राजू बिष्ट दार्जिलिंग संसदीय सीट से लोकसभा के उम्मीदवार हैं. यह पहला मौका है, जब भाजपा ने उन्हें इस सीट से फिर से उम्मीदवार बनाया है. वरना भाजपा के पिछले इतिहास पर नजर डालें तो 15 वर्षों में किसी भी सांसद को भाजपा ने दूसरी बार मौका नहीं दिया है. ऐसे में राजू बिष्ट काफी भाग्यशाली रहे हैं और उन्होंने दोबारा टिकट पाकर एक इतिहास भी कायम किया है.
अब सवाल उठता है कि राजू बिष्ट पहाड़, समतल और Dooars में कितने लोकप्रिय हैं. वे अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से कितने जुड़े और जिम्मेदार हैं. राजू बिष्ट के चाहने वाले बताते हैं कि एक सांसद के रूप में पिछले 5 वर्षों में राजू बिष्ट ने अपनी क्षमता और योग्यता के अनुरूप कार्य किया है. यही कारण है कि पार्टी कार्यकर्ता से लेकर जनता तक उन्हें चाहती है. पार्टी ने उन्हें इस विश्वास से दोबारा टिकट दिया कि वे जीत कर फिर से अपने क्षेत्र की अवाम की सेवा करेंगे.
इसमें कोई शक नहीं कि पहाड़ से लेकर समतल तक राजू विष्ट एक जाना पहचाना चेहरा है. स्थानीय भाजपा नेता और कार्यकर्ता भी उनके साथ हैं. इसका सबूत उन्होंने बागडोगरा हवाई अड्डे पर ही दे दिया था जब वह दिल्ली से हवाई जहाज से अपने संसदीय क्षेत्र में पहुंचे थे. उनके स्वागत के लिए समतल से लेकर पहाड़ तक के भाजपा नेता, कार्यकर्ता और विशाल संख्या में लोग जमा थे. यहां तक तो ठीक है. लेकिन उसके बाद बंगाल के भाजपा स्टार प्रचारकों में राजू बिष्ट का नाम शामिल नहीं किया जाना और सिक्किम लोकसभा और विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के लिए उन्हें स्टार प्रचारक बनाया जाना कुछ प्रश्न चिन्ह खड़े करते हैं.
क्या राजू बिष्ट बंगाल से ज्यादा सिक्किम में लोकप्रिय हैं? अगर राजू बिष्ट अपने संसदीय क्षेत्र और उत्तर बंगाल में लोकप्रिय हैं तो पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक क्यों नहीं बनाया? या क्या राजू बिष्ट को पार्टी ने इसलिए स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया कि बांग्ला भाषा पर उनकी ज्यादा पकड़ नहीं है और वह बंगाल की जनता पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल सकते हैं? या क्या इसलिए कि दार्जिलिंग के अलावा अन्य क्षेत्रों में राजू बिष्ट का अपना कोई प्रभाव नहीं है? ऐसे और भी कई सवाल उठ रहे हैं.
दूसरी तरफ राजू बिष्ट को सिक्किम विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बनाया गया है. तो क्या राजू बिष्ट बंगाल से ज्यादा सिक्किम में काफी लोकप्रिय हैं? अगर राजू बिष्ट सिक्किम में चुनाव प्रचार करेंगे तो अपने क्षेत्र में अपनी जीत के लिए प्रचार का किस तरह से समय निकाल सकेंगे.या क्या राजू बिष्ट को अपनी जीत का ओवर कॉन्फिडेंस हो गया है? क्योंकि आज दिल्ली जाते समय उन्होंने अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि 5 साल तक तो वे यही सब करते रहे हैं. उन्हें अपने क्षेत्र की जनता पर पूरा भरोसा है . कहीं ना कहीं उनके इस बयान में उनका ओवर कॉन्फिडेंस भी दिखता है. लेकिन उनके अपने ही संसदीय क्षेत्र और खासकर पहाड़ में विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के द्वारा भूमिपुत्र का मुद्दा उठाया जा रहा है.
तृणमूल नेत्री पापिया घोष ने अपने एक बयान में कहा है कि इस बार पहाड़ में मणिपुर बनाम भूमिपुत्र की लड़ाई होगी. आपको बता दें कि राजू बिष्ट मणिपुर से आते हैं. इसलिए पापिया घोष ने उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताया है. पहाड़ में राजू बिष्ट का समर्थन सुभाष घीसिंग की पार्टी जेएनएलएफ कर रही है. इसके अलावा राजू बिष्ट ने एक मंजे हुए चतुर नेता की तरह विमल गुरुंग पर भी इमोशनल दाव खेला है. उन्होंने एक बयान में कहा है कि मैं विमल गुरुंग का सम्मान करता हूं. क्योंकि उन्हें देखकर ही मैं राजनीति में आया हूं. राजू बिष्ट के इस बयान के बाद विमल गुरुंग अपना रुख स्पष्ट करने वाले हैं कि वह राजू बिष्ट की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं या नहीं.
इस बीच पहाड़ में दार्जिलिंग भाजपा विधायक नीरज जिंबा द्वारा राजू बिष्ट का समर्थन के बाद कर्सियांग के भाजपा विधायक बी पी बजगई के भी सुर बदल सकते हैं. कल तक बजगई यह कह रहे थे कि अगर राजू बिष्ट दोबारा यहां से चुनाव लड़ते हैं तो वह निर्दलीय रूप में अपना नामांकन दाखिल करेंगे. लेकिन अब बीपी बजगई विमल गुरुंग से मिलने जा रहे हैं. बहरहाल राजू बिष्ट की खुद अपने क्षेत्र में लोकप्रियता और विपक्षी दलों के आघात की तस्वीर जल्द ही स्पष्ट हो जाएगी. इसके बाद पता चलेगा कि राजू बिष्ट अपने क्षेत्र में खासकर पहाड़ में कितने लोकप्रिय हैं. लेकिन इन सबसे ज्यादा चर्चा का विषय यह है कि अखिल भारतीय भाजपा ने राजू बिष्ट को बंगाल में भाजपा स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया है, वहीं दूसरी तरफ सिक्किम में उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया है. यह वर्तमान में सुर्खियों में है… लोग तरह-तरह के इसके मायने निकाल रहे हैं.
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