माल बाजार में एक जंगली हाथी के साथ क्रूरता के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सिलीगुड़ी के 40 नंबर वार्ड की एक घटना,जिसमें कुत्ते के साथ क्रूरता की गई है, सुर्खियों में है. एक पर एक घटी इन दो घटनाओं ने न केवेल इंसानियत को शर्मसार किया है, बल्कि पशु प्रेमी और पर्यावरण संगठनों को भी चिंता में डाल दिया है. जानवरों के लिए काम करने वाले एनजीओ और स्वयं सेवी संगठन के सदस्य इस मामले में कूद गए हैं. आज भक्ति नगर पुलिस थाने में एक पशु प्रेमी ने कुत्ते के साथ की गई क्रूरता की शिकायत दर्ज कराई है और थाना प्रभारी से मांग की है कि जल्द से जल्द उस युवक को गिरफ्तार किया जाए, जिसने गली के कुत्ते को पकड़ कर उसे नाले में फेंक दिया था.
यह घटना कहां की है और इस घटना को किसने अंजाम दिया, क्यों अंजाम दिया, इसके बारे में अभी तक कोई पक्की जानकारी नहीं है. परंतु दावा किया जा रहा है कि यह घटना सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत 40 नंबर वार्ड में घटी है. आखिर उस युवक की कुत्ते के साथ क्या दुश्मनी थी, या क्या वह कुत्ते के साथ कोई शरारत कर रहा था? यह सब तो तभी पता चलेगा, जब वह युवक पुलिस के हाथ पकड़ा जाएगा. भक्ति नगर थाना की पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द घटनास्थल और घटना के दोषी को पकड़ लिया जाएगा.
जिस व्यक्ति ने भक्ति नगर थाने में यह शिकायत दर्ज कराई है, उनका नाम भोला गुप्ता है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता को रोका जाए और दोषी लोगों को दंडित किया जाए. पशु मानव के मित्र होते हैं. पारिस्थितिक संतुलन में पशु, वनस्पति और इंसान का एक पारस्परिक संतुलन चक्र चलता है. यह पर्यावरण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है. लेकिन देखा जाता है कि कुछ लोग आवारा कुत्तों या पशुओं के साथ बेरहमी की हद तक अत्याचार करते हैं. सिलीगुड़ी में इससे पहले भी इस तरह की घटना घट चुकी है.
हालांकि यह भी सही है कि गली के आवारा कुत्तों से कभी-कभी इंसान को काफी खतरा हो जाता है. कुत्तों के काटने की घटना भी लगातार बढ़ रही है. इस स्थिति में पुलिस और प्रशासन की भी एक बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है. आईए देखते हैं कि गली के आवारा कुत्तों को लेकर क्या नियम है. आवारा कुत्तों को 1960 के पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 38 के तहत संरक्षित किया जाता है. भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 428 और 429 के तहत कुत्तों समेत किसी भी आवारा जानवर को छेड़ना या उसके साथ बुरा व्यवहार करना अपराध है.
दिल्ली हाई कोर्ट के 2021 में दिए ऐतिहासिक फैसले में कहा गया है कि जानवरों को कानून के तहत करुणा, सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करने का अधिकार है. यह पशु संवेदनशील प्राणी है. इसलिए ऐसे प्राणियों की सुरक्षा, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों समेत हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है. प्रशासन की भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है. कानून के अनुसार गली के डॉग्स को कॉलोनी में रहने वाले लोगों के अनुकूल बनाया जा सकता है. कुत्तों के लिए ऐसे क्षेत्र बनाए जाने चाहिए, जहां आम लोगों का आना-जाना कम हो.
भारत में कुत्ते ही नहीं किसी भी स्वस्थ आवारा पशुओं को मारना भारतीय दंड संहिता के तहत जुर्म है.आवारा कुत्तों को भी पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत संविधान के अनुच्छेद 48 ए में कहा गया है कि राज्य को वन्य और वन्य जीवन की रक्षा करनी चाहिए. अनुच्छेद 51 A जानवरों के प्रति सम्मान को सुनिश्चित करता है. अनुच्छेद 21 सभी को जीवन का अधिकार देता है. कोर्ट ने कहा है कि यह अनुच्छेद न केवल मनुष्य के जीवन की रक्षा करता है बल्कि जानवरों के जीवन की रक्षा करता है. और भी कई नियम बनाए गए हैं. लेकिन इन नियमों का पालन कभी नहीं होता है.
क्या अब समय नहीं आ गया कि कि ऐसे कानून को सख्ती से लागू किया जाए तथा आवारा पशुओं और गली के कुत्तों को संरक्षित करने के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन के द्वारा उचित स्थान का प्रबंध किया जाए, ताकि लोगों को भी गली के कुत्तों के द्वारा काटने की शिकायत ना हो.