सिलीगुड़ी के बाजार में भांति भांति के साबुन और प्रसाधन सामग्रियां आ गई हैं. आने वाले समय में हो सकता है कि गधी अथवा बकरी के दूध का साबुन भी यहां आसानी से उपलब्ध होने लगे. ऐसा लोग मानते हैं कि ऐसे साबुन से स्नान करने से शरीर की त्वचा गोरी हो जाती है. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत नहीं हो सका है. परंतु सोशल मीडिया में इसकी चर्चा मेनका गांधी के बयान से शुरु हो गई है.
सुंदर कौन नहीं दिखना चाहता! खासकर महिलाएं हमेशा सुंदर दिखना चाहती हैं. इसके लिए तरह-तरह के सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग किया जाता है. परंतु मेनका गांधी की माने तो गधी के दूध से बना साबुन महिला के शरीर को सुंदर और आकर्षक बनाए रखता है. लेकिन गधी के दूध का साबुन इतना महंगा है कि सभी महिलाएं उसका इस्तेमाल नहीं कर सकती. एक साबुन की कीमत ₹500 है. मेनका गांधी एक वीडियो में कहती हैं कि क्यों नहीं हम लोग बकरी और गधी के दूध का साबुन बनाएं!
मेनका गांधी के इस वीडियो के जरिए ऐतिहासिक विश्व सुंदरी क्लियोपैट्रा भी जीवित हो गई है. इस विश्व सुंदरी के बारे में कहा जाता है कि यह गधी के दूध से नहाती थी. इसलिए वह खूबसूरत दिखती थी. क्लियोपैट्रा का संबंध भारत से भी था. उसे भारत के गरम मसाले तथा मोती पसंद थे. इस महिला ने लंबे अरसे तक मिस्र पर शासन किया था.
इतिहास में इस बात का जिक्र किया गया है कि अपने खूबसूरत यौवन को बनाए रखने के लिए क्लियोपैट्रा गधी का दूध इस्तेमाल करती थी. वह हर दिन नहाने के लिए 700 गधियों का दूध मंगाती थी. मिस्र की रानी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह जितनी अधिक खूबसूरत और सेक्सी थी, उससे कहीं ज्यादा क्रूर और षड्यंत्रकारी महिला थी. रानी क्लियोपेट्रा बड़े-बड़े राजाओं को अपनी सुंदरता के जाल में फसाकर उन्हें ठिकाने लगा देती थी.
कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि अपने अंतिम समय में रानी क्लियोपेट्रा ने सांप से अपने वक्षस्थल पर कटवा कर आत्महत्या की थी. जबकि कुछ इतिहासकार रानी की मौत मादक पदार्थों के अत्यधिक सेवन से हुई, बता रहे हैं.