्यों लगाया गया? प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार दरअसल प्रशासन की सख्त मनाही के बावजूद कोरोनेशन ब्रिज से ओवरलोडिंग ट्रकों का गुजरना आज भी जारी है. प्रशासन ने 10 टन से अधिक वजन के ट्रकों का इस पुल से होकर गुजरने पर प्रतिबंध लगा दिया है. पर इस निर्देश का पालन कम से कम शाम के समय नहीं होता है. स्थानीय लोगों और संगठनों की लगातार शिकायत आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने कोरोनेशन ब्रिज के एंट्री पॉइंट(सिलीगुड़ी) पर एक हाइट बार लगा दिया. हाइट बार लगा देने से अधिक ऊंचाई के ओवरलोडिंग ट्रक नहीं गुजर सकेंगे. पर इससे दूसरी समस्या उत्पन्न हो गई है.
1941 में कोरोनेशन ब्रिज यातायात के लिए खुला था. 18 सितंबर 2011 को सिक्किम में आए बड़े पैमाने पर भूकंप की वजह से इस ब्रिज को थोड़ा नुकसान पहुंचा. विशेषज्ञ इंजीनियरों की देख-देख में हालांकि ब्रिज की मरम्मती जरूर की गई, परंतु पहले से अधिक इस bridge से होकर गाड़ियों के आवागमन तथा ओवरलोडिंग ट्रकों ने ब्रिज को अंदर ही अंदर कमजोर करना शुरू कर दिया.
कोरोनेशन ब्रिज की अवस्था को देखते हुए प्रशासन ने इस bridge से होकर 10 टन से अधिक वजन के ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई सख्ती नहीं बरती, जिसके कारण 10 टन से अधिक वजन के ट्रकों का आवागमन पूर्ववत जारी रहा. इसके बहुत से कारण हैं.
स्थानीय लोग कोरोनेशन ब्रिज की सुरक्षा के लिए हाइट बार को उपयोगी नहीं मानते हैं. उनके अनुसार यह सिर्फ काम चलाऊ है. जब तक कोरोनेशन ब्रिज के समानांतर वैकल्पिक सेतु का निर्माण नहीं होता है, तब तक प्रशासन चाहे जितना भी प्रयास या उपाय कर ले, इससे कुछ होने वाला नहीं है. ड्वॉरस फोरम फॉर सोशल रिफॉर्म्स नामक संगठन का भी मानना है कि कोरोनेशन ब्रिज पहले से काफी कमजोर हो गया है. इसलिए दूसरे पुल का निर्माण तुरंत शुरू कर देना चाहिए.
दिसंबर बीत रहा है और नया साल दस्तक दे चुका है. उम्मीद की जानी चाहिए कि स्थानीय लोगों तथा संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांग को भाजपा सांसद राजू बिष्ट नए साल में जरूर पूरा करेंगे.
