सिलीगुड़ी में दिवाली और काली पूजा की रात खूब छोड़े गए पटाखे. रात एक से 2:00 बजे तक पटाखे छोड़े गए. शाम 5:00 बजे से ही पटाखे छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया जो देर रात्रि तक चलता रहा. ग्रीन पटाखे कम और तेज ध्वनि वाले सामान्य पटाखे ज्यादा चलाए गए.सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना करते हुए सिलीगुड़ी में ध्वनि वाले पटाखे जलाए गए. पुलिस की सख्ती के बावजूद यह पटाखे कहां से आए और पुलिस को क्यों नहीं पता चला? सवाल तो यह भी है.
आज सुबह कुछ लोगों ने वायु में प्रदूषण का स्तर महसूस किया. कुछ लोगों को सांस लेने में कठिनाई महसूस हुई तो कई लोगों ने बताया कि आज का मौसम ठीक नहीं है. जाहिर सी बात है कि पटाखे के धुएं, ध्वनि और राख के चलते वायु में प्रदूषण बढ़ गया, जिसका इस तरह से एहसास हुआ है. अगर कोलकाता से सिलीगुड़ी की तुलना की जाए तो सिलीगुड़ी काफी सुरक्षित रहा. क्योंकि जिस तरह से आज सुबह कोलकाता में धुंध देखी गई, वैसा कम से कम सिलीगुड़ी में नहीं था.
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकडो से पता चलता है कि आज सुबह कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल में वायु गुणवत्ता सूचकांक 284 और फोर्ट विलियम में 262 दर्ज किया गया. हावड़ा जिले के धुसुरी में यह 310 रहा. मालूम हो कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 0 से 50 के बीच अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, जबकि 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 450 के बीच गंभीर माना जाता है.
सिलीगुड़ी और पश्चिम बंगाल के दूसरे शहरों में भी वायु की गुणवत्ता के स्तर में कमी पाई गई है. पर्यावरणविदों का मानना है कि रविवार को सूर्यास्त के बाद जैसे ही शहर में आतिशबाज़ी शुरू हुई, वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया. यही कारण है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से कुछ लोगों को सांस संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हुई.
आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में सामान्य पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था. सिलीगुड़ी में एक हफ्ते पहले से ही कावाखाली बाजार में ग्रीन पटाखो की बिक्री शुरू भी हुई थी. ग्रीन पटाखे को इको फ्रेंडली पटाखे भी कहा जाता है. क्योंकि इन पटाखों से पर्यावरण पर खास नुकसान नहीं होता. इन पटाखों में अपेक्षाकृत कम आवाज और कम धुआ होता है. ग्रीन पटाखे को 2018 में नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया था. यह काउंसिल फार साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च का एक हिस्सा है.
कोलकाता, सिलीगुड़ी और दूसरे छोटे बड़े शहरों में आज वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से कहा जा सकता है कि दीपावली और काली पूजा की रात लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना करते हुए सामान्य पटाखों का ज्यादा इस्तेमाल किया है!