माटीगाड़ा की पंचनई नदी के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन सिलीगुड़ी के लोग जानते हैं कि यह नदी अवैध रूप से बालू उत्खनन और आसपास के इलाकों में जल की आपूर्ति करती है. पंचनई नदी के आसपास का क्षेत्र हरित तो नहीं कहा जा सकता. अपितु यहां निर्माण कार्य होते रहे हैं.बरसों से यह नदी उपेक्षित थी. पर अब राज्य सरकार और सिंचाई विभाग की नजरे इनायत हुई है इस नदी पर. राज्य सरकार, सिंचाई विभाग ने इस नदी को वन्य जीव नियंत्रण और बाढ़ नियंत्रण के लिए चिन्हित किया है.
राज्य सरकार, सिंचाई विभाग ने माटीगाड़ा प्रखंड में स्थित पंचनई नदी के दाहिने भाग में बाढ़ नियंत्रण कार्य करने का फैसला किया है. लगभग 3.14 करोड रुपए की लागत से यह कार्य किया जाएगा. इस नदी पर लगभग 1 किलोमीटर 700 मीटर क्षेत्र में वन्य जीव नियंत्रण का कार्य करने का फैसला किया गया है. अगर ऐसा होता है तो पंचनई नदी के आसपास सार्वजनिक निर्माण कार्य नहीं हो सकेंगे. यहां हरित क्षेत्र की स्थापना से एक तरफ नदी का कायाकल्प होगा, तो दूसरी तरफ परिवेश और जलवायु का गुणवत्ता स्तर भी उन्नत होगा.
राज्य सरकार ने उत्तर बंगाल में बाढ़ नियंत्रण के लिए कदम उठाए हैं.हर साल बरसात के समय मालदा में गंगा नदी से लेकर भूटान सीमा तक Dooars में रेती सुकृति नदी में बाढ़ के कारण विनाश लीला देखी जाती है. इसे रोकने के लिए राज्य सिंचाई विभाग ने अनेक बाढ नियंत्रण परियोजनाओं के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सिंचाई विभाग के निदेशक और टेक्निकल तथा स्क्रीनिंग कमेटी के द्वारा डीपीआर को पारित कर दिया गया है तथा स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया है. इन परियोजनाओं में मालदा, उत्तर दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी जिला और सिलीगुड़ी महकमा की चार परियोजनाएं शामिल हैं, जिनकी लागत 22 करोड़ रुपए बताई जा रही है.
डीपीआर में अलग-अलग जिलों के लिए बाढ़ नियंत्रण कार्य और स्थानों की पहचान कर ली गई है तथा उसकी रूपरेखा भी तैयार कर दी गई है. सिलीगुड़ी महकमा में पंचनई नदी का ब्लूप्रिंट, जहां बाढ नियंत्रण और वन्य जीव संरक्षण का कार्य होगा, तैयार कर लिया गया है. परियोजना के अनुसार सिंचाई विभाग सालबाड़ी कृषि फार्म क्षेत्र में 200 मीटर, महावीर हाई स्कूल के सामने 600 मीटर, डागापुर चाय फैक्ट्री के पास 400 मीटर और पीएमजीएसवाई रोड के पास 500 मीटर क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण कार्य करने वाला है.
सिंचाई विभाग के उत्तर पूर्वी संभाग के मुख्य अभियंता कृष्णेन्दु भौमिक ने बताया है कि इन परियोजनाओं पर डायरेक्टर स्तर की तकनीकी समिति और विभागीय स्क्रीनिंग समिति में चर्चा हो चुकी है. प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्य को भेजा गया है. यह मात्र एक औपचारिकता होगी, क्योंकि राज्य सरकार पहले से ही इसके लिए तैयार है. जैसे ही फाइलों को स्वीकृति मिल जाती है, सिंचाई विभाग के द्वारा काम शुरू कर दिया जाएगा.
सिंचाई विभाग के प्रस्तावित कार्यक्रम और रूपरेखा को देखते हुए पंचनई नदी के आसपास रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ गयी है. उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं सरकार यहां हो रहे आवासीय निर्माण कार्य को रोक ना दे अथवा गैर कानूनी घोषित कर उनकी जमीन को छीन ना ले. खैर यह सब तो समय के गर्भ में है. फिलहाल पंचनई नदी का कायाकल्प और पर्यावरण में गुणवत्ता का स्तर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
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