पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का उत्तर बंगाल दौरा का कार्यक्रम लगभग बन चुका है. मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री 5 दिसंबर को उत्तर बंगाल के दौरे पर आ रही हैं. वह दो दिवसीय यात्रा पर यहां आ रही हैं. 7 दिसंबर को उनके वापस लौटने की बात है. ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री के साथ कई मंत्री और प्रशासनिक सचिव भी आ रहे हैं. इनमें मंत्री अरूप विश्वास, मुख्य सचिव एच के द्विवेदी, गृह सचिव गौतम देव और पूर्व सांसद शांता क्षेत्री के नाम की चर्चा हो रही है.
जिस समय मुख्यमंत्री का उत्तर बंगाल दौरा शुरू हो रहा है, उस समय तक उत्तर बंगाल में पृथक राज्य का मुद्दा गरमा चुका होगा. इसी महीने की 19 तारीख को जल्पेश में दो दर्जन से ज्यादा छोटे बड़े संगठनों का जमावड़ा हो रहा है.इसमें उत्तर बंगाल में पृथक राज्य का क्या ढांचा होगा और उसकी रणनीति क्या होगी, इत्यादि विभिन्न मुद्दों पर क्षेत्रीय संगठनों के नेता विचार कर चुके होंगे. इसलिए यह मामला भी सुर्खियों में होगा.
उत्तर बंगाल में अलग राज्य के मुद्दे का नेतृत्व प्रमुख रूप से बिमल गुरुंग कर रहे हैं. हालांकि बिमल गुरुंग की पार्टी गोरखा जन मुक्ति मोर्चा गोरखा लैंड की मांग को लेकर शुरू से ही आक्रामक रही है. लेकिन बदली हुई स्थितियों में उत्तर बंगाल के विभिन्न क्षेत्रीय संगठनों का एक मंच तैयार हुआ है यूनाइटेड फ्रंट फॉर सेपरेट स्टेट. इसमें उत्तर बंगाल के राजनीतिक और गैर राजनीतिक संगठन शामिल हुए हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस बंगाल विभाजन नहीं चाहती. दूसरी तरफ बिमल गुरुंग की पार्टी बंगाल विभाजन, गोरखालैंड आदि को लेकर सक्रिय रही है. विमल गुरुंग पहाड़ के लोगों के हक में कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहते हैं. कुछ समय पहले उन्होंने पहाड़ के चाय बागानों के श्रमिकों के पक्ष में एक बड़ा बयान दिया था. मुख्यमंत्री पहाड़ दौरे के क्रम में चाय बागानों के श्रमिकों से मुलाकात करेंगी तथा उन्हें जमीन का पट्टा भी दे सकती हैं.
बदली हुई स्थितियों मे यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के पहाड़ दौरे के क्रम में क्या बिमल गुरुंग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर सकते हैं? या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पहाड़ दौरे के क्रम में बिमल गुरुंग से मुलाकात कर सकती हैं? यह सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल में अपनी पार्टी को मजबूत करना चाहती हैं. वह अच्छी तरह जानती हैं कि दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र से वही पार्टी चुनाव जीतती है, जिसे पहाड़ का समर्थन मिलता है.
बिमल गुरुंग पहाड़ के कद्दावर नेता है. उनका पहाड़ के लोगों पर एक अच्छा प्रभाव है. 2017 में जब पहाड़ में गोरखालैंड को लेकर भारी हंगामा हुआ था, उस समय बिमल गुरुंग ही सबसे ज्यादा सक्रिय थे. कहा जाता है कि पहाड़ का वोट हासिल करने के लिए बिमल गुरुंग को कोई भी पार्टी अनदेखा नहीं कर सकती.
पहाड़ में कई छोटे-छोटे राजनीतिक दल हैं. GTA के प्रमुख अनित थापा का ममता बनर्जी को साथ मिल सकता है. क्या विमल गुरुंग भी ममता बनर्जी के साथ आ सकते हैं? हो सकता है कि ममता बनर्जी बिमल गुरुंग की नब्ज टटोलना चाहे. दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषको को नहीं लगता कि बिमल गुरुंग जिस बात के लिए जाने जाते हैं, उस सिद्धांत और पार्टी की लीक से हटकर फैसला करेंगे.
काफी समय से बिमल गुरुंग यूनाइटेड फोरम फॉर सेपरेट स्टेट को लेकर चर्चा में है. चर्चा है कि इस संबंध में फोरम के नेता और संगठन राज्य सरकार और केंद्र सरकार को अलग-अलग चिट्टियां भेज सकते हैं. यह मुद्दा आने वाले समय में काफी गरमाने वाला है. हालांकि विमल गुरुंग ने अभी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. परंतु जानकार मानते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में यूनाइटेड front फॉर सेपरेट स्टेट भी एक मुद्दा होगा. कोई भी पार्टी इसको नजरअंदाज नहीं कर सकती.
बहरहाल अभी यह तय नहीं हुआ है कि मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे अथवा पहाड़ दौरे के क्रम में कौन-कौन से स्थानीय नेता उनसे मुलाकात करेंगे. यह 5 दिसंबर के बाद ही पता चलेगा. तब तक उत्तर बंगाल और पहाड़ की राजनीति में संभावनाओं और चर्चाओं का बाजार गर्म है.