अब बहुत हो चुका… डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन! प्रदूषण, पर्यावरण असंतुलन, धुंआ से दो चार होती आबादी… दम घोटू वातावरण… सिलीगुड़ी के लोगों को इन सबसे छुटकारा मिलने जा रहा है. सिलीगुड़ी पहले से भी ज्यादा खूबसूरत नजर आएगी… बहुत जल्द सिलीगुड़ी की सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ते नजर आएंगे.
15 साल पुरानी गाड़ियों को हटाने के आदेश का पश्चिम बंगाल, परिवहन विभाग पालन करने लगा है. उत्तर बंगाल में जल्द ही नजर आएंगे इलेक्ट्रिक वाहन. राज्य सरकार ने इस पर सख्ती बरती है. सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, बिधाननगर ,आसनसोल, बारासात,दुर्गापुर, चंदन नगर इत्यादि अनेक शहरों में सरकार के आदेश के बाद राज्य परिवहन विभाग 15 साल पुराने पंजीकृत वाहनों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. अभी तक कई वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है. लेकिन फिर भी वे सड़कों पर चल रहे हैं. अब ऐसे वाहनों के खिलाफ सरकार दूसरे तरीके से कार्रवाई करने पर विचार कर रही है.
राज्य सरकार चाहती है कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन चले और इसके लिए सभी तरह के प्रबंध किए जा रहे हैं.परिवहन विभाग स्वयं कार मालिकों को प्रोत्साहित कर रहा है. इसके अलावा राज्य परिवहन विभाग ने राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए इलेक्ट्रिक कारों को किराए पर लेने की मंजूरी दे दी है. इसका असर उपभोक्ताओं पर निश्चित रूप से पड़ेगा. परिवहन विभाग की अधिसूचना के बाद प्रशासन के सभी स्तर के अधिकारियों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह इलेक्ट्रिक वाहन किराए पर ले. प्रत्येक इलेक्ट्रिक वाहन के लिए राज्य सरकार प्रति महीने ₹46000 खर्च करेगी.
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार इस साल 20000 पेट्रोल और डीजल गाड़ियां रद्द करने वाली है. उनकी जगह पर इलेक्ट्रिक वाहनों को लाया जाएगा. कोलकाता तथा राज्य के दूसरे शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. इसलिए सरकार चाहती है कि उनकी जगह पर इलेक्ट्रिक वाहनों को लाया जाए. निजी कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने से कार निर्माता कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहन तैयार करने की प्रेरणा मिलेगी. ऐसे में डीजल और पेट्रोल से चलने वाली कारों का निर्माण करना वे धीरे-धीरे बंद कर देंगे.
इसके अलावा सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी तथा अन्य सुविधाओं की भी घोषणा की है. परिवहन विभाग के द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को किराए पर लेने का रेट तय कर दिया गया है. हालांकि पेट्रोल और डीजल कारों से यह कहीं ज्यादा है. इस पर चर्चा शुरू हो गई है. ज्वाइंट काउंसिल ऑफ़ लग्जरी टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकर घोष ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत जरूर किया है. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा है कि बुनियादी ढांचे के निर्माण के बिना इलेक्ट्रिक गाड़ी चलाना कितना सफल हो सकता है.
परिवहन विभाग को संबंधित पक्षों से इस पर चर्चा करने की आवश्यकता है. यह सही भी है. इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी सुविधाओं को जुटाए बगैर सरकार किसी भी वाहन मालिक को इलेक्ट्रिक वाहन लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. कोलकाता की तरह सिलीगुड़ी में भाड़े की टैक्सियां बहुत कम है, परंतु यहां हर दूसरे तीसरे घर में छोटी बड़ी कार जरूर है. डीजल और पेट्रोल से चलने वाली कारों के बदले इलेक्ट्रिक वाहन लेने में मालिकों को कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं. परिवहन विभाग को इन सभी मुद्दों का समाधान और संबंधित पक्ष से बातचीत के बाद ही इलेक्ट्रिक वाहनों की अनिवार्यता का फैसला करना चाहिए.