November 23, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी की जेल और पुलिस थाना अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना!

विगत कुछ दिनों से सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्र में अपराधियों का मनोबल कितना बढ़ गया है, इसका सबूत है सिलीगुड़ी, माटीगाड़ा, नक्सलबाड़ी, चोपड़ा आदि इलाकों में घटी घटनाएं, जहां अपराधियों को पुलिस और कानून का कोई खौफ नहीं है. चोपड़ा ब्लॉक में तो अपराधियों ने दिनदहाड़े पुलिस की नाक के नीचे आदिवासी लोगों के घरों में घुसकर गोलियां बरसाते हुए कईयों को बुरी तरह जख्मी कर दिया था.

सिलीगुड़ी में भक्ति नगर थाना, प्रधान नगर थाना और सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के लगभग सभी थानों में अपराधियों की दबंगई और बढ़ते मनोबल की तस्वीरें सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच चुकी है. कुछ समय पहले किसी मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को भक्ति नगर थाना की पुलिस जब उसे कोर्ट में प्रस्तुत करने ले जा रही थी, तब उस व्यक्ति की अकड़ देखते बनती थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसे अपने किए का कोई पश्चाताप नहीं है.

आज एक बार फिर से कुछ ऐसा ही नजारा प्रधान नगर थाना में देखने को मिला, जब वाहन चोरी के एक मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों को प्रधान नगर थाना की पुलिस कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए ले जा रही थी. तब दोनों आरोपियों में से एक आरोपी, जिसका नाम नीमा छिरिंग शेरपा है, ने उसकी तस्वीर ले रहे कैमरामैन को इशारा करते हुए कहा कि ले लो जितनी तस्वीर चाहो, उसको कोई फर्क नहीं पड़ता. शायद वह यही कहना चाहता था! उसकी अकड़, बॉडी लैंग्वेज आप स्वयं वीडियो में देख सकते हैं और कल्पना कर सकते हैं कि उसे अपने किए का कोई पछतावा नहीं है.

एक जमाना था जब अपराधी पुलिस थाना और कोर्ट में जाने से डरते थे. हवालात का नाम सुनते ही अपराधी थर-थर कांपने लगते थे. अपराध करने के बाद उन्हें अपने किए पर पश्चाताप होता था. आजकल ठीक इसके विपरीत हो गया है. जब कोई अपराधी किसी मामले में गिरफ्तार होता है तो उसे लगता है कि पुलिस थाना, पुलिस और कोर्ट कचहरी सब उसके अपने हैं. पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है. गंभीर मामले में गिरफ्तार अपराधी जेल को तो वह अपना सुरक्षित ठिकाना मानता है, जहां वह निर्भीक होकर रहता है. जैसे-जैसे माटीगाड़ा के बहुचर्चित बालिका हत्याकांड में गिरफ्तार मोहम्मद अब्बास. कल्पना करिए कि अगर वह जेल से बाहर रहता तो पब्लिक उसका क्या हाल कर देती!

एक अध्ययन से पता चलता है कि अधिकांश अपराध के मामलों में केवल छुटभैये पकड़े जाते हैं. पुलिस सरगना को तलाश नहीं कर पाती या फिर जानबूझकर उन पर हाथ नहीं डालना चाहती. चोरी, डकैती, स्मगलिंग, ड्रग्स तस्करी इत्यादि मामलों में पुलिस मोहरे को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है. जबकि असली गुनहगार खुलेआम घूमता रहता है. अध्ययन यह भी कहते हैं कि हर अपराधी को किसी न किसी बड़े रसूखदार का संरक्षण प्राप्त रहता है.आज कम से कम इसकी झलक भी सामने दिख गई है.

जब प्रधान नगर थाना की पुलिस वाहन चोरी के मामले में गिरफ्तार आरोपियों को कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए लेकर जा रही थी तब उनमें से एक आरोपी ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि सवाल करना है तो नेता से करो, बड़े-बड़े लोगों से करो… उसके इस जवाब में बहुत कुछ संकेत मिल जाता है और इसकी पुष्टि करता है कि चोरी के बड़े मामलों में बड़े-बड़े लोग भी शामिल रहते हैं तथा उनके इशारे पर ही ऐसे मामलों को अंजाम दिया जाता है.

अब सवाल यह है कि अपराधी पुलिस थाना और कानून से क्यों नहीं डरते? अगर अपराधियों की यही प्रवृत्ति रही तो पुलिस और कानून का स्वरूप क्या होगा? क्या यह प्रवृत्ति हमारे समाज को पतन के राह पर नहीं ले जा रही है? जब अपराधी पुलिस और कानून से नहीं डरेंगे तब पब्लिक की क्या मानसिक स्थिति होगी तथा पब्लिक की सुरक्षा कैसे हो पाएगी? इस तरह के अनेक सवाल लोगों के मस्तिष्क में कौंध रहे हैं, परंतु हर सवाल का जवाब वर्तमान में निरुत्तर दिखाई देता है!

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