सिलिगुड़ी: इंग्लिश में ब्रोकर हिंदी में दलाल और लोगों को इंग्लिश शब्द ब्रोकर बड़ा मीठा लगता है,लेकिन वहीं हिंदी में दलाल शब्द किसी गाली से कम नहीं लगती | रेलवे टिकट दलालों के क्या कहने, उनके ठाठ बाट किसी अधिकारियों से काम नहीं, किसी भी नाम के आगे एजेंसी लिखकर शानदार ऑफिस में यह टिकट के दलाल अपने काम को अंजाम देते हैं | ये ऐसे दीमक है जो सीधे साधे लोगों के हक को खा जाते हैं | ये अपने काम को भी बड़ी शातिरता के साथ अंजाम देते हैं | लोग उनके ठाठ बाट को देख कर इन्हें अपना शुभचिंतक मान लेते हैं, लेकिन यही शुभचिंतक है उनके हक निचोड़ कर खा जाता है |
इनके काम को भी काम न समझे इसमें भी बड़ी मेहनत लगती है, बता दे लोगों को रेलवे से टिकट भले ही न मिले, लेकिन जब वही लोग टिकट दलाल से टिकट कटाते हैं तो टिकट मिलने की शत प्रतिशत गारंटी होती है। क्योंकि, टिकट दलाल ही आम लोगों की हकमारी कर रहे हैं। आमलोगों के लिए खुलने वाला तत्काल समय के दौरान ही बड़े ही शातिर ढंग से दलाल टिकट काट लेते हैं। स्पेशल सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकट पर टिकट दलाल अपना डाका डाल रहे हैं।
वह भी एक नहीं, बल्कि कई टिकट चंद सेकेंड में काट लेते हैं और जब आम लोग टिकट काटते है तब टाइम ओवर हो जाता है। यह एक बड़ी गुत्थी है, जिसे समझने की जरूरत है। दरअसल, कई एजेंट अपना एक सॉफ्टवेयर डेवलप करके रखते हैं। उस सॉफ्टवेयर की मदद से एक साथ कई यात्रियों की सारी जानकारी पहले से ही फीड कर देते हैं। तत्काल के खुलते ही चंद सेकेंड सभी टिकट कंफर्म हो जाते हैं। यह सारा काम निजी आइडी पर ही होता है। क्योंकि, तत्काल खुलने के पहले 15 मिनट में सिर्फ आमलोगों को ही निजी आइडी से टिकट काटने की अनुमति रहती है|
इन रेलवे टिकट दलालों की भरमार सिलिगुड़ी एनजेपी क्षेत्र में भारी पड़ी है | साधारण से कमरे को सजा धजा कर और एजेंसी का लेवल चिपक कर वे अपनी रोजी-रोटी को चलाते हैं | न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार सीमा रेलवे इस मामले को लेकर सतर्क है और वे टिकट दलालों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं, बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर दिया गया है और इसी अभियान के तहत ही टिकट दलालों पर निगाहें रखी जा रही है | इस अभियान के तहत टिकट बनाने वाले एजेंटों की जांच की जा रही है, वहीं आरपीएफ भी इस मामले में पूरी तरह मदद कर रहे हैं | बता दे की आरपीएफ की मदद से ही लाखों से ज्यादा की टिकट बरामद हुई है | रिपोर्ट के अनुसार सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने जानकारी दी है कि, दलालों पर रेलवे अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दायर किया गया है और आंकड़ों की बात करें, तो 22 दिसंबर 2004 को कटिहार की आरपीएफ साइबर टीम और पूर्णिया की आरपीएफ टीम के साथ मिलकर संयुक्त रूप से बिहार और पूरनगंज के एक कंप्यूटर्स सेंटर में अभियान चलाया था और छापेमारी के दौरान ई-टिकट बरामद की, जिनकी कीमत 47 लाख से भी ज्यादा अधिक बताई गई है और इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया है वहीं पूर्णिया में रेलवे अधिनियम की धारा 143 के तहत मामला भी दर्ज किया गया है | इसके अलावा 7 दिसंबर 2024 को भी एक अभियान में टिकट के साथ एक व्यक्ति को पकड़ा गया था और अब इसी तरह का अभियान सिलीगुड़ी व एनजेपी क्षेत्र में भी चलाया जा रहा है, देखा जाए तो सिलीगुड़ी व आसपास के क्षेत्र में ऐसे बहुत से व्यक्ति है जो रेलवे टिकट के दलाली से जुड़े हुए हैं और इस अभियान ने टिकट दलालों की नींद उड़ा दी है |
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