माटीगाड़ा के बालासन ब्रिज से सेवक तक प्रस्तावित फोरलेन और सिक्स लेन निर्माण का कार्य शुरू हो जाने से व्यवसायियों में हड़कंप मचा हुआ है. कारण फोरलेन और सिक्स लेन सड़क निर्माण के मार्ग में आने वाले बाधक दुकानों और प्रतिष्ठानों को हटाया जाना है. जहां वर्षों से व्यवसाई अपनी दुकान लगाकर रोजी रोटी कमा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि व्यवसायियों को यह पता नहीं है.
व्यवसायियों को तो उसी दिन पता चल गया, जब केंद्र सरकार ने यहां ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सड़क चौड़ीकरण और फोरलेन निर्माण के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी. उसी समय से यहां सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले व्यापारी खासकर चंपा सारी के व्यवसायी चिंता में थे. फिर भी उन्हें लगता था कि जब उनकी दुकानों को सड़क के किनारे से हटाया जाएगा, तब सरकार उनके पुनर्वास की व्यवस्था करेगी. मगर ऐसा हुआ नहीं. व्यापारियों को नोटिस थमाया जा चुका है. उन्हें 30 मई तक दुकान हटाने का फरमान जारी कर दिया गया है.
सिलीगुड़ी में चंपासारी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां छोटे से लेकर बड़े लोग अधिकतर दुकान लगाते हैं. इस क्षेत्र में व्यवसाय ही उनकी आजीविका का साधन है. इस क्षेत्र में अधिकतर हिंदी भाषी लोग हैं, जो दूसरे प्रदेशों खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश से आकर यहां बस गए हैं. बरसों पहले जब सिलीगुड़ी में जंगल के सिवा कुछ नहीं था, उस समय इन प्रवासी लोगों ने अपनी आजीविका के लिए जिसे जहां जगह मिली, दुकान लगानी शुरू कर दी. तब व्यवसायियों को दुकान लगाने को प्रोत्साहित किया जाता था. वाममोर्चा की सरकार बनी, उसके बाद इन व्यवसायियों को अपना धंधा शुरू करने का जैसे लाइसेंस मिल गया. लेकिन तब किसी ने भी सोचा नहीं था कि एक दिन सिलीगुड़ी का कलेवर ही बदल जाएगा.
आज सिलीगुड़ी विकास की पटरी पर दौड़ रहा है.यहां उद्योग धंधों के विकास और सड़क परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सड़क चौड़ीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है. लगभग सभी क्षेत्रों में यहां विकास कार्य हो रहा है. ऐसे में प्रशासन सुव्यवस्थित प्रक्रिया अपनाने के लिए कार्य कर रहा है. जिन व्यापारियों की दुकानें सरकार की परियोजना के मार्ग में बाधक बन रही है,उन्हें नोटिस देकर हटाया जा रहा है. व्यवसाई चाहते हैं कि अगर उनकी दुकान हटाई जाती है तो प्रशासन उन्हें अन्यत्र वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करे.जब यह योजना पास हुई थी तो इस बात की खूब चर्चा हो रही थी कि व्यवसायियों की दुकानें तोड़ी नहीं जाएगी और अगर इसकी आवश्यकता होती भी है तो उनका पुनर्वास किया जाएगा.
ऐसा होता नहीं देख कर व्यवसायियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर बालासन ब्रिज से लेकर सेवक तक फोरलेन और सिक्स लेन निर्माण का कार्य 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसलिए प्रशासनिक विभाग तो अपना काम करेगा ही. निर्माण प्रक्रिया के क्रम में पेड़ काटे जा रहे हैं. उसके बाद यहां से दुकानें हटाई जाएंगी. सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले छोटे छोटे व्यापारियों को दुकान हटाने का निर्देश दे दिया गया है. इसके साथ ही माइकिंग भी की जा रही है. व्यवसायियों को समझ में नहीं आ रहा है कि वह करे तो क्या करें. फिलहाल तो वे चुप हैं.परंतु ऐसा लगता है कि अंदर ही अंदर कुछ ना कुछ सुलग रहा है.
यहां के कुछ दुकानदारों से बातचीत करने पर ऐसा लगता है कि उनके दिल और आत्मा में जख्म बढ़ रहा है. कुछ लोग कहते हैं कि विकास कार्य तो होना चाहिए. परंतु ऐसा विकास नहीं जो किसी की रोजी-रोटी छीन ले. बेहतर तो होता कि प्रशासन ऐसे व्यापारियों की रोजी रोटी की वैकल्पिक व्यवस्था करे या फिर अन्यत्र दुकान लगाने के लिए जगह दे. आने वाले समय में इस मार्ग में आने वाले कई बाजारों को यहां से हटा दिया जाएगा. ऐसे में ना केवल व्यापारियों का रोजगार ही प्रभावित होगा बल्कि उपभोक्ता भी प्रभावित होंगे.