इनकम टैक्स बचाने के लिए लोग क्या से क्या नहीं करते! कई लोग निवेश करते हैं. तो कई लोग कम आमदनी दिखाकर टैक्स से बचना चाहते हैं.परंतु इसी सिलीगुड़ी शहर के नजदीक एक राज्य ऐसा भी है जहां के लोग सरकार को किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देते और वह सभी सुविधाएं प्राप्त करते हैं, जो टैक्स देने वाले प्राप्त करते हैं.
आप सोच रहे होंगे कि सिलीगुड़ी के नजदीक ऐसा कौन सा प्रदेश है जहां के निवासी सरकार को इनकम टैक्स नहीं देते. तो हम आपको बता देते हैं कि यह राज्य है सिक्किम, जहां के मूलनिवासी आज भी सरकार को इनकम टैक्स समेत किसी भी तरह का डायरेक्ट टैक्स नहीं देते और मजे में रहते हैं. वे सभी सुविधाएं प्राप्त करते हैं जो सिलीगुड़ी का एक इनकम टैक्स भरने वाला व्यक्ति प्राप्त करता है!
सिक्किम किसी समय भूटान की तरह ही एक स्वतंत्र देश हुआ करता था.यह भारत का अंग नहीं था. जब भारत आजाद हुआ तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सिक्किम को हिमालयी राज्य के तौर पर स्थापित करने की बात कही थी. 1950 में भारत सिक्किम शांति समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत सिक्किम ने शर्त रखी थी कि अगर उस पर बाहरी हमला होता है तो भारत उसकी रक्षा करेगा. समझौते की शर्तों के अनुसार यह भी समझौते के अंतर्गत शामिल किया गया था कि सिक्किम के लोग सरकार को टैक्स नहीं देंगे.
1975 में सिक्किम भारत का अभिन्न हिस्सा हो गया. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत भारत के हर नागरिक को अपनी आय के अनुसार टैक्स देना होता है. लेकिन सिक्किम एक विशेष राज्य के रूप में भारत का अंग है. इसलिए यहां यह एक्ट लागू नहीं होता है. 1949 में बना टैक्स रेगुलेशन ही यहां लागू होता है. भारतीय संविधान के आर्टिकल 372 F के अनुसार सिक्किम के निवासियों को किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना होता है.
तो क्या सभी सिक्किम वासी सरकार को टैक्स नहीं देते? ऐसा नहीं है. 1975 से पहले सिक्किम में बसे नागरिक को ही यह सुविधा प्राप्त है अर्थात उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ता है. लेकिन 1975 के बाद बसे लोग इस दायरे में नहीं आते. या फिर सिक्किम की कोई बेटी अगर गैर सिक्किम निवासी से शादी कर ले तब भी टैक्स छूट का बेनिफिट उसे नहीं मिलता. टैक्स छूट का बेनिफिट सिर्फ सिक्किम के मूल निवासियों को ही मिलता है. ऐसा नहीं है कि सिलीगुड़ी अथवा पश्चिम बंगाल का कोई व्यक्ति सिक्किम का नागरिक बन जाए तो उसे टैक्स नहीं देना होगा!