सिलीगुड़ी समेत पूरे प्रदेश में निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे स्कूल बस से ही आवागमन करते हैं. स्कूल बस बच्चों को सुरक्षित विद्यालय ले जाने और विद्यालय से वापस उनके घर तक पहुंचाने के लिए जिम्मेवार होते हैं. इसके लिए बस चालक और कंडक्टर को कई गाइडलाइंस का पालन करना होता है. यह सभी गाइडलाइंस बच्चों की सुरक्षा को लेकर होती है.
समय-समय पर पश्चिम बंगाल सरकार के परिवहन विभाग की ओर से स्कूल बसों को लेकर एडवाइजरी जारी की जाती रही है. परिवहन विभाग की ओर से एक बार फिर से स्कूल बसों और पूल कार को लेकर एडवाइजरी सामने आई है. परिवहन विभाग के प्रधान सचिव डॉक्टर सौमित्र मोहन द्वारा जारी एडवाइजरी में बस चालको और विद्यालय प्रबंधन को कई निर्देश दिए गए हैं. राज्य के परिवहन मंत्री स्नेह आशीष चक्रवर्ती ने परिवहन भवन में विद्यार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी जारी की है.
परिवहन विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी को पढ़ने के बाद स्कूलों को भी पसीना आने लगा है और वे चिंता में पड़ गए हैं. दरअसल परिवहन विभाग की एडवाइजरी में स्कूल बस के पास सी एफ परमिट आदि वैध दस्तावेज होने चाहिए. सीट की जितनी क्षमता है उससे अधिक छात्रों को लाने, ले जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. स्कूल बस की अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है. स्कूल बस हो अथवा पूल कार प्रशासनिक अनुमति के बाद स्कूल के समय के बाद निजी कार्य के लिए चलाए जा सकते है. स्कूल बस अथवा पूल कार में पैनिक बटन, ट्रैकिंग डिवाइस, फर्स्ट एड बॉक्स आदि रखना जरूरी है.
परिवहन विभाग की ओर से स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि वह अभिभावकों को जागरूक करें. सड़क सुरक्षा के मुद्दे को एक एजेंडा में शामिल करें.पूल कार लेने से पहले सभी तरह के दस्तावेज की जांच करें. दस्तावेजों को स्कूल प्रबंधन और स्थानीय थाने में अभिभावक जमा कर सकते हैं. ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना होने पर इस पर तुरंत कार्रवाई की जा सके. अभिभावकों के लिए कहा गया है कि वे वाहन मालिक का नाम और सभी विवरण अपने पास रखें. बच्चों की एक-एक सीट के लिए सीट बेल्ट होना चाहिए.
स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को उठाने पर पाबंदी तो रहती ही है. इसलिए यह कोई नया फरमान नहीं है. लेकिन परिवहन विभाग ने जो निर्देश जारी किया है, उस पर स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ वाहन मालिको को भी आपत्ति हो सकती है. निर्देश में कहा गया है कि बसों को मस्टर्ड येलो कलर से र॔गना होगा. नीले रंग की पट्टी पर सफेद रंग से स्कूल का नाम लिखवाना होगा. अधिकतम स्पीड लिमिट 40 किलोमीटर प्रति घंटा रखनी होगी. बसों का फिटनेस परमिट समेत अन्य दस्तावेज भी होने चाहिए. इसके अलावा स्कूल बसों का गेट अच्छे से बंद करना, खिड़कियां ऐसी होनी चाहिए कि बाहर से अंदर दिख सके. बसों में स्पीड लिमिट, डिवाइस, पैनिक बटन फिट होना जरूरी है. इसके अलावा बस में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर अग्निशमन यंत्र फर्स्ट एड बॉक्स इत्यादि भी होने चाहिए.
अगर कोई स्कूल प्रबंधन इन सभी शर्तों को पूरा करने की प्रक्रिया अपनाता है तो यह उतना व्यावहारिक नहीं होगा. पर कानूनी तरीके से इन सभी शर्तों का पालन करने के बाद ही स्कूल बसों को अपने विद्यालय में लगा सकता है. स्कूल प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा को लेकर निर्देशों का पालन जरूर करते हैं और वाहन चालको को भी पालन करना होता है. पर यह भी सच है कि सभी निर्देशों का पालन करना आसान भी नहीं है. चाहे स्कूल प्रबंधन हो अथवा वाहन चालक या कंडक्टर सभी को अपनी जिम्मेदारी का पालन करना जरूरी है. सभी स्कूल बसों के पास दस्तावेज, बस चालकों की ट्रेनिंग इत्यादि पर भी नजर रखना स्कूल प्रबंधन के लिए आवश्यक है. अब देखना होगा कि परिवहन मंत्री के नए गाइडलाइंस का स्कूल वाले कितना स्वागत करते हैं और इसका स्कूल बसों के वाहन चालक और मलिकों पर कितना असर होता है.