आरजीकर कांड के खिलाफ पश्चिम बंगाल समेत देशभर में सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध जताया जा रहा है. पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया था. इसके परिणाम स्वरूप 14 अगस्त की रात बंगाल की महिलाओं ने कुछ देर के लिए सड़क पर कब्जा कर लिया था. महिलाओं का आक्रोश देखकर बंगाल सरकार भी हडकंप में आ गई.
अब ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की जा रही है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी के इस्तीफे को लेकर लगातार दबाव बढ़ा रही है तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल छात्र समाज ने 27 अगस्त को नवान्न अभियान का आह्वान किया है.
सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी कर कहा गया है कि अगर ममता बनर्जी 26 अगस्त तक पद त्याग नहीं करती हैं तो 27 अगस्त दोपहर 2:00 बजे उनके इस्तीफे की मांग पर सभी छात्र नवान्न चले. इसमें अपील की गई है कि प्रत्येक घर से कम से कम एक व्यक्ति इस अभियान में शामिल हो. यह अभियान कॉलेज स्ट्रीट से नवान्न तक निकाला जाएगा.
आज छात्र समाज के द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें अभियान व उसकी रणनीति पर प्रकाश डाला गया. संवाददाता सम्मेलन में रविंद्र भारती विश्वविद्यालय के छात्र प्रबीर दास, कल्याणी विश्वविद्यालय के छात्र शुभंकर हलदार और मकाउट के छात्र सायन लहरी शामिल थे. उन्होंने खुद को छात्र समाज का अभिन्न अंग बताया.
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि कोलकाता पुलिस ने छात्रों को इसकी इजाजत नहीं दी है, इसके बावजूद छात्र रैली निकालने पर अडिग हैं. छात्रों के इस अभियान के मध्येनजर सरकार ने सुरक्षा की पूरी तैयारी कर रखी है. नवान्न के आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था चुस्त कर दी गई है. राज्य के डीजीपी राजीव कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की है. सभी संभावित मार्गो पर 2000 से अधिक जवानों को तैनात किया जा रहा है.
सुरक्षा व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने आईजी तथा डीआईजी रैंक के 21 पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके अलावा 13 एसपी तथा उपायुक्त स्तर के पुलिस अधिकारी, 15 अतिरिक्त पुलिस आयुक्त तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी और 22 अतिरिक्त आयुक्त तथा उप अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी तैनात रहेंगे.
उधर पश्चिम बंगाल की मंत्री तथा TMC नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने छात्र संगठन द्वारा निकाली जाने वाली प्रस्तावित नवान्न अभियान रैली को गैरकानूनी और अशांति फैलाने की कोशिश बताया है. चंद्रिमा भट्टाचार्य ने आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया है रैली के लिए पुलिस की अनुमति नहीं ली गई है. उन्होंने कहा कि यह राज्य में शांति तथा स्थिरता भंग करने की कुछ तत्वों की साजिश है.
चंद्रमा भट्टाचार्य से सहमति जताते हुए तृणमूल नेता कुणाल घोष ने सीबीआई कार्यालय के बजाय राज्य सचिवालय तक मार्च करने के फैसले पर सवाल उठाया है. उन्होंने इसका संबंध माकपा,RSS, एबीपी जैसे संगठनों के साथ जोड़ा है.
भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई ने इसका खंडन किया है.भाजपा के राज्यसभा सदस्य और प्रदेश प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने रैली में पार्टी की किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है. और कहा है कि अगर भाजपा का कोई सदस्य रैली में शामिल होता है तो वह निजी रूप से भागीदार बनेगा.
प्रदेश भाजपा और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी पहले ही रैली का समर्थन कर चुके हैं. माकपा नेता सतरूप बसु ने तृणमूल कांग्रेस के दावों की आलोचना करते हुए इसे डर और हताशा की अभिव्यक्ति बताया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उसने मार्च का आह्वान नहीं किया है. लेकिन लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए उसका समर्थन रहेगा. बहरहाल यह देखना होगा कि 27 अगस्त को छात्र समाज द्वारा राज्य सचिवालय घेरो अभियान का बंगाल की राजनीति पर क्या असर पड़ता है.
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