इन दिनों स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम सुर्खियों में है. यह सुर्खियों में इसलिए नहीं है कि बड़े-बड़े महान कार्य अथवा वित्तीय सहयोग सिक्किम के नागरिकों को उपलब्ध कराया गया है, ना ही इसकी चर्चा बैंक की साख को लेकर हो रही है. बल्कि इसकी चर्चा इसलिए हो रही है कि एक बार फिर से बैंक में वित्तीय हेरा फेरी की गई है. सिक्किम नागरिक समाज की ओर से स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है.
इससे पहले 2011 में राबंगला के एक बैंक अधिकारी पर खाता धारकों से ब्याज के पैसे हड़पने का आरोप लगा था. पीड़ित लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. ग्राहकों ने फौरन इसकी शिकायत की थी. उसके बाद ही यह मामला प्रकाश में आया. उस समय भी हंगामा हुआ था और स्टेट बैंक आफ सिक्किम की साख में बट्टा लगा था. उसके बाद यह दूसरी घटना घटी है. जिसमें एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है.
सिक्किम के नागरिक अब इस बैंक पर भरोसा नहीं करते. इसकी साख को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.खबर है कि 69 करोड रुपए की हेरा फेरी की गई है. इसके लिए बैंक के ही तीन अधिकारी चर्चा में है. 69 करोड रुपए का कोई हिसाब नहीं है. यही कारण है कि सिक्किम नागरिक समाज अब किसी भी तरह बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है.
बैंकों के लिए मार्च का महीना सबसे महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि इस महीने में ऑडिट होता है.ऑडिट के पश्चात ही वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता का पता चलता है.31 मार्च 2024 को किए गए एक ऑडिट के बाद 69 करोड रुपए की अनाधिकृत लेनदेन की खबर प्रकाश में आई थी. तब इस पर काफी हंगामा हुआ था. सोशल मीडिया के जरिए मामले को सार्वजनिक किया गया था. बैंक को थाने में एफआईआर दर्ज करने में पूरे 3 महीने लग गए.
घोटाले में शामिल बैंक के तीन अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. लेकिन रकम बड़ी है. इसको देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें बैंक के और लोग भी शामिल हो सकते हैं. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है. इसके साथ ही वित्तीय घोटाले की जड़ तक पहुंचने का भी प्रयास किया जा रहा है. ऐसी भी जानकारी है कि स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम के प्रबंध निदेशक ग्राहकों का भरोसा और विश्वास बढ़ाने के लिए इसे कोई गंभीर मुद्दा नहीं बता रहे हैं.
हालांकि स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम के ग्राहक अब इससे दूर होते जा रहे हैं. स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम के जो प्रबंध निदेशक हैं, वह कह रहे हैं कि यह कोई बड़ा मामला नहीं है. पर यह बड़ा मामला क्यों नहीं है. 69 करोड रुपए कोई कम नहीं होते. फिर एक बार बैंक में वित्तीय हेरा फेरी होती है तो बैंक पर जनता की साख कमजोर होती है. यह जनता की चिंता को बढ़ाने वाली स्थिति होती है.
सिक्किम नागरिक समाज ने जनता की चिंता को स्वाभाविक मानते हुए वित्तीय घोटाले की व्यापक और निष्पक्ष जांच की मांग की है. ताकि मामले की जड़ तक पहुंचा जा सके. संगठन ने स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम के आरोपी अधिकारियों से सख्त पूछताछ और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की है. अगर बैंक में प्रदर्शित नहीं होगी तो ग्राहक का भरोसा बैंक पर नहीं होता है
सिक्किम नागरिक समाज स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर आंदोलन की राह पर है. संगठन की ओर से मांग की गई है कि स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम अपने आंतरिक सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करें और उसे मजबूत करने की कोशिश करे.इसे नियमित ऑडिट और मानक प्रक्रियाओं के सख्त पालन के माध्यम से भविष्य में होने वाली ऐसी हेरा फेरी को रोका जा सकता है. संगठन ने यह भी मांग की है कि बैंक के निदेशक मंडल पारदर्शी तरीके से कार्य करें और ग्राहकों का भरोसा जीतने का प्रयास करें.सिक्किम नागरिक समाज और जनता की ओर से अपील की गई है कि स्टेट बैंक ऑफ़ सिक्किम तथा जांच एजेंसियां सिक्किम के लोगों के हितों की रक्षा के लिए बिना किसी लाग लपेट के कार्य करें.
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