यूं तो सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस राज्य के दूसरे छोटे शहरों के मुकाबले अच्छा काम करती है. चाहे वह जनता की सेवा का मामला हो या फिर अपराधियों की धर पकड़, ड्रग्स उन्मूलन जैसे कारनामे सिलीगुड़ी पुलिस करती आई है. लेकिन कभी-कभी कुछ मामलों में पुलिस की कर्तव्यहीनता और उदासीनता भी नजर आती है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है,जहां FIR दर्ज होने के बावजूद सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत पानीटंकी आउटपोस्ट की पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. लिहाजा यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट की सर्किट बेंच में गया है.
सिलीगुड़ी के एक व्यवसायी ने चाय सप्लाई करने वाली एक प्राइवेट कंपनी के डायरेक्टर को चाय की आपूर्ति के लिए 50 लाख रुपए अग्रिम भुगतान कर दिए. यह घटना 2022 की है. रकम दिए जाने के बाद भुक्तभोगी व्यवसायी चाय पत्ती के लिए इंतजार करता रहा. लेकिन कंपनी की ओर से उसे चाय पत्ती नहीं भेजी गई. ना ही उसका पैसा वापस किया गया. इसके बाद व्यवसाई ने कंपनी के डायरेक्टर से संपर्क किया लेकिन इसके बावजूद भी कुछ नहीं हुआ. तब भुक्तभोगी व्यवसाई ने कंपनी के अधिकारी के खिलाफ 50 लाख रुपए की धोखाधड़ी का केस पानी टंकी आउटपोस्ट में दर्ज करवाया.
व्यापारी के प्रार्थना पत्र पर पानी टंकी आउटपोस्ट के पुलिस अधिकारी ने 4 फरवरी 2023 को कंपनी तथा कंपनी के डायरेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज किया. आरोप है कि FIR दर्ज करने के बावजूद पानी टंकी आउट पोस्ट के जांच अधिकारी ने ना तो धारा 164 के तहत कंपनी के डायरेक्टर का बयान दर्ज किया और ना ही इस संबंध में कोई अन्य कार्रवाई की. पुलिस की ओर से निराश होने के बाद और जब FIR दर्ज होने के 6 महीने से ज्यादा समय हो गया और कोई परिणाम सामने नहीं आया, तब व्यापारी ने इस मामले को हाई कोर्ट में ले जाने का फैसला किया.
भुक्त भोगी व्यापारी के वकील संजय मजूमदार ने बताया कि कोलकाता हाई कोर्ट की सर्किट बेंच में यह मामला चला. न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने भी हैरानी व्यक्त की कि आखिर पानी टंकी आउटपोस्ट के जांच अधिकारी ने इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. सर्किट बेंच ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की है कि आखिर पश्चिम बंगाल सरकार एक दोषी को बचाने का क्यों प्रयास कर रही है. कोर्ट ने सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर से भी पूछा है कि पानी टंकी आउटपोस्ट के जांच अधिकारी की कर्तव्यहीनता को लेकर उन्होंने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया. उन्हें तलब क्यों नहीं किया गया?
कोर्ट ने सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर से इस पूरे मामले को देखने तथा जवाब फाइल करने को कहा है. सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस अपने कर्तव्य पथ से क्यों भटक जाती है? पुलिस को उसका काम करने से क्यों रोका जाता है? उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा प्रखंड में भी पुलिस की निष्क्रियता और अपराधियों की दबंगई के मामले सामने आने के बाद ठीक इसी तरह का सवाल दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने भी उठाया था. उन्होंने पुलिस का जमीर जगाने की कोशिश की थी. बहरहाल ऐसी घटनाओं से जनता का पुलिस पर विश्वास कम होता है. पुलिस को निष्पक्ष रूप से अपना काम करना चाहिए.