एक अध्ययन से पता चलता है कि पहाड़ में सर्वाधिक दार्जिलिंग में गुटखे की बिक्री होती है. दार्जिलिंग में लगभग सभी दुकानों में गुटखा मिल जाता है. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी गुटखे का स्वाद लेना नहीं भूलते. लेकिन दार्जिलिंग नगर पालिका ने एक फरमान जारी कर यहां की दुकानों में गुटखा बिक्री, उत्पादन आदि पर प्रतिबंध लगा दिया है. यानी अब से कोई भी दुकानदार यहां गुटखे की बिक्री नहीं कर सकता. अगर कोई दुकानदार गुटखे की बिक्री या उत्पादन करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
दार्जिलिंग नगर पालिका के वार्ड नंबर 14 के नगर पार्षद मनी लामा ने बताया कि दार्जिलिंग नगर पालिका प्राधिकरण बंगाल नगर अधिनियम के अनुसार गुटखा की बिक्री या उत्पादन पर सख्ती से प्रतिबंध लगा रहा है, ताकि यहां के लोगों को गुटखा से होने वाले रोगों से बचाया जा सके. इसमें कोई शक नहीं है कि गुटखा विभिन्न व्याधियों की जड़ है. गुटखा खाने से मुंह का कैंसर, गले के रोग, आंत के रोग और कई तरह के रोग होते हैं. दार्जिलिंग में अनेक बच्चे, बूढ़े गुटखा खाने के अभ्यस्त हो चुके हैं. इन लोगों की जिंदगी बचाने के लिए दार्जिलिंग नगर पालिका ने यह कदम उठाया है.
दार्जिलिंग के लोगों से अपील की गई है कि वे गुटखा नहीं खाएं और ना ही अपने बच्चों को खाने दे. क्योंकि गुटखा मुंह के विभिन्न रोगों को जन्म देता है. इनमें कैंसर प्रमुख है. कैंसर होने पर लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है. इसके इलाज में बहुत पैसा खर्च होता है. इसके बावजूद भी मरीज ठीक हो पाता है या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. नगर पालिका प्राधिकरण ने दार्जिलिंग के निवासियों से अपील की है कि प्राधिकरण के नियमों का सख्ती से पालन करें. ना तो गुटखे का उत्पादन करें और ना ही बिक्री. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
दार्जिलिंग नगर पालिका परिषद यह कानून बहुत पहले ही लागू करने वाला था. मगर तब इस पर अमल नहीं हो सका था. आज देर से ही सही अधिनियम को लागू किया जा रहा है. परिषद ने दार्जिलिंग के लोगों से निवेदन किया है कि तंबाकू या गुटखा जैसी चीजों से वह बचे और नगर पालिका परिषद की आवाज का समर्थन करें. गुटखा मनुष्य को असभ्य बनाता है. इसके साथ ही इंसान विभिन्न व्याधियों का शिकार हो जाता है.आज के नौजवान रोजाना गुटखा के कई पैकेट खा जाते हैं. ऐसे नौजवानों का जीवन और भविष्य खराब नहीं हो, इस उद्देश्य के साथ ही दार्जिलिंग नगर पालिका परिषद ने पहली बार पहाड़ में एक मिसाल कायम की है.
दार्जिलिंग नगर पालिका परिषद का यह फैसला दार्जिलिंग की खूबसूरती को उभारना है.यहां पर्यटक काफी संख्या में घूमने आते हैं. दार्जिलिंग के प्रति उनकी स्वच्छ छवि का निर्माण हो सके, इस दिशा में भी यह कदम उठाया गया है.यह देखना होगा कि दार्जिलिंग नगर पालिका परिषद गुटखा बैन का फैसला करके यहां के निवासियों का दिल जीत पाता है या फिर यह यह सब रजिस्टर में ही अंकित होकर रह जाएगा.
हालांकि जानकार मानते हैं कि खूब सोच समझकर यह फैसला किया गया है,जिसका असर दार्जिलिंग के निवासियों पर जरूर पड़ेगा. पर जिन लोगों को गुटखा खाने की आदत पड़ गई है वे लोग कहीं चोरी छिपे गुटखे की बिक्री, निर्माण इत्यादि को बढ़ावा ना दें, दार्जिलिंग परिषद को इसका ध्यान रखना चाहिए.क्योंकि कई बार होता है कि प्रशासन की नजर में जो चीज लुप्त हो जाती है, प्रशासन उसके बारे में कोई खोज खबर नहीं रखता.इसका लाभ दुकानदार उठाते हैं और गुटखे को ब्लैक में बेचकर काफी माल कमाते हैं.
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