पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में हिंसा का दौर जारी है. सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों में बारिश के बीच उम्मीदवार तथा पार्टी के नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं, तो पहाड़ में भी चुनाव प्रचार चल रहा है. सभी को 8 जुलाई का इंतजार है, जब मतपेटियों में उनकी किस्मत बंद होगी. इस बीच केंद्रीय बलों का आना शुरू हो गया है.
उत्तर बंगाल में कूचबिहार इलाका हमेशा से ही अशांत और संवेदनशील माना जाता रहा है. वहां चुनावी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. तृणमूल कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई लगातार हिंसक होती जा रही है. केंद्रीय बल शांति स्थापना और निर्भीक मतदान के लिए चुनाव केंद्रों के पास तैनात किए जा रहे हैं.
पहाड़ में अनीत थापा बनाम राजू बिष्ट की जुबानी जंग तेज होती जा रही है. अपनी पार्टी तथा मोर्चा के उम्मीदवारों का प्रचार करते हुए राजू विष्ट अनित थापा को पाखंडी बता रहे हैं तो वहीं अनीत थापा भाजपा को झूठ की पार्टी बताने का कोई भी अवसर नहीं ग॔वा रहे हैं. दोनों ही नेता बिना थके अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करते हुए जनता से वोट मांग रहे हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों के द्वारा भी चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है.
इस बीच पहाड़ में होम स्टे ऑनर्स सांसद राजू बिष्ट के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं.वे राजू बिष्ट से माफी मांगने की बात कह रहे हैं. राजू बिष्ट ने होमस्टे ऑनर्स की नौकर और गार्ड से तुलना की थी.
लोगों में विश्वास का वातावरण कायम करने के लिए केंद्रीय बल पहाड़ के विभिन्न स्थानों में रूट मार्च कर रहे हैं तो समतल में भी केंद्रीय बलों के द्वारा शांतिपूर्ण व निष्पक्ष मतदान के लिए तैयारी चल रही है. इन सभी के बीच उम्मीदवारों पर हमले भी हो रहे हैं. माथा भांगा के एक ग्राम पंचायत के एक बूथ पर सीपीएम प्रार्थी के घर पर बम बाजी की गई है. हालांकि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है.
दिनहाटा में भाजपा के ग्राम पंचायत उम्मीदवार के घर पर तोड़फोड़ गई है तथा उम्मीदवार के पति की पिटाई भी की गई है. उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. तृणमूल कांग्रेस पर भाजपा ने आरोप लगाया है. जबकि तृणमूल कांग्रेस ने इसे भाजपा की अंदरूनी कलह का नतीजा बताया है.
सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों में हालांकि यह स्थिति नहीं देखी जा रही है. विभिन्न दलों के प्रत्याशी मतदाताओं के घर जाकर संपर्क कर रहे हैं. फांसी देवा, डाबग्राम,फुलबारी, माटीगाड़ा आदि इलाकों में मतदाताओं के घर नेताओं और उम्मीदवारों का आना-जाना शुरू हो चुका है. मतदाताओं को हर पार्टी की ओर से सब्जबाग दिखाए जाते हैं, परंतु मतदाता अभी खामोश है.
मतदाता का फैसला तो 8 तारीख को ही होगा. लेकिन उससे पहले सवाल यह है कि मतदान के लिए मतदान केंद्रों पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण वातावरण की स्थापना हो सके. अब देखना होगा कि केंद्रीय बल मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर लाने में कितना सफल हो पाते हैं!