केरल में कहर बरपा रहे निपाह वायरस ने अब बंगाल में भी दस्तक दे दी है. केरल से लौटे एक व्यक्ति में निपाह वायरस जैसे लक्षण पाए गए हैं. उसके बाद ही राज्य स्वास्थ्य विभाग हड़कंप में आ गया है. उस व्यक्ति को कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार संक्रमित व्यक्ति पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले का रहने वाला है. वह केरल में एक प्रवासी मजदूर के रूप में काम कर रहा था. उसे तेज बुखार, उल्टी और गले में संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. शुरुआत में उसका इलाज केरल के एर्नाकुलम अस्पताल में चला. फिर अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह पश्चिम बंगाल लौट आया. लेकिन यहां आने के बाद वह फिर से बीमार हो गया. उसे पहले नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और फिर बेलियाघाटा स्थित आईडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.
हालांकि डॉक्टरों ने अभी तक निपाह वायरस की पुष्टि नहीं की है. परंतु उसके लक्षण निपाह वायरस के रोगियों जैसे ही हैं. मरीज का आवश्यक परीक्षण किया जा रहा है. उसकी उम्र लगभग 20 साल है. डॉक्टर का कहना है कि मरीज पर कडी नजर रखी जा रही है. केरल में निपाह वायरस तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है.
केरल और पश्चिम बंगाल दो ऐसे प्रदेश हैं जो पहले भी निपाह वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. केरल में निपाह वायरस पहले भी आ चुका है. इस बार दोबारा वहां लोगों में हडकंप मचा रहा है. जहां तक पश्चिम बंगाल की बात है तो वर्ष 2001 में निपाह वायरस ने यहां काफी तहलका मचाया था.
सिलीगुड़ी में भी निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में सामने आया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कम से कम 66 लोग इससे संक्रमित पाए गए थे. जबकि 10 लोग एक रहस्यमय बुखार का शिकार हो गए. निपाह वायरस से सिलीगुड़ी के एक डॉक्टर की भी मौत हो गई थी. उस दौर में यहां संक्रमण और मृत्यु दर 74% थी.
निपाह वायरस के बारे में कहा जाता है कि यह कोरोना जैसा घातक तो नहीं है. इसके साथ ही संक्रमण दर भी बहुत ज्यादा नहीं है. केरल में वर्तमान में निपाह वायरस का पिछले तीन दिनों से कोई नया मामला सामने नहीं आया है. केरल सरकार का कहना है कि 61 लोगों का सैंपल रिजल्ट नेगेटिव आया है. निपाह का आखिरी केस 15 सितंबर को दर्ज किया गया था और उसके बाद से कोई पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है.