ऐसा लगता है कि दार्जिलिंग संसदीय सीट तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. तृणमूल कांग्रेस किसी भी तरह इस सीट को भाजपा से हासिल करना चाहती है, जबकि भाजपा अपनी सीट बरकरार रखना चाहती है. यहां 26 अप्रैल को मतदान होगा. तृणमूल कांग्रेस और भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा की और से संयुक्त उम्मीदवार गोपाल लामा ने अपना नामांकन पत्र भर दिया है. जबकि भाजपा की ओर से राजू बिष्ट 3 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगे. इस बीच कर्सियांग के भाजपा विद्रोही विधायक बी पी बजगई आज अपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है.
गोपाल लामा के पक्ष में अनित थापा ने काफी पहले से ही पहाड़ में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था. पहाड़ में अनित थापा गोपाल लामा के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे हैं तो समतल में सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव और पापिया घोष चुनाव प्रचार कर रहे हैं. पहाड़ में अनित थापा 15 सालों का हिसाब किताब मांगने के बहाने मतदाताओं को यह बताना चाहते हैं कि 15 सालों में भाजपा ने उन्हें सिर्फ मूर्ख बनाया है. इस बार वे जनता को भाजपा के बहकावे में नहीं आने देने के लिए सचेत कर रहे हैं.
अनित थापा कहते हैं कि इस बार के चुनाव में बंगाली व गोरखा के बीच विभाजन करने की राजनीति को समाप्त करने का समय आ गया है. एक फूल ने पहाड़ में कुछ नहीं किया. इसलिए दो फूल लेकर आए हैं. उनका मुद्दा पहाड़ का विकास है. शांति है. गोपाल लामा भी चुनाव प्रचार में कहते हैं कि मैं आश्वासन नहीं बल्कि काम करने के लिए आया हूं. गोपाल लामा काफी पढ़े लिखे विद्वान व्यक्ति हैं. दूसरी तरफ राजू बिष्ट ग्रेजुएट हैं. उन्होंने 2007 में मणिपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. वर्तमान में वे सूर्या प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के पद पर हैं.
एक तरफ तो तृणमूल कांग्रेस की हांडी चूल्हे पर चढ़ चुकी है और भात पकने का इंतजार किया जा रहा है. दूसरी तरफ भाजपा और भाजपा के उम्मीदवार राजू बिष्ट के भात की हांडी को चूल्हे पर चढ़ाया जा रहा है चढ़ाने के लिए उपयुक्त चूल्हे और उपयुक्त तापमान का इंतजार किया जा रहा है. सरल शब्दों में कहें तो तृणमूल कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार का चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है. जबकि भाजपा उम्मीदवार का ना तो नामांकन हुआ है और ना ही चुनाव प्रचार शुरू हुआ है. उम्मीदवारी घोषित होने के बाद राजू बिष्ट फिलहाल पार्टी नेताओं को एकजुट करने में जुट गए हैं.
पिछले दिनों पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं को एकजुट करने के लिए राजू बिष्ट ने मल्लागुरी स्थित भाजपा सिलीगुड़ी संगठन के जिला कार्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक की थी. इस बैठक में अन्य नेताओं के साथ फांसी देवा विधानसभा क्षेत्र की विधायक दुर्गा मुर्मू तथा माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक आनंदमय बर्मन समेत अन्य छोटे बड़े नेता उपस्थित थे. उधर पहाड़ में कर्सियांग के विधायक बीपी बजगई भी राजू बिष्ट से नाराज चल रहे हैं. राजू बिष्ट ने उनकी नाराजगी को भी दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया है. अब इन नेताओं की नाराजगी दूर हुई है या नहीं, यह चुनाव प्रचार के समय ही पता चलेगा या फिर राजू बिष्ट के नामांकन के समय ही स्पष्ट हो सकेगा.
लेकिन दावा किया जा रहा है कि अब पार्टी में सब कुछ ठीक है. आपको बताते चलें कि गत वर्ष माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक आनंद मय बर्मन को भाजपा सिलीगुड़ी सांगठनिक जिला कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से ही वह परोक्ष रूप से राजू बिष्ट से नाराज चल रहे थे. उस समय से आनंद मय बर्मन राजू बिष्ट की किसी भी सभा तथा बैठक में शामिल नहीं हुए थे. राजू बिष्ट को टिकट मिलने के बाद भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष शिखा मित्रा ने तृणमूल कांग्रेस का भी दामन थाम लिया था. उधर कर्सियांग के भाजपा विधायक बी पी बजगई ने भी बगावत कर दी है. इन नेताओं की नाराजगी दूर करने के बाद ही राजू बिष्ट का असली इम्तिहान शुरू होगा.
भाजपा का सिलीगुड़ी संगठन जिला इन दिनों सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष और माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी के भाजपा विधायक आनंद मय बर्मन के दो गुटों में बटा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि भाजपा में कोई गुटबाजी नहीं है. परंतु इसका इम्तिहान भी राजू बिष्ट के नामांकन के दिन ही हो सकेगा. इसलिए राजू बिष्ट की डगर आसान तो नहीं है.चूल्हे के बाद भात पकाने की तैयारी करनी होगी. इसके लिए हमें कुछ समय तक इंतजार करना होगा. वैसे जानकारी तो यह भी मिल रही है कि राजू बिष्ट के पक्ष में माहौल बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी, योगी आदित्यनाथ आदि वरिष्ठ नेता सिलीगुड़ी और पहाड आ रहे हैं.
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