सिक्किम से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तिब्बत. तिब्बत का शिजांग इलाका इन दिनों सुर्खियों में है. यहां के लोगों का सुख चैन छिन चुका है. रात में उन्हें नींद नहीं आती है. वह हर पल भय के साए में दिन गुजार रहे हैं. अगर यहां के लोगों पर कोई भारी विपदा आती है तो सबसे ज्यादा प्रभावित भारत में सिक्किम, बिहार और पड़ोसी देश नेपाल होगा. सिक्किम से सटा होने के कारण अगर इस क्षेत्र में कोई भारी तबाही होती है तो इसका भारी असर देखा जा सकता है. सिक्किम, दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, नेपाल और बिहार के सीमावर्ती जिलों के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
तिब्बत के शिजांग इलाके में आज एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. पिछले कई दिनों से यहां की धरती कांप रही है. 7 जनवरी को यहां जोरदार भूकंप आया था. हर तरफ चीख पुकार मच गई थी. लाशों का अंबार लग गया था. भूकंप का असर सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल ,असम ,नेपाल और बिहार में भी देखा गया था. उस दिन यहां कई बार भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किये. भूकंप की तीव्रता 7.5 मापी गई थी. इस भूकंप में 126 लोग मारे गए थे जबकि 188 लोग घायल हो गए थे.
उसके बाद से लगातार धरती डोल रही है. 7 जनवरी के बाद से अब तक कुल 3614 झटके महसूस किए गए हैं. यह सभी झटके 3.00 तीव्रता के थे. इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि यहां प्रकृति कुछ और गुल खिला रही है. आज मकर संक्रांति पर भी यहां के लोगों ने महसूस किया है कि वह कांपती हुई धरती पर पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं. यह किसी भी जानकार अथवा विश्लेषक के लिए बता पाना कठिन है, जब 7 जनवरी के बाद से यहां हर दिन धरती कांप रही है. आखिर इसका संकेत क्या है?
एक दिन पहले तिब्बत के इन इलाकों में 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था. 8 जनवरी को 1 दिन में 50 से अधिक बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. सोमवार को आए भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था. गनीमत है कि अब तक ज्यादा तीव्रता का भूकंप नहीं आया है. इसलिए लोग राहत की सांस ले रहे हैं.पर जिस तरह के आसार बन रहे हैं, उससे लगता है कि यहां प्रकृति की विनाश लीला देखने को मिल सकती है. अगर यहां कोई भारी तबाही आती है तो निश्चित रूप से इसका असर पूर्वोत्तर भारत, सिलीगुड़ी,उत्तर बंगाल, बिहार आदि प्रदेशों पर पड़ना तय है.
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार 7 जनवरी से लेकर 14 जनवरी 2025 के बीच लगभग 150 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. हालांकि भूकंप की तीव्रता 3 और 3.5 के बीच ही रही.कभी-कभी 4 तो कभी पांच तीव्रता का भूकंप भी महसूस किया गया है. 8 जनवरी को 50 से अधिक बार लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किये. जबकि 13 जनवरी को यहां आठ बार भूकंप के झटके लगे हैं. आज यहां एक बार फिर भूकंप का झटका लोगों ने महसूस किया है. हालांकि इसकी तीव्रता 3.6 रही है.
तिब्बत के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में लगातार हो रहे भूकंप के झटकों ने मौसम वैज्ञानिकों और विद्वानों को भी असमंजस में डाल दिया है. क्या इस तरह का संकेत इस तरफ इशारा कर रहा है कि भविष्य में यहां कोई भारी तबाही होने वाली है?मिली जानकारी के अनुसार जहां लगातार धरती में कंपन हो रहा है, वहां 60000 की आबादी वाला 27 गांव है. इन गांवों के लोग काफी खौफ में है. अगर कुछ होता है तो सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के लोगों पर इसका भारी असर होगा.
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