प्रकृति की बहुत सी घटनाओं की पूर्व जानकारी विभिन्न वैज्ञानिक यंत्रों तथा तकनीकों के माध्यम से मिल जाती है, जिससे आदमी सतर्क हो जाता है और एक बड़े नुकसान को टाला जा सकता है. लेकिन अभी तक भूकंप जैसी प्राकृतिक त्रासदी की पूर्व सूचना बताने वाला कोई यंत्र विकसित नहीं हुआ है और यही कारण है कि भूकंप में जान- माल का भारी नुकसान होता है!
हाल ही में तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप आया था. 50,000 से अधिक लोग भूकंप की भेंट चढ़ गए और कितना नुकसान हुआ, इसका अनुमान लगाया जा रहा है. नेपाल में भी भूकंप आया था. सिलीगुड़ी में भी भूकंप आया था.पूर्वोत्तर राज्यों में भी भूकंप आया था… जब जब भूकंप आता है. हादसे होते रहते हैं.अभी तक कोई ऐसा सिस्टम विकसित नहीं हुआ है जिससे कि भूकंप आने से पहले लोग सतर्क हो सके और कम से कम अपनी जान बचा सके!
लेकिन जहां चाह वहां राह जैसे मुहावरे से तो आप परिचित ही होंगे. भारतीय वैज्ञानिकों ने गहन शोध और अध्ययन के बाद एक सिस्टम विकसित किया है, जिसे भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम का नाम दिया गया है. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने इस सिस्टम को विकसित किया है और यह दावा किया जा रहा है कि भूकंप आने से लगभग 45 सेकंड पहले लोगों को भूकंप आने की सूचना मिल जाती है. जिससे वह अपनी जान बचा सके. साथ ही इस अवधि में यथासंभव जानमाल की सुरक्षा भी की जा सकती है.
इस सिस्टम को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की ने विकसित किया है. यह सेंसर तकनीक पर आधारित है. इस सिस्टम का अब तक 4 बार परीक्षण किया जा चुका है. 3 बार यह सिस्टम सफल घोषित हुआ है. यानी भूकंप आने से पहले लोगों को सटीक जानकारी मिल गई. इस सिस्टम की विश्वसनीयता इसलिए भी है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने यहां की परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किया है.
सिलीगुड़ी और पड़ोसी देश नेपाल के लिए यह सिस्टम इतना महत्वपूर्ण है कि अगर यह पूरी तरह सफल रहता है तो सिलीगुड़ी और हिमालय क्षेत्र तथा नेपाल को भी भूकंप में होने वाली तबाही से निजात मिलेगी. क्योंकि उत्तराखंड से लेकर नेपाल सीमा तक इस सिस्टम में 170 सेंसर लगाए गए हैं. जिन जिन जगहों पर सेंसर लगाए गए हैं, वहां का डाटा एक सेंट्रल सर्वर में रिकॉर्ड होता रहता है. जिस का आकलन करने के तुरंत बाद चेतावनी जारी कर दी जाती है.
हालांकि यह विशेष सिस्टम उत्तराखंड के लोगों के लिए है,परंतु सिस्टम की शत प्रतिशत कामयाबी के बाद उम्मीद की जा रही है कि इसका विस्तार होगा और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे अनेक सिस्टम को विकसित किया जा सकेगा ताकि लोगों पर भूकंप का कोई असर नहीं पड़ सके.
अब तक इस सिस्टम की सफलता को भी जान लीजिए. इस सिस्टम ने 8 नवंबर 2022 को 5.8 तीव्रता का पहला मामला पता लगाया था जो कि नेपाल का भूकंप था. देहरादून में 45 सेकंड पहले भूकंप की चेतावनी जारी की गई थी.12 नवंबर को नेपाल में 5.4 तीव्रता का दूसरा भूकंप आया था. 24 जनवरी 2023 को भारत और नेपाल की सीमा पर आए भूकंप से 45 सेकंड पहले ही देहरादून के लोगों को सतर्क किया गया था.
अब तो सरकार भी इस सिस्टम की विश्वसनीयता को मान चुकी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इससे खासा प्रभावित हैं. सूत्र बता रहे हैं कि भूकंप प्रभावित अथवा संवेदनशील क्षेत्रों में इस सिस्टम को स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.